एस्ट्रोसैट (Astrosat – Science and Technology)

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एस्ट्रोसैट खगोलीय पिण्डो के अध्ययन के लिए पूर्णत: समर्पित भारत की प्रथम वेधशाला है। एस्ट्रोसैट को नासा की हबल खगोलीय दूरबीन का लघु संस्करण माना जा रहा है। अंतरिक्ष में स्थापित यह वेधशाला विविध तरंग दैर्ध्यो के अंतर्गत खगोलीय पिण्डो की पहचान कर सकेगी। ये विविध तरंगदैर्ध्यो (एक्स किरणों से लेकर पराबैंगनी किरणों) के विस्तृत परास में पिण्डों की पहचान करने में सक्षम है। किन्तु खगोलीय पिण्डों की पहचान, हबल खगोलदर्शी की अपेक्षा कम परिशुद्धता के साथ एस्ट्रोसैट के माध्यम से हो पाएगी।

प्रक्षेपक वाहन

• यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपक यान पी. एस. एल. वी. -सी 30 दव्ारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। इसके साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका के छह लघु उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया।

• यह प्रथम अवसर है, जब किसी भारतीय प्रक्षेपक यान के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका के उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया।

• यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपक यान (पी. एस. एल. वी.) की लगातार 30वीं सफल उड़ान थी।

वैज्ञानिक अनुसंधन . का केन्द्र बिंदु

न्यूट्रॉन तारे और ब्लैक (काला) होल (छेद) से संबंधित दव्-तारक तंत्र में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं को समझना।

• न्यूट्रॉन तारों के चुम्बकीय क्षेत्र का आकलन करना।

• तारों के उद्धव वाले क्षेत्रों का पता लगाना। हमारी आकाश गंगा की सीमा से परे स्थित तारक तंत्रों में उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।

• आकाश में मद्धिम चमक वाले नए एक्स-रे स्रोतों की पहचान करना।

• पराबैंगनी क्षेत्र में सीमित रूप से ब्रह्याण्ड का गहन सर्वेक्षण करना।

महत्व

• यह एक साल बाद विशिष्ट उद्देश्य आधारित अनुसंधान कार्यो को संपन्न करने वाली मुक्त प्रयोगशाला होगी।

• राष्ट्र के खगोल विज्ञान संबंधित वैज्ञानिक समुदाय के मनोबल को ऊँचा उठाने के साथ ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करेगी।

• इस प्रकार भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, रूस और जापान जैसे देशों के विशिष्ट समूह में सम्मिलित हो जाएगा।