तमिलनाडु में अर्चकों की नियुक्ति से संबंधित सर्वाच्च न्यायालय का विनिर्ण (In Tamil Nadu Entry to Garbha Graha – Social Issues)

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सुर्खियों में क्यों?

§ हाल ही सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया है जो वह निर्धारित करता है कि कौन सा व्यक्ति एक पुजारी के रूप में एक आगम-संरक्षित हिन्दु मंदिर के पवित्र स्थान (गर्भ गृह) में प्रवेश करेगा। न्यायालय ने कहा कि तमिलनाडु के मंदिरों में आगों के अनुसार अर्चकों की नियुक्ति अर्चकों की नियुक्ति समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं हैं।

निर्णय क्या है?

§ सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के 23 मई 2006 के उस आदेश को निरस्त कर दिया जो किसी भी योग्य तथा प्रशिक्षित हिन्दू को राज्य में हिन्दू मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्ति की अनुमति देता था

आगम

§ आगम हिन्दू समुदाय की भक्ति धारा के अंर्तगत कई शाखों का संग्रह हैं।

§ संस्कृत में आगम मतलब है “जो कि हमारे पास आ गया है।”

§ यह ग्रंथ संस्कृत भाषा के अलावा तमिल जैसी कुछ दक्षिण भारतीय भाषाओं में हैं।

§ आगम ग्रंथ दो प्रकार के हैं: आगम और तंत्र।

§ इनमें से पहला शैव और वैष्णव मंदिरों में प्रचलित है, जबकि दूसरा शक्ति मंदिरों में प्रचलित है।

§ आगमों में कई विष्यों की व्याख्या की गई है और वे वास्तव में पद्धति-ग्रंथ की तरह हैं, जिन पर हिन्दू रीति-रिवाज आधारित है, कुछ शैव मंदिर तमिल आगमों के आधार पर कार्य करते हैं, तथा वैष्णव मंदिरों में अनुष्ठान वैखानस आगम और पंचरात्र आगम के आधार पर होता है।

§ आगम ग्रंथो के अनुसार पूजा एक विशेष और अलग संप्रदाय से संबंधित अर्चकों दव्ारा की जा सकती है; और ऐसा न करने पर वहाँ देवता पर कलंक लगेगा जिसे दूर करने के लिए शुद्धि समारोहों का आयोजन करना होगा।