Science and Technology: Life Style and Transport, Traffic Management

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दैनिक जीवन में विज्ञान (Science in Daily Life)

जीवनशैली और परिवहन (Life Style and Transport)

यातायात प्रबंधन (Traffic Management)

परिवहन व्यवस्था के संतुलन के लिए यातायात प्रबंधन के लिए निम्नलिखित कारकों की प्राथमिकता दी गई है-

  • यातायात नियंत्रण व्यवस्था
  • यातायात प्रचलन व्यवस्था
  • घटना प्रबंधन व्यवस्था
  • माँग प्रबंधन व्यवस्था
  • पार्किंग प्रबंधन व्यवस्था
  • सूचना प्रबंधन व्यवस्था

उन्नत यातायात प्रबंधन व्यवस्था (Advanced Traffic Management System) बुद्धिमत्तापूर्ण परिवहन व्यवस्था (Intelligent Transportation System: ITS) का अभिन्न अंग है।

इस व्यवस्था के तहत कैमरा, स्पीड सेंसर इत्यादि की सहायता से ‘रियल टाईम ट्रैफिक डाटा’ परिवहन प्रबंधन केन्द्र (Transportation Management Centre: TMC) को भेजा जाता है। यहाँ पर इसे एकीकृत और प्रसंस्कृत किया जाता है।

राष्ट्रीय ITS निम्नलिखित लक्ष्यों पर बल देता है-

  • परिवहन व्यवस्था को प्रभावी बनाना।
  • गतिशीलता को उन्नत करना।
  • सुरक्षा में प्रगति करना
  • ईंधन उपभोग और पर्यावरणीय व्यय से कमी लाना
  • आर्थिक उत्पादकता बढ़ाना

यातायात प्रबंधन के लिए दो सिद्धांतों का उल्लेख किया जाता है-तकनीकी स्तर और संस्थागत स्तर। तकनीकी स्तर पर निम्नलिखित घटकों की भूमिका होती है-

  • सीसीटीवी कैमरा जैसे सड़क, किनारे के उपकरण, ट्रैफिक कंट्रोलर, यातायात नियंत्रण, निगरानी और प्रबंधन के लिए प्रयुक्त संदेश चिन्ह (Message Signs) ।
  • प्रकाश तंतु, कॉपर लाइन, बेतार मीडिया का उपयोग कर दूरसंचार नेटवर्क अपनाना। इस नेटवर्क का उपयोग सड़क किनारे के उपकरणों को केंद्रीय परिचालन केंद्र (Central Operation Centre) से जोड़ने के लिए किया जाता।
  • केन्द्रीय परिचालन केंद्र में यातायात प्रबंधन कम्प्यूटर का इस्तेमाल करना। यह कम्प्यूटर यातायात प्रबंधन सूचना कर विश्लेषण तथा प्रसार करता है।

संस्थागत स्तर पर निम्नलिखित घटकों की भूमिका होती है-

  • यातायात प्रणालियों को संचालित करने वाले कर्मचारी तथा यातायात प्रबंधन में समन्वय।
  • परिचालन प्रक्रियाए, घटना प्रबंधन प्रोटोकोल (Incident Management Protocol) और प्रतिक्रियाओं से युक्त मानक।
  • यातायात व्यवस्था से संबद्ध यातायात अभियांत्रिकी इनपुट। इसके अंतर्गत यातायात प्रबंधन घटकों का नियोजन, विश्लेषण और डिजाइन सम्मिलित किया जाता है। इसके अतिरिक्त परिवहन नियोजन प्रक्रियाओं (Transport Planning Processes) के साथ समन्वय करना भी इससे निहित होता है।

उल्लेखनीय है कि यातायात पबंधन के संस्थागत पहलुओं को महत्व न दिए जाने से अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर यातायात प्रबंधन व्यवस्था सुचारू तरीके से कार्य करने में विफल रही है। अत: यह आवश्यक है कि उन्नत यातायात प्रबंधन व्यवस्था में बेहतर निवेश के लिए उत्तम नियोजन किया जाए।

उन्नत यातायात प्रबंधन व्यवस्था का एक अन्य महत्वपूर्ण घटक सीसीटीवी मॉनिटरिंग क्रियान्वित करना है। यह तकनीक सड़क नेटवर्क पर होने वाली किसी घटना की शीर्घ सूचना यातायात प्रबंधन संचालकों को प्रदान करती है।

सीसीटीवी मॉनिटरिंग के जरिये निम्नलिखित लाभ अर्जित किए जा सकते हैं-

  • इसके जरिए आपातकालीन स्तर पर उन्नत प्रक्रियाएँ भेजी जाती है। इससे संभावित दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • इसके जरिए भीषण घटनाओं और भीड़-भाड़ की प्रभावी निगरानी की जाती है। त्वरित और उपयुक्त जाँच तत्र के कारण घटनाओं को क्रम करने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त दुबारा किसी घटना की संभावना या बारबार दुर्घटना हाेेने की संभावना को भी कम किया जा सकता है।
  • इसके जरिए नेटवर्क गतिविधियों का शीघ्र अवलोकन किया जा सकता है। साथ ही इसके दव्ारा सिग्नल समय का ऑनलाइन अपडेटिंग प्रेषित किया जाता है।

इस प्रकार सीसीटीवी मॉनिटरिंग के जरिए न केवल सड़क सुरक्षा बल्कि वैयक्तिक सुरक्षा भी उपलब्ध करायी जाती है।

