बौद्धिक संपदा बनाम प्रतिस्पर्धा कानून (Intellectual Property vs. Competition Law) for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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सुर्ख़ियों में क्यों?

  • विश्व प्रतिस्पर्धा दिवस 5 दिसंबर को मनाया गया।
  • आईपीआर को प्राय: प्रतिस्पर्धा कानून को दरकिनार करने वाले विषय के रूप में देखा जाता है और समय-समय पर यह विवाद उठता है कि क्या यह उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए समान रूप से बेहतर है।
  • भारत ने पेटेंट (अधिकार पत्र) अधिनियम, 1980 की धारा 84 के तहत Nexavar के उत्पादन के लिए Bayer (खंड) के बजाय NATCO को अनिवार्य लाइसेंस (अनुमति) प्रदान किया है। Bayer के कैंसर-रोधी दवा Nexavar के लिए पेटेंट (एकस्व संबंधी) था।

आईपीआर (बौद्धिका संपदा अधिकार) क्या है?

  • बौद्धिका संपदा अधिकार सृजनकर्ता को उनके सृजन के उपयोग के लिए दिया गया अधिकार है। इसका उद्देश्य रचनात्मक और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
  • इसमें नई दवा संयोजन/घटकों, व्यापार प्रतिरूप, उत्पाद, सॉफ्टवेयर और कई अन्य सृजनात्मकताओं को भी शामिल किया जा सकता हैं।
  • बौद्धिका संपदा के कुछ पहलुओं में पेटेंट (एकस्व संबंधी) , ट्रेडमार्क (व्यापार चिन्ह) , कॉपीराइट (सर्वाधिकार) , भौगोलिक संकेतक और औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं।

प्रतिस्पर्धा कानून क्या है?

  • प्रतिस्पर्धा कानून माल, सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के विभिन्न आपूर्तिकर्ताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर बाजार बाधाओं को हटाने और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने का कार्य करता है।
  • भारत का प्रतिस्पर्धा कानून, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में बनाया गया था जिसे बाद में 2007 में संशोधित किया गया।
  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम के अंतर्गत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली गतिविधियों को रोकता है। बाजार में प्रतिस्पर्धा को बनाये रखता है और बढ़ावा देता है। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है और प्रतिभागियों के लिए व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।

आईपीआर संवर्द्धन और प्रबंधन सेल

  • आईपीआर प्रमोशन (पदोन्नति) एंड (और) मैनेजमेंट (प्रबंध) सेल (बिक्री) (सीआईपीएएम) का गठन डीआईपीपी के अंतर्गत एक पेशेवर संगठन के रूप में किया गया है।
  • यह राष्ट्रीय आईपीआर नीति के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाएगा।
  • सीआईपीएएम, देश में आईपीआर के बारे में जन जागरूकता उत्पन्न करने की दिशा में कार्य कर रहा है। यह सुगमता के माध्यम से आईपीआर फाइलिंग (दाखिल/नत्थीकरण) को प्रोत्साहित कर रहा है। इसमें आईपी परिसंपत्तियों के व्यावसायीकरण के लिए अन्वेषकों को एक मंच प्रदान करने की बात की गई है। साथ ही इसमें सरकारी मंत्रालयों/विभागों और अन्य हितधारकों के सहयोग से राष्ट्रीय आईपीआर नीति के कार्यान्वयन और समन्वय के लिए भी पहल की गई है।