Important of Modern Indian History (Adunik Bharat) for Hindi Notes Exam

Get top class preparation for CTET-Hindi/Paper-1 right from your home: get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

CHAPTER: 1857 Revolt

विपिन चंद्र

1857 का विद्रोह

  • 29 मार्च, 1857 ई. को मंगल पांडे (39 वीं नेटिव इन्फैंट्री का जवान) नामक सैनिक ने बैरकपुर में गाय की चर्बी मिले कारतूस को मुँह से काटने से मना किया और सार्जेट मेजर पर गोली चला दी। 8 अप्रैल को फाँसी दे दी गईं।
  • बहरानपुर की 19वीं नेटिव इन्फैंट्री ने भी राइफलों का इस्तेमाल करने से मना किया, इसे मार्च में भंग कर दिया गया।
  • 7वीं अवध रेजिमेंट के जवानों ने भी अफसरों का आदेश मानने से इंकार किया, इसे भी भंग कर दिया गया।
  • 10 मई, 1987 को मेरठ की पैदल टुकड़ी 20 N. Iसे 1857 ई. की क्रांति की शुरुआत हुई। इन्होंने भी अफसरों का आदेश मानने से इकांर किया व उनकी हत्या कर दी।
  • 11 मई, को मेरठ के सिपाही दिल्ली पहुँचे, व मुगल सम्राट बहादुरशाह दव्तीय को खुद को शहंशाह-ए-हिन्दुस्तान घोषित करने के लिए राजी किया, जो ईस्ट इंडिया कंपनी से पेंशन पा रहे थे।
  • सिपाहियों दव्ारा दिल्ली पर कब्जा कर लिया गया व एजेंट साइमन फ्रेज़र समेत सैकड़ों अंग्रेज मारे गये।
  • दिल्ली पर कब्जे के बाद यह समूचे उत्तर भारत और पश्चिम व मध्य भारत में फैला। (दक्षिण भारत अछूता रहा)
  • कंपनी के 2 लाख 32 हजार 224 सिपाहियों में से आधे ने रेजिमेंट छोड़ दिया।
  • कानपुर में अंतम मराठा पेशवा बाजीराव दव्तीय के दत्तक पुत्र नाना साहब (अंग्रेजो ने उत्तधिकारी नहीं माना) लखनऊ में बेगम हजरतमहल (बेटे बिरजीस कादिर ने खुद को नवाब घोषित किया) ने नेतृत्व संभाला।
  • बरेली में रूहेलखंड के भूतपूर्व शासक के उत्तराधिकारी खान बहादुर ने कमान संभाली व करीब 40 हजार सैनिक को संगठित कर अपनी सेना बनाई।
  • बिहार, जगदीशपुर के जमींदार कुँवर सिंह, दीनापुर से आरा पहुँची सिपाहियों के साथ हो गए।
  • रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी में कमान सँभाली। लॉर्ड डलहौजी ने उनके दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर विलय की नीति के तहत राज छीन लिया। मद्रास के सैनिक अंग्रेजों के प्रति निष्ठावन बने रहे।

