मॉडल (आर्दश) जीएसटी कानून (Model GST Law – Economy)

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सरकार ने विभिन्न हितधारकों की टिप्पणी के लिए ‘आदर्श जीएसटी कानून’ के एक मसौदा संस्करण का अनावरण किया। लागू होने के बाद जीएसटी सीमा शुल्क कानून, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क कानून, सेवा कर कानून तथा वैट (जाँच करना/वजन) कानून जैसे सभी मौजूदा अप्रत्यक्ष कर प्रावधानों को सम्मिलित कर लेगा।

जीएसटी क्या हैं?

जीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो केंद्र और राज्य सरकार दव्ारा वस्तुओं और सेवाओं पर लगायें जाने जाने वाले सभी अप्रत्यक्ष करों को खुद सम्मिलित कर लेगा। जीएसटी विभिन्न करों को शामिल करके व्यापक या दोहरें कराधान को कम करेगा।

विशेषताएँ

मॉडल जीएसटी कानून दो भागों में हैं- वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2016 और एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2016।

• जीएसटी कानून में केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और एकीकृत जीएसटी का समावेश होगा जो एक ही कर योग्य मूल्य पर लगाया जाएगा।

• केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी क्रमश: वस्तु और सेवाओं की अत: राज्य आपूर्ति पर एक साथ लगाया जाएगा, जबकि एकीकृत जीएसटी अंतरराज्यीय आपूर्तियों पर लगाया जाएगा।

• जीएसटी के तहत कर वस्तुत: विनिर्माण, सेवा का प्रतिपादन और वस्तुओं की बिक्री के बजाय वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति कर लगेगा।

• जीएसटी कानून में वस्तु और सेवाओं के बीच का अंतर परिभाषित है। वस्तु की परिभाषित वस्तु विक्रय अधिनियम 1930 के अनुसार और वस्तु के अलावा अन्य सभी को सेवाओं के रूप में परिभाषित किया गया है। इसलिए सभी अस्पष्ट सेवाओं को ‘सेवाओं’ के अंतर्गत ही माना जाएगा।

• इस कानून की अनुसूची में जीएसटी की दर भी निर्दिष्ट की जाएगी।

• यह ऑलाइन लेनदेन के लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) भी प्रदान करता है, इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से ई-कॉमसर् (वाणिज्य) को भी जीएसटी के अंतर्गत ले आएगा।

• कानून में तीन वर्ग के अधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान है

• केंद्रीय जीएसटी अधिकारी

• राज्य जीएसटी अधिकारी

• एकीकृत जीएसटी अधिकारी

• यह कानून एक निश्चित स्तर से ऊपर के केंद्र और राज्य जीएसटी अधिकारियों को लेखा परीक्षा और निरीक्षण के साथ ही कर चोरी के मामलों में खोज और जब्ती की शक्तियाँ देता है।

• जहाँ वस्तु या सेवाओं की आपूर्ति की जाएगी, आपूर्ति कर्ता को उस प्रत्येक राज्य में पंजीकरण करवाना जरूरी होगा।

• विवादों को सुलझाने के लिए कानून में एक राष्ट्रीय जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण और प्रत्येक राज्य में जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन का प्रावधान भी हैं। आदेश आने के 3 महीने के भीतर अपील दायर की जानी होगी।

चुनौतियाँ

• सुनिश्चित करना कि राज्य कानून को पूर्ण रूप से लागू करें, लेवी और इसके अनुरूप प्रशासन की एकरूपता सुनिश्चित करना तथा जीएसटी की केंद्रीस अवधारणा अर्थात ‘एकीकृत बाजार’ को भी सुनिश्चित करना।

• जीएसटी विवाद निपटान प्राधिकरण यह विधेयक में शामिल नहीं है। यह एक गंभीर कमी है जिसे पूरा किया जाना चाहिए। जीएसटी परिषद राजनीतिक आकस्मिकताओं के कारण निष्पक्ष न्याय करने में सक्षम नहीं हो पायेगी।

• जीएसटी परिषद के भीतर चुनाव पैटर्न (आदर्श नमूना) - यह अनावश्यक रूप से केंद्र सरकार के पक्ष में है। केंद्र सरकार के पास मताधिकार में एक तिहाई हिस्सेदारी है। दूसरी ओर, सारे राज्यों की सामूहिक हिस्सेदारी दो-तिहाई तक ही सीमित है। यह मुद्दा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री दव्ारा उठाया गया था।

जीएसटी परिषद

• जीएसटी परिषद केंद्रीय वित्त मंत्री, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों का एक समूह होगा। यह परिषद कर की दर, अतिरिक्त कर की अवधि, आपूर्ति के सिद्धांत, कुछ राज्यों के लिए विशेष प्रावधान, विवाद निपटान, आदि जैसे मुद्दों पर सिफारिश देगी।

• गंतव्य आधारित: जीएसटी मूलत: गंतव्य आधारित उपभोग पर एक कर है।

• आईटी कनेक्टिविटी में असमानता: जीएसटी का उद्देश्य एक एकीकृत डिजिटल (अँगुली संबंधी) सेटअप की स्थापना करना है।

• आईटी पर जीएसटी की निर्भरता: प्रस्तावित जीएसटी आईटी पर अत्यधिक निर्भर है। उदाहरण के लिए एकीकृत जीएसटी तंत्र राज्यों के बीच करों में समरूपता लाएगा, लेकिन जीएसटी के अंतर्गत होने वाले व्यापक व्यापार की वजह से यह एक स्वचालित सेट-अप के बिना काम नहीं कर पाएगा। प्रस्तावित आईटी सुविधाओं को पूर्ण रूप से उपयुक्त बनाना होगा।

• केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष: पिछले अनुभवों से पता चलता है कि इस तरह के दोहरे कराधान से अव्यवस्था होती है।

• आपूर्ति की जगह के मुद्दे: यह एक कमी थी जिसका उपयोग करके केंद्र और राज्य कर राजस्व जुटाने के लिए दावा कर सकते हैं, लेकिन मॉडल (आर्दश) कानून में इस बात का पर्याप्त ध्यान रखा गया है।

आगे की राह

• हाल ही में सभी राज्य जीएसटी बिल को पारित करने के लिए एकजुट हुए हैं। यह एक अच्छा संकेत है।

• राज्यों ने जीएसटी दर पर एक संवैधानिक उच्चतम सीमा के प्रावधान को नकार दिया है। इस पर एक पूर्ण सहमति बन गयी है क्योंकि भविष्य में दरों में संशोधन करने की आवश्यकता उत्पन्न हो सकती है।

• सरकार ने यह स्पष्ट कर दिसत्र में राज्यसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पेश करना चाहती हैं।