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टवसरंचना

सड़क मार्ग क्षेत्र

राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड (जाली)

यह क्यों आवश्यक है?

  • भारत में वैज्ञानिक प्रतिरूप के रोड (सड़क) नेटवर्क (तंत्र) पैटर्न (आकार) की कमी है। इस कारण चालक एक जगह से दूसरी जगह तक पहुँचने के लिए एक सीधा मार्ग नही अपना सकते।

इसके लिए क्या किया जा रहा है?

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने एक ‘राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड’ का प्रस्ताव दिया है, जिसमें देशभर में 27 क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर राजमार्ग गलियारे शामिल होंगे।
  • ये गलियारे करीब 250 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित होंगे और आड़े-तिरछे पैटर्न में एक दूसरे से जुड़े रहेंगे।
  • कुल परियोजना 25,000 करोड़ रुपये की है। यह राष्ट्रीय राजमार्गों की पहचान आसान बनाने के लिए सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों को फिर से चिन्हित करने में मदद करेगी।
  • यह ग्रिड 12 महापत्तनों, राज्यों की राजधानियों और 45 से अधिक शहरों को जोड़ेगी तथा इस तरह तीव्र निकासी एवं एक छोर से दूसरे छोर तक माल परिवहन में मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय राजमार्ग इंटरकनेक्टिविटी (परस्पर)

  • सरकार ने 5 राज्यों-कर्नाटक, ओडिशा, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय राजमार्ग इंटरकनेक्टिविटी सुधार परियोजना (एनएचआईआईपी) के तहत 1,120 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए 6461 करोड़ रुपये अनुमोदित किया है।
  • पहले चरण के अंतर्गत विश्व बैंक की सहायता से 2-लेन (गली) मानकों का विकास किया जा रहा है।
  • यह परियोजना प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्गों जो कि अधिकांशत: पिछड़े क्षेत्रों में अवस्थित है उन पर तीव्र, सुरक्षित और सभी मौसम में यातायात प्रचालन को सुनिश्चित किया जाएगा। इससे इन क्षेत्रों का सामाजिक आर्थिक विकास होगा।
  • अनुमोदित परियोजना लागत में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार और अन्य निर्माण पूर्व गतिविधियों की लागत शामिल है।

लॉजिस्टिक (तार्किक) दक्षता संवर्धन कार्यक्रम

सुर्ख़ियों में क्यों?

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने LEEP के अंतर्गत देश में माल ढुलाई की मौजूदा लॉजिस्टिक अवसरंचना और गंतव्य स्थानों के गहन परीक्षण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (विवरण) पर कार्य प्रारंभ कर दिया है।
  • ऐसे 44 अलग-अलग गलियारों (आर्थिक गलियारों) , अंतर गलियारों और फीडर (सहायक) मार्गो पर माल ढुलाई की लागत और समय की बचत के लिए यह किया जाता हैं

यह क्या है?

  • LEEP (उछल) का लक्ष्य अवसरंचनात्मक, प्रक्रियात्मक और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के हस्तक्षेप के माध्यम से लागत, समय, कन्साइनमेंट (माल) की ट्रैकिंग (देखना) और स्थानांतरणीयता में सुधार कर भारत में माल परिवहन में सुधार लाना है।
  • पहले चरण में 15,000 किलोमीटर की DPRs तैयार की जाएगी।
  • DPRs -सर्वे के समय को कम करने के लिए एनएचएआई ने LiDAR, सैटेलाइट (उपग्रह) मैपिंग (मानचित्रण) और ग्राउंड (भूमि) पेनेट्रेशन रडार (एक यंत्र) (GPRs) जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने का निर्णय लिया है।