सेल फोन (Cell Phone)

  • कॉल करने या प्रापत करने के लिए सेलुलर नेटवर्क का उपयोग करने वाले वहनयोग्य (Portable) टेलीफोन सेल फोन कहलाते हैं। सामान्यत: यह समझा जाता है कि सेल फोन स्मार्टफोन से भिन्न प्रकृति के होते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि साधारण मोबाइल फोन से लेकर अत्याधुनिक एन्ड्रॉयड हैंडसेट सभी सेल फोन ही हैं। जो भी फोन सेलुलर नेटवर्क को सिग्नल पारेषित करते है सेल फोन कहलाते हैं। अर्थात्‌ सेल फोन को सेलुलर फोन और मोबाइल भी कहा जाता है।
  • स्मार्टफोन एक ऐसा सेल फोन है जो उन्नत तकनीकों से युक्त होता है। इससे टच स्क्रीन तकनीक भी होती है। सेल फोन को सुलभ बनाने के लिए पूरे देश में ग्रिड पैटर्न के रूप में सेलुलर टॉवर स्थापित किये जाते हैं। ये टॉवर लगभग हर 10 वर्ग मील की दूरी पर स्थापित किये जाते हैं।
  • जब किसी सेल फोन पर कॉल किया जाता है तो सिग्नल वायु माध्यम से नजदीकी टॉवर को भेजा जाता है। तब इसे एक स्वीचिंग नेटवर्क को भेजा जाता है। अंतत: कॉल प्राप्त करने वाले व्यक्ति के नजदीकी टॉवर के माध्यम से उसके सेल फोन तक कॉल पहुँचती है। उल्लेखनीय है कि सेल फोन का प्राथमिक कार्य वॉइस कॉल (Voice Call) करना या कॉल प्राप्त करना होता है। इसके अतिरिक्त सेल फोन में कुछ अन्य सुविधाएँ भी होती हैं जिन्हें नॉन वाइस कॉल फंक्शन (Non Voice Call Function) के रूप में समझा जा सकता है। जैसे-संदेश भेजने के लिए मेसेज सुविधा (Messages) , समय एवं तिथि की जानकारी के लिए टाईम एवं कैलेंडर सुविधा, गणना करने के लिए कैलकुलेटर सुविधा, गेम सुविधा आदि।
  • सेल फोन की तकनीकों में उन्नति के साथ-साथ इन फंक्शन्स में भी वृद्धि होती गई है। अब उनमें उन्नत मेगा पिक्सल वाले कैमरे, ब्लू टूथ तकनीक, वॉइस रिकॉर्डर, एफ. एम रेडियो सुविधा, फेसबुक, ईमेल आदि का भी उपयोग किया जाने लगा है।
  • नोट: ब्लूटूथ: (Bluetooth) सीमित दूर में ही विभिन्न मोबाइल फोन के बीच आँकड़ों का आदान-प्रदान करने के लिए प्रयुक्त बेतार तकनीकी ब्लूटूथ के अंतर्गत आता है। यह तकनीक 2400 - 2483.5 मेगा हर्ट्‌ज के परास से कार्य करता है। ब्लूटूथ फ्रिक्वेंसी हॉपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम (Frequency Hopping Spread Spectrum) नामक रेडियो तकनीक का उपयोग करता है। पारेषित किए गए आँकड़ें को पैकेटों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक पैकेट में 79 चिन्हित ब्लूटूथ चैनल्स में से किसी एक की पारेषित किया जाता है। प्रत्येक चैनल का बैंड विद्थ IMHz होता है।

स्मार्ट टीवी (Smart TV)

  • इसे कनेक्टड टीवी या हाइब्रिड टीवी भी कहा जाता है। ये ऐसे टेलीविजन होते हैं जो इंटरनेट और वेब 2.0 (Web 2.0) विशेषताओं से जुड़े होते हैं। वेब 2.0 से अभिप्राय वर्ल्ड वाइड वेब की दूसरी पीढ़ी से है। इसके जरिए व्यक्ति एक दूसरे के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान ऑनलाइन माध्यम से करते हैं।
  • स्मार्ट टीवी वेब ब्राउजिंग, वीडियो ऑन डिमांड, वीडियो स्ट्रीमिंग (यू ट्‌यूब, नेटफ्लिक्स, हुलु प्लस के जरिए) , इंटरनेट रेडियो सोशल नेटवर्किंग सुविधा प्रदान करता है। स्मार्ट टीवी मूवी, फोटो, संगीत और समकक्ष मल्टीमीडिया सामग्री का आदान-प्रदान कर सकता है। यह कार्य डिजिटल लिविंग नेटवर्क अलायस (Digital Living Network Alliance: DLNA) के जरिए संपन्न किया जाता है।
  • ब्लू-रे प्लेयर्स (Blu-ray-Players) और सेट टॉप बॉक्स का उपयोग कर पारंपरिक टीवी को स्मार्ट टीवी के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है।
  • नोट: ब्लू रे-यह हाई डेफिनिशन डीवीडी के रूप में होता है जो कि 405 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य वाले नीले बैंगनी लेजर तकनीक का उपयोग करता है।
  • एक स्मार्ट टीवी में ब्राउजर सुविधा होती है जिसके जरिए वेब सर्फिंग (Web Surfing) किया जा सकता है और विभिन्न एप्लीकेशन डाऊन लोड किए जा सकते हैं।