तपन राय पैनल की सिफारिशें (Recommendations of Tapan Rai Panel-Economy)

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2013 के कंपनी (संघ) अधिनियम की समीक्षा करने के उद्देश्य से गठित किये गए तपन राय पैनल (तालिका) ने 2000 से अधिक सुझाव और सिफारिशें दी हैं। इनका उद्देश्य कंपनी अधिनियम, 1956 से लेकर कंपनी अधिनियम, 2013 तक के परिवर्तन को सुगम बनाना, इज (होना) ऑफ (का) डूइंग (काम) बिजनेस (कारोबार) तथा स्टार्ट-अप के लिए बेहतर माहौल प्रदान करना है।

मुख्य सिफारिशें

• 2013 के अधिनियम के अनुसार, एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अगर अपने शुद्ध लाभ का 11 प्रतिशत से अधिक प्रबंधकीय पारिश्रमिक के रूप में देना चाहे तो उसे इसके लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है। पैनल ने सिफारिश में इस प्रावधान को ख़त्म करने की माँग की है।

• सेबी और कंपनी (संघ) अधिनियम के डिसक्लोजर (प्रकटीकरण) मानकों के बीच सामंजस्य-स्वतंत्र निदेशक का कंपनी के साथ किसी भी तरह का आर्थिक संबंध नहीं होना चाहिए।

• “सहायक कंपनी” को नियंत्रक कंपनी की “कुल शेयर पूंजी” के बजाय नियंत्रक कंपनी के मताधिकार के सदंभ में पारिभाषित करना।

• धारा 2 (87) के तहत प्रावधान को हटाना, जो कंपनियों को दो स्तर से अधिक सहायक कंपनियों को बनाने से रोकता है।

• राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण के रूप में एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना करना, जो लेखा और लेखा मानकों से संबंधित मामलों के लिए सेवा प्रदान करेगी। इसे भारतीय सनदी लेखाकर संस्थान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

• स्टार्ट-अप को प्रदत्त पूंजी का 50 प्रतिशत उद्यम इक्विटी (निष्पक्षता) के रूप में जारी करने की अनुमति दी जानी चाहिए; मौजूदा प्रावधान में यह 25 प्रतिशत है।

• स्टार्ट-अप को उन प्रमोटरों के लिए कर्मचारी स्टॉक (भंडार) स्वामित्व योजना जारी करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो कर्मचारी या कर्मचारी निदेशक या पूर्णकालिक निदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।

• केवल वही धोखाधड़ी मामले जो 10 लाख रुपए या उससे ज्यादा के हो, या कंपनी के कुल टर्नओवर का एक फीसदी या उस से ज्यादा हो (दोनों में जो भी कम हो) , को ही धारा 447 के तहत दंडनीय हो सकते है।