डार्क मैटर एवं डार्क एनर्जी (Dark Matter and Dark Energy – Science and Technology)

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• मोटे तौर पर ब्रह्यांड के द्रव्यमान का 80 प्रतिशत ऐसी सामग्री से बना है जिसका वैज्ञानिक प्रत्यक्ष अवलोकन नहीं कर सकते और ऐसे ही पदार्थ को डार्क मैटर के नाम से जाना जाता है।

पृष्ठ भूमि

• 1950 के दशक में अन्य आकशगंगाओं के अध्ययन ने सर्वप्रथम यह संकेत दिया है कि जितना हम देख सकते हैं ब्रह्यांड उससे कही अधिक मात्रा में पदार्थ धारण किए हुए है।

• ब्रह्यांड की परिचित सामग्री, बेरियोनिक पदार्थ के रूप में जानी जाती है जो कि प्रोटॉन, न्यूट्रॉन (भौतिकी, परमाणु के नाभिक में पाया जाने वाला विद्युत आवेश रहित कण) और इलेक्ट्रॉन (परमाणु में उपस्थित ऋण विद्युत आवेश युक्त द्रव्य) से निर्मित है। डार्क मैटर बेरियोनिक या गैर-बेरियोनिक पदार्थो का बना हुआ हो सकता है।

• ब्रह्यांड के सभी तत्वों को एक स्थान पर बने रहने के लिए यह आवश्यक है की इसका 80 प्रतिशत भाग डार्क मैटर का बना हो।

• नियमित बोरियानिक तत्वों से बने पदार्थ की तुलना में इस अज्ञात एवं अपरिचित डार्क मैटर को पता लगाना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

• अधिकांश वैज्ञानिकों का मानना है कि डार्क मैटर गैर-बेरियोनिक पदार्थ से बना है।

प्रमाण

• वैज्ञानिक अंतरिक्ष में बड़े पिंडों के द्रव्यमान की गणना उनकी गति के अध्ययन दव्ारा करते हैं।

• 1950 के दशक सर्पिल आकाशगंगाओं का परीक्षण कर रहे वैज्ञानिकों को बाहरी परिधि के पदार्थ की तुलना में केन्द्र पर स्थित पदार्थ को तीव्र गति करते हुए देखने की आशा थी।

• इसके बजाय उन्होंने पाया कि दोनों स्थानों में तारे समान गति से यात्रा कर रहे थे, यह संकेत था कि आकाशगंगाओं में प्रेक्षण योग्य द्रव्यमान से अधिक द्रव्यमान निहित है।

• दीर्घवृत्ताकार आकाशगंगाओं के भीतर गैस के अध्ययनों से भी यह संकेत मिला कि दृश्य वस्तुओं में निहित द्रव्यमान से अधिक द्रव्यमान का होना अत्यंत आवश्यक है।

• यदि इन आकाशगंगाओं के समूहों में केवल उतना ही द्रव्यमान होता जितना खगोलीय प्रेक्षणों में दिखता है तो ये कब का एक दूसरे से दूर जा चुके होते।

• ये सभी विधियाँ इस बात का प्रबल संकेत देती हैं कि अभी भी ब्रह्यांड का अधिकांश पदार्थ देखा नहीं गया है।

डार्क मैटर बनाम डार्क एनर्जी

• हालांकि डार्क मैटर ब्रह्यांड के अधिकांश पदार्थ का निर्माण करता है, परन्तु यह इसके संघटन का केवल एक चौथाई भाग ही है। ब्रह्यांड में वस्तुत: डार्क एनर्जी का प्रभुत्व है।

• बिग बैंग की परिघटना के बाद, ब्रह्यांड का विस्तार होना प्रारंभ हुआ। वैज्ञानिकों ने एक बार यह सोचा कि गुरुत्वाकर्षण दव्ारा वस्तुओं को अंदर खींचे जाने की वजह से अवमंदित होते हुए अंतत: इसकी ऊर्जा समाप्त हो जाएगी।

• लेकिन सुदूर स्थित सुपरनोवा के अध्ययन से पता चला है कि ब्रह्यांड अतीत की तुलना में आज कही अधिक तेजी से विस्तार कर रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस विस्तार में त्वरण है।

• यह तभी संभव हो सकता है अगर ब्रह्यांड पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उबरने के लिए पर्याप्त ऊर्जा (डार्क एनर्जी के रूप में) धारण करे।