जीएसएलवी डी-6 का सफल प्रक्षेपण (GSLV D − 6 Successfully Launched Science and Technology)

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• स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज (चरण/पड़ाव) के साथ जीएसएलवी श्रृंखला का यह लगातार दूसरा सफल प्रक्षेपण है। इसके पहले जनवरी में जीएसएलवी डी-5 का सफल प्रक्षेपण हुआ था।

• इसरो (आईएसआरओ) अगले साल के अंत तक जीएसएलवी एमके-lll के परीक्षण की योजना बना रहा है यह चार टन तक का भार ले जाने में सक्षम है।

क्रायोजेनिक चरण और अन्य दूसरे चरणों के बीच का अंतर

• दूसरे चरणों की तुलना में क्रायोजेनिक चरण बहुत ही जटिल है। क्योंकि इसमें अत्यंत कम तापमान पर क्रिया होती है साथ ही इससे संबंधित उष्मीय और संरचनात्मक चुनौतियां भी हैं। एक क्रायोजेनिक रॉकेट अधिक कुशल होता है और यह सामान्य रॉकेट की तुलना में प्रति किलो ईंधन पर ज्यादा बल (थ्रस्ट) प्रदान करता है।

महत्व

• जीएसएलवी से प्रक्षेपण का खर्च विदेशी एजेंसियों (कार्यस्थान) दव्ारा प्रक्षेपण कराने पर होने वाले खर्च का सिर्फ एक तिहाई होगा। इससे उपग्रह प्रक्षेपण लागत कम हो जाएगी और साथ ही विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।

• यह करोड़ों डॉलर (अमेरिका आदि की मुद्रा) के वाणिज्यिक प्रक्षेपण बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धी बनने की क्षमता में वृद्धि करेगा। इससे विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलेगी।

• जीएसएलवी इसरो को जीसैट श्रेणी के भरी संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण में समर्थ बनाएगा।