पुन प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (Self Navigating Pilot – Science and Technology)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

आरएलवी-टीडी का हाल ही में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया जिसमें स्वायत नेविगेशन (विमान संचालक) , मार्गदर्शन और नियंत्रण, पुन: प्रयोज्य सुरक्षा प्रणाली और पुन: प्रवेश मिशन प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण प्रोद्योगिकियाँ शामिल हैं।

विशेषताएं एवं महत्व

§ एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण प्रणाली (आरएलएस या पुन: प्रयोज्य यान, आरएलवी) किसी पेलोड को अंतरिक्ष में एक से अधिक बार प्रक्षेपित करने में सक्षम होती है।

§ मॉडल (नमूना) की लंबाई 6.5 मीटर और भार 1750 किलोग्राम है तथा डिजाईन (रूपरेखा) किसी डेल्टा (नदी का मुहाना जहाँ नदी कई भागों में बँट जाती है) आकार के डैने वाले (डेल्टा वींगड) हवाई ज़हाज की तरह हैं। परिचालन के समय आरएलवी लगभग लगभग 40 मीटर लंबा होगा और इसके लिए 5 किमी लंबे लैंडिंग रनवे की आवश्यकता होगी। संभव है कि 2030 से यह पूरी तरह से काम करने लगे। इसने हाइपरसोनिक उड़ान, पुन: प्रवेश वायु उष्मागतिकी, स्वायत मिशन प्रबंधन एवं उष्मीय सुरक्षा के लिए तप्त संरचनाओं इत्यादि में सफलता प्रदर्शित की है।

आरएलवी-टीडी के विषय में

§ अंतरिक्ष में प्रवेश की लागत अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग में प्रमुख बाधा रही है। आरएलवी कम लागत का है और विश्वसनीय एवं मांग आधारित अंतरिक्ष प्रवेश हासिल करने में सहायक है।

§ आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन की एक श्रृंखला का हिस्सा है जिसे टू स्टेज टू ऑर्बिट (टीएसटीओ) को पूर्णत: पुन: प्रयोज्य यान बनाने की दिशा में पहला कदम माना गया है।

§ आरएलवी-टीडी का विन्यास एक विमान के विन्यास के ही समान है तथा यह एक प्रक्षेपण यान और एक वायुयान दोनों की जटिलताओं का संयोजन है।

§ एक डेना युक्त आरएलवी-टीडी बनाया गया है जो ब्रीथिंग (श्वसन) प्रोपल्शन का इस्तेमाल कर हाइपरसोनिक उड़ान, ऑटोनोमस (स्वायत्त/अपने आंतरिक मामलों मेें स्वतंत्र) लैंडिंग (अवतरण) , पावर्ड (श्क्ति) क्रूज (पर्यटन के लिए समुद्री यात्रा) फ्लाइट (उड़ान) जैसी प्रौद्योगिकियों के मूल्यांकन हेतु फ्लांइग (फेंकना) टेस्ट (योग्यता की परीक्षा/परीक्षण) बेड (तलहटी) के रूप में कार्य कर सके।

§ इन प्रौद्योगिकियों को प्रायोगिक उड़ानों की एक श्रृंखला के जरिये कई चरणों में विकसित किया जाएगा। इस श्रृंखला की पहली प्रायोगिक उड़ान हाइपरसोनिक फ्लाइट (उड़ान) एक्सपेरिमेंट (वैज्ञानिक प्रयोग) है।

§ इसके पश्चात लैंडिंग एक्सपेरिमेंट, रिटर्न फ्लाइट (वापस उड़ान) एक्सपेरिमेंट एवं स्कैमजेट प्रोपल्शन एक्सपेरिमेंट जैसी प्रायोगिक उड़ाने संपन्न की जाएगी।

आरएलवी-टीडी के उद्देश्य

§ विंग बॉडी (हवाई जहाज का पंख, शरीर) का हाइपरसोनिक वायु उष्मागतिकी विवरण

§ स्वायत नेविगेशन (विमान संचालक) , मार्गदर्शन और नियंत्रण योजनाओं का मूल्यांकन

§ एकीकृत उड़ान प्रबंधन

§ उष्मीय सुरक्षा प्रणाली मूल्याकंन

हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी एवं स्कैमजेट इंजन के विषय में

§ हाइपरसोनिक विमानन प्रौद्योगिकी में 5 मैक से अधिक की गति शामिल होती है।

§ हाइपरसोनिक गति पर उड़ने के लिए सुपरसोनिक दहन इंजन रैमजेट या स्कैमजेट जैसे अलग प्रकार के इंजनों की आवश्यकता होती है।

§ जेट इंजन के विपरीत जहाँ घूमता हुआ कंप्रेसर (दबाव) और टरबाइन इस्तेमाल होता है, स्कैजेट इंजन में वायुयान के अग्र भाग के नीचे, इनलेट के भीतर तथ फ्यूजलेज के नीचे वायु प्रघाती तरंगों की जटिल प्रणाली दव्ारा संपीडित एवं विरलित की जाती है।

§ यह ईंधन के लिए वातावरण से प्राप्त ऑसीजन का उपयोग करता है।

§ यह इसे इंधन ले जाने वाले राकेटो (अंतरिक्ष यानों) से हल्का एवं तीव्रतर बनाता है और उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए राकेट की जगह इसे एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है।

§ यह पृथ्वी के वायुमंडल में हवाई यात्रा को तीव्रतर एवं सस्ता बनाने में सहायक होगा।