आचार संहिता (Code of Ethics – Part 2)

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नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठ और अभिरुचि

यदि किसी सार्वजनिक अधिकरण दव्ारा मान्यता प्राप्त संस्थान, पंजीकृत समाज अथवा धर्मार्थ निकाय के लिए अभीष्ट कोई पर्स या चैक प्रस्तुत किया जाता है तो उसे वह यथासंभव शीघ्र ही उस संगठन को सौंप देगा जिसके लिए यह अभीष्ट है।

(ख) स्वयं की सार्वजनिक प्राधिकरण दव्ारा मान्यता प्राप्त किसी पंजीकृत सोसाएटी (समाज) अथवा धर्मार्थ निकाय अथवा संस्थान और राजनीतिक दल से प्राप्त किसी लाभ को छोड़ कर किसी अन्य कोषों को जमा करने से संबंद्ध नहीं रहेगा। फिर भी वह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे चन्दों को, संबंधित दल की सोसाएटी या निकाया या संस्थान के विशिष्ट पदाधिकारियों को भेज दिया जाता है और न कि स्वयं उसी को। उपर्युक्त निधियों के वितरण के लिए परिचालन से संबद्ध रहने से मंत्री को पूर्व कथित में से कोई नहीं रोक पाएगा।

3.2 केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के अन्य मंत्रियों सहित कोई भी मंत्री अपनी पत्नी/पति और उस पर आश्रित सदस्यों को विदेशी सरकार के अधीन, भारत में या विदेश में अथवा किसी विदेशी संगठन में (व्यापारिक कंपनियों सहित) प्रधानमंत्री पूर्व अनुमोदन के बिना कोई रोजगार स्वीकृत करने की अनुमति नहीं देगा। जहां किसी मंत्री की पत्नी या कोई आश्रित व्यक्ति पहले से ही ऐसे रोजगार को कर रहा हो तो ऐसे मामले में प्रधानमंत्री को यह निर्णय लेने के लिए सूचित किया जाना चाहिए कि इस रोजगार को जारी रखा जाए या नहीं। सामान्य नियम के रूप में, विदेशी मिशन (लक्ष्य) में रोजगार पर पूरी रोक होनी चाहिए।

4.1 कोई भी मंत्री

(क) अपने निकट के संबंधियों को छोड़कर किसी से भी मूल्यवान उपहारों को स्वीकार नहीं करेगा और वह या उसके परिवार के सदस्य किसी भी ऐसे व्यक्ति से उपहार बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करेंगे, जिनके साथ उसका सरकारी व्यवहार हो।

(ख) अपने परिवार के किसी सदस्य को किसी प्रकार के ऐसे संविदा ऋण देने की अनुमति नहीं देगा। जिससे उसके सरकारी कर्त्तव्यों के निष्पादन में अड़चन डलने या उस पर प्रभाव डलने की संभावना हो।

4.2 कोई भी मंत्री

(क) विदेश जाने पर अथवा भारत में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से उपहार स्वीकृत कर सकता है। ऐसे उपहार दो श्रेणियों में आते हैं। पहली श्रेणी में, वे उपहार शामिल किए जाएंगे, जो प्रतीकात्मक प्रकृति के हों, जैसे सम्मानजनक तलवार, समारोह में पहनेे जाने वाले वस्त्र आदि जिन्हें प्राप्तकर्ता अपने पास रख सकता है।

(ख) उपहारों की दूसरी श्रेणी में वे आते हैं, जो प्रतीकात्मक प्रकृति के न हों। यदि इसका मूल्य 5000/- रुपयों से कम हो तो मंत्री इसे अपने पास रख सकता है। तथापि उपहारों के अनुमानित मूल्य के बारे में कोई संदेह हो तो मामले को मूल्यांकन के लिए तोशखाना के पास भेज देना चाहिए। यदि उपहार का मूल्य इसके मूल्यांकन किए जाने पर निर्धारित 5000/- रुपयों के भीतर आता है तो उपहारों को मंत्री के पास वापस भेज दिया जाएगा। यदि यह मूल्य 5000/-रुपयों से अधिक आता है तो इसे तोशखाने से, प्राप्तकर्ता को तोशखाना दव्ारा आंके गए मूल्य और 5000/- रुपयों के अंतर का भुगतान करके खरीदने का विकल्प होगा।

