समुद्री मत्स्य पालन (Sea Fisheries – Economy) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य नीति में संशोधन करने हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।

गहरे समुद्र में मत्स्यिकी पर डॉ बी. मीना कुमारी आयोग

पूर्व में गहरे समुद्र संबंधी मत्स्यिकी नीति की व्यापक समीक्षा के लिए डॉ बी. मीना कुमारी की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था। समिति की अनुशंसाओं का पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने वाले समुदायों दव्ारा विरोध किया गया था। अनुशंसाओं से जुड़े कुछ मुद्दें हैं:

• प्रादेशिक जल क्षेत्र में 22 कि. मी. और 370 कि. मी. के बीच ईईजेड में मछली पकड़ने के लिए हाल ही में जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों में इस क्षेत्र में केंद्र से “अनुमति पत्र” प्राप्त करने पर 15 मीटर या उससे अधिक की लंबाई वाले जहाजों के संचालन की अनुमति प्रदान की गई है।

• इन जहाजों का स्वामित्व या अधिग्रहण भारतीय उद्यमियों दव्ारा या 49 प्रतिशत तक विदेशी निवेश वाले संयुक्त उपक्रम दव्ारा प्राप्त किया जा सकता है।

• पारंपरिक मछुआरों को भय है कि इस प्रकार के मत्स्यिकी उपक्रम अभी उनकी पहुंच के अंतर्गत आने वाले कुछ क्षेत्रों में अतिक्रमण करके उनकी आजीविका को खतरे में डाल देंगे।

• सबसे विवादास्पद अनुशंसाओं में से एक तट के साथ-साथ निकट तटीय और अपतटीय क्षेत्रों (गहराई में 200 मीटर और 500 मीटर के बीच पानी) के बीच बफर जोन (क्षेत्र) का निर्माण और ″ निकट तटीय क्षेत्रों के साथ ही ईईजेड ′ में गहरे समुद्री क्षेत्रों में संसाधनों का संवर्धन करने के लिए वहाँ मत्स्यिकी का विनियमन है।

मत्स्य पालन क्षेत्र: परिप्रेक्ष्य

• भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक है और वैश्विक मत्स्य उत्पादन में 5.43 प्रतिशत का योगदान करता है।

• भारत एक्वाकल्चर (मत्स्य पालन) के माध्यम से मत्स्य का प्रमुख उत्पादक है और चीन के बाद विश्व में इसका दूसरा स्थान है।

• इसे आय और रोजगार के शक्तिशाली स्रोत के रूप में चिन्हित किया गया है क्योंकि यह कई सहायक उद्योगों के विकास को भी प्रेरित करता है और यह विदेशी मुद्रा अर्जक होने के अतिरिक्त सस्ते और पौष्टिक भोजन का स्रोत भी है।

• यह देश की आर्थिक रूप से पिछड़ी आबादी के एक बड़े वर्ग के लिए आजीविका का स्रोत है। यह हमारे देश में लगभग 15 लाख लोगों की आजीविका को सहारा देता है।

आगे की राह

हाल ही में सरकार ने सभी विद्यमान योजनाओं को मिलाकर एक वृहद योजना ‘नीली क्रांति: मत्स्य पालन का समन्वित विकास और प्रबंधन’ तैयार किया है।

नीली क्रांति

• इसमें “संधारणीयता, जैव-सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मत्स्य पालन के एकीकृत और समग्र विकास व प्रबंधन के लिए अनुकूल माहौल बनाने” की कल्पना की गई है।