Disaster Management: Nuclear Accidents and Mitigation Measures

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केस अध्ययन (Case Study)

हाल ही में जम्मू-कश्मीर के लेह तथा उत्तराखंड के बागेश्वर में बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सैकड़ों लोगों की जान चली गई तथा हजारों लोग बेघर हो गये। उत्तराखंड सरकार ने प्राकृतिक दृष्टि से संवेदनशील स्थलों पर डॉप्लर राडार लगाने का फैसला लिया। सर्वप्रथम देहरादून तथा नैनीताल जिलों में इसे लगाने से पूरे गढ़वाल और कुमाऊँ मंडल में मौसम के बिगड़ते मिजाज पर नज़र रखी जा सकती है तथा किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से निपटने के पूर्व-इंतजाम किये जा सकते हैं।

केस अध्ययन (Case Study)

जापान ने मार्च 2011 में भयावह भूकंप व सूनामी को झेला है। इसी के परिणामस्वरूप 14 मार्च 2011 को फुकुशिमा-दाइची परमाणु संयंत्र से रेडियोधर्मी रिसाव की भयंकरता को भी झेला। इतनी विपदाओं का जापान निवासियों ने सहजता से सामना किया। यदि भारत में ऐसी कोई आपदा आती है तो उसका सामना करने का तरीका जापानियों के अनुभव से सीख जा सकता है। 10 प्रमुख बाते जिन्हें हम जापानियों से सीख सकते हैं-

  • शांति-आपदा के बाद प्रसारित किसी भी मीडिया में छाती पीटते और पछाड़े मारते जापानी नहीं दिखे, उनका दु: ख कुछ कम न था पर जनहित के लिए उन्होंने उसे अपने चेहरे पर नहीं आने दिया।
  • गरिमा-पानी और राशन के लिये लोग अनुशासित कतारबद्ध खड़े रहे। कसी ने भी अनर्गल प्रलाप और अभद्रता नहीं की। जापानियों का धैर्य प्रशंसनीय है।
  • कौशल-छोटे मकान अपनी नींव से उखड़ गये और बड़े भवन लचक गए पर धराशायी नहीं हुए। यदि भवनों के निर्माण में कमियाँ होती तो और अधिक नुकसान हो सकता था।
  • नि: स्वार्थता-जनता ने केवल आवश्यक मात्रा में वस्तुएँ खरीदी या जुटाई। इस तरह सभी को जरूरत का सामान मिल गया और कालाबाजारी नहीं हुई।
  • व्यवस्था-दुकाने नहीं लूटी गई, सड़कों पर ओवरटेकिंग या जाम नहीं लगे। सभी ने एक-दूसरे की जरूरत समझी।
  • त्याग- विकिरण या मृत्यु के खतरे की परवाह किये बना पचास कामगारों ने न्यूक्लियर रिएक्टर में भरे पानी को वापस समुद्र में पंप किया। उनके स्वास्थ्य की होने वाली स्थाई क्षति की प्रतिपूर्ति कैसे होगी।
  • सहृदयता-भोजनालयों ने दाम घटा दिये। जिन पर कोई पहरेदार नहीं था वे भी सुरक्षित रहे। जो संपन्न थे उन्होंने वंचितों के हितों का ध्यान रखा।
  • प्रशिक्षण-बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी जानते थे कि भूकंप व सूनामी के आने पर क्या करना है। उन्होंने वही किया भी।
  • मीडिया-मीडिया ने अपने प्रसारण में उल्लेखनीय संयम और नियंत्रण दिखाया। बेहदूगी से चिल्लाते रिपोर्टर नहीं दिखे। सिर्फ और सिर्फ पुष्ट खबरों को ही दिखाया गया। राजनीतिज्ञों वे विरोधियों पर कीचड़ उछालने में अपना समय नष्ट नहीं किया।
  • अंत: करण- एक शॉपिंग सेन्टर में बिजली गुल हो जाने पर सभी ग्राहकों ने सामान वापस शैल्फ में रख दिए और चुपचाप बाहर निकल गये।

नाभिकीय दुर्घटनाएँ और शमन के उपाय (Nuclear Accidents and Mitigation Measures)

नाभिकीय दुर्घटना उपायों में वे सभी कार्य आते हैं जो विकास कार्यकलापों के कारण पैदा हो सकने वाले संभावी पर्यावरणीय दुष्परिणामों को कम करते हैं, उनसे बचाव करते हैं या उन्हें दूर करते हैं। शमन उपायों का उद्देश्य परियोजना के लाभों को अधिक से अधिक बढ़ाना है और उसके कारण हो सकने वाले अवांछनीय संप्रभावों को न्यूनतम करना है।

क्षतिपूर्ति उपाय (Compensation Measures)

इसके दव्ारा अपरिहार्य हानिकर संप्रभावों की क्षतिपूर्ति की जाती है। कुछ क्षतिपूर्ति इस प्रकार है:

  • हानिग्रस्त संसाधनों की पुन: पूर्ति।
  • विस्थापितों का पुनर्वास।
  • प्रभावित व्यक्ति को हर्जाना दिया जाना।

सुधारात्मक उपाय (Corrective Measures)

इन्हें हानिकर संप्रभावों के स्वीकार्य स्तर तक कम करने के लिये अपनाया जाता है।

  • प्रदूषण नियंत्रण युक्तियों को लगाना।
  • बहि: प्रवाह उपचार संयंत्र का निर्माण करना।
  • परिचालकों को प्रशिक्षण देना।
  • कंट्रोल रूप में पर्याप्त यंत्र व्यवस्था।
  • आपातकाल प्रतिक्रिया प्रशिक्षण व्यवस्था।
  • विकिरण सहायता हेतु सरकारी संस्था की स्थापना।
  • स्वास्थ्य विभाग के पास विकिरण चिकित्सा पर संदर्भ सामग्री की उपलब्धता।

रोकथाम उपायों का उपयोग करना (Using Preventive Measures)

कुछ संभावित हानिकर संप्रभावों को कम करने अथवा न होने देने के लिए पहले से कुछ रोकथाम उपाय किए जा सकते है। उदाहरणार्थ-

  • स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम चलाना।
  • धन जागरूकता कार्यक्रम चलानां

नाभिकीय अपशिष्ट पदार्थो का ठीक से निपटान करना, जिससे स्वास्थ्य व पर्यावरण को खतरा न हो। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय सार के ‘बेसेल समझौते’ को 1992 से लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य खतरनाक अपशिष्टों का उत्पादन कम से कम करना, खतरनाक अपशिष्ट का निपटान उसके उत्पादन स्त्रोत के निकटतम स्थान पर करना आदि है।