इंडियन (भारतीय) वेर्स्टन (पश्चिमी) फिलोसोपी (दर्शन) (Indian Western Philosophy) Part 20 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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धूर्त चार्वाको का-

अरिस्टीिपस चावार्को के सबसे नजदीक।

Types of Sukhvad

Types of Sukhvad
निकृष्ठस्वार्थमूलकसुखवाद
अर्थात सुखों में गुणभेद नहीं है केवल मात्रा भेद हैसिर्फ अपने सुखों का सोचना, वेंथम यहां पर अलग है समाज के बारे में कहता है।नैतिक सुख प्राप्त
निकृष्ट परार्थ मूलक सुखवाद

मिल का सुखवाद-उत्कृष्ठ परार्थमूलक सुखवाद

मूल्यांकन

mill՚s sukhvad

Mill՚s Sukhvad
+ जीवनजीवन
पूरी नीति मीमांसा इहलौकवादी है

आधुनिक युग की मान्यताओं के अनुरूप है

समाज के प्रति जिम्मेदारी का भाव नहीं।
कर्मकांडो का विरोध करना एक आधुनिक दृष्टि से, विशेष रूप से दोनों को अनावश्यक दबावों से की कोशिश।सुखभोग पर इतना बल देने से व्यक्ति की संवेदन शीलता नष्ट होने लगती है वह दूसरे के दुखों के प्रति चिंता शील नहीं हो पाता।
प्रकृति में यर्थात के नजदीक है, प्राय: माना ही गया है कि मनुष्य की भी कोशिशें सुख प्राप्त करने विभिन्न प्रयास है।उधार लेकर ही पीने जैसे सिद्धांत व्यक्ति को ऋण दुष्चक्र में फंसा सकते है।

नारीवादी दृष्टि से देखे तो यह नीति मीमांसा सिर्फ पुरुषों के पक्ष में, नारी को इसमें सिर्फ योग्य वस्तु के रूप में देखा गया है।

बलि-ब्राहमण-बलि वाला पशु सीधें स्वर्ग जाता है। अगर बलि वाला प्शु सीधे स्वर्ग जाता है तो ब्राहमणों को चाहिए कि वे अपने मां बाप की बलि दे ताकि वे सीधें स्वर्ग जाए-चावार्क।

मोक्ष-आत्मा को नहीं मानते सो मोक्ष भी खारिज।

काम-काम सभी प्रकार के सुखवादी नीति मीमांसा। (यावत जीवेत सुखम जीवों का ऋण कृत्वा धूर्त पीवेत भस्मीयभूतर्स्य देहस्य आगमन कृत:)

dhurt chavak and sushikshit

Dhurt Chavak and Sushikshit
धूर्त चार्वाकसुशिक्षित
एकमात्र पुरुषार्थ

सुखों में सिर्फ मात्रात्मक भेद को मानते है गुणात्मक नहीं

इन्होंने मान लिया कि सुखों में गुणात्मक भेद भी होता है। वैथम ने भी यही कहा।
पान मदिरापरोपकारध्यानयोगवात्सायन सुशिक्षितवादी
जिसका अर्थ है व्यक्ति को जिस सुख में ज्यादा आनंद मिलता है व्यक्ति को उसी सुख की प्राप्ति करनी चाहिए।

जैसे-मदिरापान का सुख और यौन सुख किसी भी तरह निम्न कोटी के नहीं है।

“पीत्वा-पीत्वा पुन: पीत्वा यावत्पतरि भूत लें”

तत्काल सुख का महत्व बाद में मिलने वाले बढ़े सुख से बेहतर है।

अभी मिलने वाला निश्चित सुखवाद के अनिश्चित सुख सें बेहतर हैं।

आज जो कबूतर, हाथ में है वो बेहतर है कल मोर मिलेगा यह किसने देखा?