Banking and Economics Quick Summary and Important Facts – Most Important for Competitive Exams

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मेक इन इंडिया -एक परिचय

  • महत्वाकांक्षी मिशन मेक इन इंडिया लॉन्च हो चुका है। मेक इन इंडिया का मकसद देश को मैन्युफैक्चुरिंग का हब बनाना है। घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को मूल रूप से एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का वायदा किया गया हैं ताकि 125 करोड़ की आबादी वाले मजबूत भारत को एक विनिर्माण केन्द्र के रूप में परिवर्तित करके रोजगार के अवसर पैदा हो। इससे एक गंभीर व्यापार में व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इसमें किसी नवाचार के लिए आवश्यक दो निहित तत्वों-नये मार्ग या अवसरों का दोहन और सही संतुलन रखने के लिए चुनौतियों का सामना करना शामिल है।
  • राजनीतिक नेतृत्व के व्यापक रूप से लोकप्रिय होने की उम्मीद है। लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल वास्तव में आर्थिक विवेक, प्रशासनिक सुधार के न्यायसंगत मिश्रण के रूप में देखी जाती है। इस प्रकार यह पहल जनता जनादेश के आहवान ‘एक आकांक्षी भारत’ का समर्थन करती है।

प्राप्त किये जाने वाला लक्ष्य

  • मध्यावधि की तुलना में विनिर्माण क्षेत्र में 12 - 14 प्रतिशत प्रतिवर्ष वृद्धि करने का लक्ष्य।
  • देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी 2022 तक बढ़ाकर 16 से 25 प्रतिशत करना।
  • विनिर्माण क्षेत्र में 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त 2 रोजगार सृजित करना।
  • ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीब लोगों में समग्र विकास के लिए समुचित कौशल का निर्माण करना।
  • घरेलू मूल्य संवर्द्धन और विनिर्माण में तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना।
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करना।
  • भारतीय विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना।

किसान विकास पत्र

  • सरकार ने करीब 3 साल बाद ‘किसान विकास पत्र’ (KVP) को फिर से लॉन्च किया। इस बचत योजना में निवेश किया गया धन आठ साल और चार महीने में दोगुना जो जाएगा। इसे दोबारा शुरू करने की मांग काफी समय से हो रही थी। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने केवीपी को नए सिरे से लॉन्च किया। यह 1 हजार रुपये, 5 हजार रुपये, 10 हजार रुपये व 50 हजार रूपये में उपलब्ध होगा। इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
  • वित्त मंत्रालय ने कहा कि शुरूआत में केवीपी सर्टिफिकेट डाक घरों के जरिए बेचे जाएंगे। बाद में जनता को केवीपी राष्ट्रीयकृत बैंकों की नामित शाखाओं पर भी मिलेंगे केवीपी में किए गए निवेश की लॉक इन अवधि ढाई साल की होगी। उसके बाद यह पूर्व में तय परिपक्वता मूल्य के हिसाब से 6 माह के ब्लॉक में होगी।
  • केवीपी न सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए निवेश का सुरक्षित विकल्प होगा, बल्कि इसके जरिये देश में बचत दर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। केवीपी से छोटे निवेशक धोखाधड़ी वाली योजनाओं से भी बच सकेंगे। इस योजना के तहत जुटाई गई राशि सरकार के पास रहेगी, जिसका इस्तेमाल केन्द्र और राज्यों की विकास योजनाओं में किया जाएगा। ये सर्टिफिकेट एकल या संयुक्त नामों में जारी किए जा सकते हैं और इन्हें कई बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम स्थानांतरित किया जा सकता है। साथ ही इन्हें एक डाकघर से दूसरे में भी स्थानांतरित किया जा सकता है। केवीपी योजना अप्रैल, 1988 में शुरू की गई थी। उस समय इस योजना में किया गया निवेश 5.5 साल में दोगुना हो जाता था। नवंबर, 2011 में इस योजना को बंद कर दिया गया था।

नई केवीपी की व्यापक सुविधाएँ

  • ब्याज: 8.7 प्रतिशत
  • अवधि: आठ साल और चार महीने (100 महीने)
  • निवेश 100 महीने में दोगुना हो जाता है
  • न्यूनतम लॉक-इन अवधि दो साल और छह महीने है।

नीति आयोग

  • पुराना नाम-योजना आयोग
  • NITI (नीति) का पूर्ण रूप नेशनल इंस्टिटयूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) है।
  • अध्यक्ष-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
  • उपाध्यक्ष-एशियाई विकास बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री, अरविंद पानगडिया
  • उद्देश्य-यह संस्थान सरकार के थिक टेंक के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करेगा। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराएगा। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होंगे।
  • नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) भारत सरकार दव्ारा गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है। 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्थान के संबंध में जानकारी देने वाला मंत्रिमंडल का प्रस्ताव जारी किया गया।

भुगतान बैंक एवं लघु वित्त बैंक

देश में नई तरह के बैंक स्थापित करने की दिशा में पहल करते हुये रिजर्व बैंक ने भुगतान बैंको और छोटा कर्ज देने वाले लघु वित्त बैंको के लिये अंतिम दिशानिर्देश जारी किए थे।