(ग) गृह कार्य के केवल वही उपहार जो तोशखाना दव्ारा रखे जाते हैं जैसे कि दरियां चित्रकारी फर्नीचर आदि जिनका मूल्य 5000/- रुपयों, से अधिक हो, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री निवास या राज भवन में राज्य की संपदा के रूप में रखे जाएंगे।

4.3 किसी संगठन दव्ारा

किसी मंत्री/किसी ऐसे व्यक्ति जो मंत्री की हैसियत/पद पर हो, को कोई पुरस्कार प्रदान किया जा रहा हो, तो निम्नलिखित कार्य-प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए:

(क) पुरस्कार देने वाले संगठन के प्रत्ययपत्र का अध्ययन कर लिया जाना चाहिए।

(ख) यदि पुरस्कार देने वाले निकाय के प्रत्ययपत्र निर्दोष हो तो ऐसे पुरस्कार को स्वीकृत कर लेना चाहिए परन्तु उसके नकदी वाले भाग को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

(ग) यदि पुरस्कार मंत्री के पद पर रहने से पहले उसे व्यक्ति के काम से संबंधित हो तो ऐसे पुरस्कारों को स्वीकृत कर लिया जाना चाहिए परन्तु ऐसे सभी मामलों में यथास्थिति प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का विशिष्ट अनुमोदन ले लिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृह कार्य मंत्री से अनुमति लेनी पड़ेगी; और

(घ) ऐेसे उदाहरणों में, जहां मंत्री को किसी संगठन से ऐसा पुरस्कार लिया जाना हो, जिसके संबंध किसी विदेशी एजेंसियों (संस्थाओं) /संगठनों से हो तो ऐसे मंत्री/ उस व्यक्ति को जो मंत्री की हैसियत/पद पर हो, भारत के प्रधान मंत्री से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी।

4.4-मंत्री को

भारत में विदेशी मिशनों (लक्ष्यों) अथवा विदेश में आयोजित समारोहों में शामिल होने से संबंधित और संयुक्त राष्ट्र संगठनों को छोड़ कर ऐसे विदेशी न्यास, संस्थान या संगठन जिनका भारत सदस्य हो, की सदस्यता को स्वीकृत करने के लिए, प्रधानमंत्री दव्ारा समय-समय पर दिए गए अनुदेशों का पालन करना चाहिए।

5. मंत्री

(क) सरकारी दौरे पर जाते समय, जहां तक व्यवहार हो स्वयं के आवास में अथवा, सरकारी उपक्रम लोक निकायों दव्ारा या सस्थानों दव्ारा देखभाल कर रहे आवासों में रहना चाहिए (जैसे कि सर्किट हाउस, डाक बंगला आदि) या मान्यता प्राप्त होटलों (सराय/धर्मशाला) में रहना चाहिए और

(ख) यथासंभव अपने सम्मान में दी गई भड़कीली और खर्चीली पार्टियों (दावत) में जाने से बचना चाहिए।

6. आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने वाला प्राधिकारी

केन्द्रीय मंत्रियों के मामले में प्रधानमंत्री, मुख्य मंत्रियों के मामले में प्रधान मंत्री और गृह मंत्री तथा राज्य के मंत्रियों के मामले में संबंधित मुख्य मंत्री होगा, सिवाय इसके कि जहा अन्यथा उल्लिखित किया गया हो। उक्त प्राधिकारी इस संहिता के किसी तथा कथित या संदेहात्मक अतिक्रमण का निर्धारण करने या निपटाने के लिए प्रत्येक मामले के तथ्यों और हालातों के अनुसार ऐसी कार्य-प्रणाली को अपनाएगा, जिसे वह ठीक समझे।