भारत में विस्फोटक पदार्थों का नियमन (Regulation of Explosive Materials in India – Science and Technology)

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अधिनियम/नियम कानून

• विस्फोटक अधिनियम-1884

• ज्वलनशील पदार्थ अधिनियम -1952

• विस्फोटक नियम-2008

सुर्खियों में क्यों?

• मध्य प्रदेश में जिलेटिन छड़ों के भंडार में विस्फोट होने से सौ से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना ने, विस्फोटक पदार्थों के विनियमन की प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। घटना देश भर में इन पदार्थो की खरीद और बिक्री पर बेहतर निगरानी और नियंत्रण की मांग करती है।

नियमन से संबंधित मुद्दे

• विस्फोटक पदार्थों की ब्रिकी एवं परिवहन का नियमन पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा विभाग (पेसो) दव्ारा किया जाता हैं जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता हैं।

जिलेटिन छड़ें क्या हैं?

यह एक विस्फोटक पदार्थ है। इनकी खोज डायनामाइट (बड़ी शक्ति का विस्फोटक पदार्थ) की खोज के लिए प्रसिद्ध अल्फेरड नोबल के दव्ारा की गई थी। बिना डिटोनेटर (विस्फोटक उपकरण) के इनमें विस्फोट नहीं कराया जा सकता । यही कारण है कि इनका भंडारण आसान है।

• पूरे देश में विस्फोटक पदाथों की निगरानी, एक केन्द्रीय संगठन दव्ारा किये जाने पर इसकी क्षमता के संदर्भ में प्रश्न चिह्न लग जाता हैं।

• प्रभावी नियमन के लिए इस एजेन्सी को कम्प्यूटरीकृत किया जाना चाहिए।

• एक ऐसे तंत्र को बनाये जाने की आवश्यकता हैं जो तात्क्षणिक रूप से पुलिस एवं जिलाधिकारी को विस्फोटकों की खरीद एवं बिक्री पर निगरानी रखने में मदद कर सके।

पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन

उद्देश्य

• विस्फोटक अधिनियम 1884 तथा पेट्रोलियम अधिनियम 1934 के अंतर्गत प्रत्यायोजित दायित्वों एवं उसके अधीन निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, स्वामित्व: विस्फोटकों, पेट्रोलियम उत्पादों एवं कंप्रेस्ड (दबाव) गैसों के इस्तेमाल और बिक्री से संबंधित नियमों को प्रशासित करने के लिए।

• केंद्र सरकार, राज्यों, स्थानीय निकायों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों (कार्यस्थानों) , उद्योग, व्यापार और इन उत्पादों के अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए परिचालन और तकनीकी परामर्श एवं सहायता प्रदान करना है।

• विस्फोटक, पेट्रोलियम, कैल्शियम (एक रासायनिक पदार्थ, चूने का तत्व) के कार्बाइड, ज्वलनशील पदार्थों आदि के विनिर्माण, परिवहन एंव भंडारण के क्षेत्रों में सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।

• बीआईएस, ओआईएसडी एवं अन्य शीर्ष निकायों के सहयोग से सार्वजनिक सुरक्षा के संबंध में राष्ट्रीय मानकों का निर्माण तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ भारतीय मानकों का सामंस्य स्थापित करना।