किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) विधेयक 2015 (Juvenile Justice Bill 2015 – Law)

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• किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2000 की जगह लेने वाले किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) विधेयक, 2015 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, जिसकी आयु 16 और 18 वर्ष के बीच है और जो एक जघन्य अपराध (ऐसा अपराध जिसके लिए भारतीय दंड संहिता में 7 वर्ष या उससे अधिक की सजा निश्चित की गयी है) का आरोपी है, और यदि जुवेनाइल जस्टिस (न्याय) बोर्ड (मंडल) दव्ारा एक प्रारंभिक जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि अपराध करते समय आरोपी परिणामों से पूरी तरह अवगत था, तो उस व्यक्ति पर जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम के तहत नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

• किशोर न्याय बोर्ड (मंडल) (जेजेबी) और बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) प्रत्येक जिले में गठित की जाएगी। जेजेबी यह निर्धारित करेगा कि किशोर अपराधी को पुनर्वास के लिए भेजा जाए या एक वयस्क की तरह उस पर मुकमदमा चलाया जाये सीडब्ल्यूसी देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए संस्थागत देखभाल का निर्णय करेगी।