एन्क्रिप्शन (कूटबद्धीकरण) नीति का मसौदा (Draft of Encryption Policy – Policies)

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• सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 84-ए के तहत एन्क्रिप्शन के तरीकों और प्रक्रियाओं के लिए नियम तैयार किया जाना है। इस संबंध में सरकार दव्ारा गठित एक विशेष समूह दव्ारा राष्ट्रीय एन्क्रिप्शन नीति का मसौदा तैयार किया गया।

• इसका उद्देश्य साइबर स्पेस (शून्य जगह) में व्यक्तिगत, कारोबार और सरकार के साथ-साथ राष्ट्रीय संवेदनशील सूचना तंत्र और नेटवर्क (जाल पर कार्य) के लिए सूचना सुरक्षा का वातावरण और सुरक्षित लेन-देन को समर्थ बनाना है।

एन्क्रिप्शन क्या है?

एन्क्रिप्शन किसी संदेश या सूचना को इस प्रकार कूटबद्ध करने की प्रक्रिया है जिससे कि इसे केवल अधिकृत व्यक्ति ही पड़ सके।

उदाहरण के लिए- “आईएएस” शब्द एन्क्रिप्टेड रूप में “जेबीटी” बन सकता है यदि “आईएएस” शब्द के प्रत्येक वर्ष को अंग्रेजी वर्णमाला के अगले वर्ण दव्ारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए। “आईएसएस” को सही ढंग से वही पड़ सकता है जिसे यह जानकारी है कि इसे कैसे कूटबद्ध किया गया है।

एन्क्रिप्शन के उपयोग

सभी मैंसेजिंग (संदेश) सेवाएं यथा व्हाट्‌स एप, वाइबर, गूगल चैट, याहू मैसेंजर एन्क्रिप्टेड सेवाओं का उपयोग करते हैं। बैंक और ई-कामर्स (वाणिज्य) साइट (स्थिति) भी पासवडर् (संकेत शब्द) सहित वित्तीय और निजी डेटा (आंकड़ा) की रक्षा के लिए एन्क्रिप्टेशन का उपयोग करते हैं।

भारत को एन्क्रिप्शन नीति की आवश्यकता क्यों है?

इंटरनेट संचार और लेनदेन की सुरक्षा तथा गोपनीयता सुनिश्चित करने हेतु एन्क्रिप्शन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए।

• परिस्कृत एन्क्रिप्शन प्रौद्योगिकी के युग में अपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों की जांच की सुविधा के लिए।

• एन्क्रिप्शन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, चूंकि यह वासेनार समझौते के तहत भारत के लिए अनुपलब्ध और प्रतिबंधित है।

• रिटेल (खुदरा) और ई-गवर्नेस (प्रशासन) में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाने, ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को ऑनलाइन (परिकलित्र से जुड़ा हुआ) कार्य संपादन के लिए प्रोत्साहित करने तथा देश के अविकसित साइबर सुरक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए।

• एन्क्रिप्शन के दुरुप्रयोग को रोकने के लिए।