भुगान बैंकों संबंधी दिशानिर्देशों की प्रमुख विशेषताएंँ निम्नानुसार हैं:-

उद्देश्य: वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने हेतु

  • लघु बचत खाते उपलब्ध कराना
  • प्रवासी श्रमिक वर्ग, निम्न आय अर्जित करने वाले परिवारों, लघु कारोबारों, असंगठित क्षेत्र की अन्य संस्थाओं और अन्य उपयोगकर्ताओं को भुगतान/विप्रेषण सेवाएं प्रदान करना भुगतान बैंकों की स्थापना के उद्देश्य होंगे।

पात्र प्रवर्तक

मौजूदा गैर बैंक पूर्वदत्त भुगतान लिखत (पीपीआई) जारीकर्ता; और अन्य संस्थाएं जैसे व्यक्ति/पेशेवर; गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनडीएफसी) , कॉरपोरेट व्यवसाय प्रतिनिधि (बीईसी) , मोबाइल टेलिफोन कंपनियां, सुपरमार्केट श्रृंखलाएँ, कंपनियां रियल इस्टेट सहकारिताएँ, जो निवासी भारतीयों के स्वामित्व व नियंत्रणाधीन हैं तथा सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएँ भुगतान बैंकों की स्थापना के लिए आवेदन कर सकती हैं।

गतिविधियों का दायरा:

  • मांग जमाराशियों को स्वीकारना। प्रारंभ में भुगतान बैंक प्रति व्यक्तिगत ग्राहक की अधिकतम 100,000 की शेष राशि रख सकता है।
  • एटीएम/डेबिट कार्ड जारी करना। तथापि, भुगतान बैंक क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता।
  • विभिन्न सारणियों के माध्यम से भुगतान और धन प्रेषण सेवाएं।
  • व्यवसाय प्रतिनिधियों से संबंधित रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अधीन रहते हुए अन्य बैंक का व्यवसाय प्रतिनिधि बनना।
  • म्युच्युअल फंड इकाइयों और बीमा उत्पाद आदि जैसे जोखिम रहित सरल वित्तीय उत्पादों का वितरण।

निधियों का अभिनियोजन:

  • भुगतान बैंक ऋण देने का कार्य नहीं कर सकता।
  • मांग और मीयादी देयताओं में से रिज़र्व बैंक के पास रखे जाने वाले आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) की राशि के अतिरिक्त अपने ‘मांग जमाराशि के शेष’ का कम-से-कम 75 प्रतिशत का हिस्सा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) के लिए पात्र एक वर्ष तक की परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों/खजाना बिलों में निवेश करने की अपेक्षा होगी तथा वह अपने परिचलनात्मक प्रयोजनों और चलनिधि प्रबंधन हेतु अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंको में चालू और मीयादी/सांवधिक जमाराशियों में 25 प्रतिशत तक का हिस्सा रख सकता है।

पूंजी अपेक्षा:

  • भुगतान बैंकों के लिए व्यूनतम 100 करोड़ की चुकता इक्विटी पूंजी रखनी होगी।
  • भुगतान बैंक का लीवरेज अनुपात 3 प्रतिशत से कम न हो अर्थात उसकी बाहरी देयताएं उसकी अपनी निवल मालियत (चुकता पूंजी और आरक्षित निधियां) के 33.33 गुणा से अधिक न हो।

प्रवर्तक का अंशदान: ऐसे भुगतान बैंक की चुकता इक्विटी पूंजी में प्रवर्तक का न्यूनतम प्रारंभिक अंशदान बैंक के अपने कारोबार की शुरूआत से पहले पांच वर्ष की अवधि के लिए कम-से-कम 4 प्रतिशत होगा।

विदेशी शेयरधारिता- भुगतान बैंक में विदेशी शेयरधारित निजी क्षेत्र से संबंधित समय-समय पर यथा संशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुरूप होगी।

नए बैंकिंग लाइसेंस

  • अप्रैल में वित्त सेवा मुहैया कराने वाली कपंनी आईडीएफसी और छोटे कर्ज देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी बंधन फाइनेंशियल सर्विसेज बुनियादी सुविधाओं के फाइनेंसर आईडीएफसी को आरबीआई ने सैद्धांतिक रूप से लाइसेंस प्रदान किए।
  • बंधन फाइनेंशियल गरीब महिलाओं को छोटे कर्ज देती है। रिजर्व बैंक को नए बैंकिंग लाइसेंस के लिए भारतीय डाक रिलायंस कैपिटल, टाटा कैपिटल और एलएंडटी फाइनेंस सहित कुल 27 आवेदन मिले थे, जिनमें से दो ने अपना आवेदन वापस ले लिया था। लाइसेंस 18 महीनों के लिए दिए गए हैं।
  • 25 आवेदनों पर उनकी वित्तीय स्थिति, ट्रैक रिकॉर्ड और एक बैंक चलाने की उनकी क्षमता के आधार पर विचार किया गया था। इससे पहले केन्द्रीय बैंक ने किसी विवाद से बचने के लिए नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के लिए भारत के चुनाव आयोग की इजाज़त मांगी थी। चुनाव आयोग ने रिजर्व बैंक को अपने फैसलें लेने के लिए आज़ाद किया था।