कारण:-

  • सैनिक छावनियों की सेवा शर्ते मुख्यत उत्तर-दक्षिण प्रांतों व अवध के ऊँची जाति के हिन्दू सिपाहियों के धार्मिक विश्वासों व पूर्वागहों को ठेस पहुँचाती थी। हिन्दुओं के लिए समुद्र पार करने का मतलब उनके धर्म का नष्ट होना था। 1824 में बैरकपुर की 47वीं रेजिमेंट को बर्मा जाने का आदेश दिया गया, तो इसका धार्मिक विरोध (पहला) हुआ, विरोधी सिपाहियों को फाँसी दे दी।
  • अफ़गान युद्ध के दौरान सिपाहियों को कुछ भी खाने पर मजबूर किया गया, जिससे उन्हें बिरादरी से निकाल दिया गया।
  • सीताराम नामक सिपाही को गाँव व बैरक से जात बाहर घोषित किया गया।
  • आटे में हड्‌डी का चूरा व ‘इनफील्ड राइफल’ के प्रयोग से सिपाही क्षुब्ध थे।
  • आर्थिक स्थिति भी उनकी खराब थी पैदल सेना को 7 रू. व घुड़सवार 27 रू. मिलते थे। गोरे-काले का भेद किया जाता था।
  • T. R. होम्स- “सिपाही जानता था कि वह चाहे जितनी कर्तव्यनिष्ठा दिखाए, चाहे जितना बहादुर सैनिक बन जाए, उसे अंग्रेज सैनिक के बराबर वेतन कभी नहीं मिलेगा। 30 वर्ष की कर्तव्यनिष्ठ सेवा भी उसे अंग्रेज अफसर का मातहत होने से बचा नहीं सकेगी।”
  • नए भू- राजस्व कानून के सैनिकों को बहुत प्रभावित किया।
  • उत्तर-पश्चिम प्रांतों और अवध में मुजफ्फरनगर और सहारनपुर को छोड़कर बाकी सारे स्थानों पर सिपाहियों के विद्रोह के साथ जनता भी हो गयी।
  • विद्रोह के मुख्य केन्द्र अवध में तालुकदारों के सारे अधिकार छीन लिए गए।
  • जनता (हिन्दू-मुसलमान) को लगा सामाजिक परिवर्तन के नाम पर कानून बना कर अंग्रेज उनके धर्म और संस्कृति को नष्ट कर उन्हें ईसाई बनाना चाहती है।
  • 1857 का विद्रोह सिपाहियों के विद्रोह एवं जनता के विद्रोह से उपजा था, यह सुनियोजित विद्रोह नहीं था।
  • दिल्ली पर कब्जा होते ही आसपास के सभी राज्यों के शासकों को चिट्‌टी भेज समर्थन की कामना की एवं दिल्ली में एक प्रशासनिक अधिकरण बनाया गया जिनमें 6 सेना व 4 नागरिक विभाग के 10 सदस्य लिए गए।
  • बहादुरशाह के नाम पर सिक्के ढाले गए और आदेश जारी किए जाते थे।

विद्रोह के असफलता का कारण:-

  • नए हथियार और गोला-बारूद की कमी।
  • देशवासियों के साथ की कमीं।
  • पढ़े-लिखे लोग और भारतीय शासक अंग्रेजों की मदद कर रहे थे।
  • आधे भारतीय सिपाहियों ने विद्रोह नहीं किया।
  • 5 दोस्तों की मदद से (1700 ब्रिटिश व 3200 भारतीय सैनिक) दिल्ली पर पुन: कब्जा किया गया।
  • झाँसी की रानी, कुँवर सिंह व मौलवी अहमदुल्ला को छोड़ विद्रोहियों को अपने नेताओं से खास मदद नहीं मिली।
  • बहादुरशाह और जीनत महल को सिपाहियों पर भरोसा नहीं था, वे ब्रिटिश अधिकारियों से बातचीत चला रहे थें।
  • मानसिंह जैसे तालुकदार ने कई बार अपनी वफादारी बदली।
  • जॉन लारेंस- “अगर उनमें (विद्रोहियों) में से एक भी योग्य नेता निकला होता, तो हम सदा के लिए हार जाते।”
  • सबसे पहले दिल्ली (20 सितंबर, 1857) का पतन हुआ। हुमायूँ के मकबरे से बहादुरशाह को पकड़ कर मुकदमा चला वर्मा भेज दिया गया।
  • 17 जून, 1857 को झांसी की रानी ने युद्ध क्षेत्र में प्राण गवाएं।
  • जनरल लूग (झांसी की रानी की पराजित किया था) - यहाँ वह औरत सोई हुई है, जो विद्रोहियों में एकमात्र मर्द थी।
  • नाना साहेब 1859 में नेपाल चले गए, आत्मसमर्पण नहीं किया।
  • कुँवर सिंह ने अंत तक पता नहीं लगने दिया वे कहाँ है, 9 मई 1858 को मृत्यु हो गई।
  • तात्याँ टोपे-अप्रैल 1859 तक गुरिल्ला लड़ाई लड़ते रहे, एक ज़मींदार के धोखे के कारण अंग्रेजों ने पकड़ लिया। 18 अप्रैल 1859 को शिवपुरी में फाँसी दी गई।