समाज एवं धर्म सुधार आंदोलन (Society and Religion Reform Movement) Part 1 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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भूमिका

इतिहास वेत्ताओं ने 19वीं सदी के धर्म एवं समाज सुधार आंदोलन का विश्लेषण दो पृथक रूपों में किया है। कुछ विदव्ानों का अभिमत है कि यह एक प्रकार का पुनरुत्थानवादी आंदोलन था तो कुछ लोग इसे पाश्चात्य प्रभाव में विकसित केवल एक सुधारवादी आंदोलन मानते हैं। यहाँ इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पाश्चात्य विज्ञान, प्रगतिशील विचारधारा एवं तकनीकी ज्ञान को अपनाने की दृढ़ इच्छा निश्चित रूप से सुधारवादियों के मस्तिष्क में थी परन्तु वे भारतवर्ष की प्राचीन गौरवशाली परंपराओं से भी उतने ही अभिप्रेरित थे।

जहाँ तक धर्म एवं समाज सुधार आंदोलन के मुख्य कारणों का प्रश्न है, उसमें प्रमुख हैं- पाश्चात्य चिंतन, दर्शन का प्रभाव, अंग्रेजी शिक्षा का सकारात्मक पक्ष, इंडो-लोजिकल (तर्कसंगत) स्टवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू डीज (अध्ययन करते हैं) का विकास एवं एशियाटिक (एशियावासी) सोसायटी (समाज) जैसी संस्थाओं दव्ारा प्राचीन भारतीय संस्कृति की घोषणा एवं ईसाई मिशनरी के विरुद्ध वैचारिक प्रतिक्रिया।