Science & Technology: Make Defence Research and Development Organization More Accountable

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अद्यतन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Latest Development in Science & Technology)

बूट-अप समय (Boot – up Time)

इसका अर्थ कम्प्यूटर के आरंभ एवं पूर्णतया कार्य करने की स्थिति में लगने वाला समय है। इस श्रेणी में क्रोम को विजयी घोषित किया गया है।

पेज लोडिंग (Page Loading)

प्रत्येक ब्राउजर दव्ारा फ्लैश स्मृति वाले 8 बड़े वेबसाइटों पर कार्य किया गया था जिसके आधार पर आई. ई. को अपेक्षाकृत बेहतर माना गया।

जावा स्क्रिप्ट रेंडरिंग (JavaScript Rendering)

इस श्रेणी मेें जावा स्क्रिप्ट की कार्य प्रणाली का परीक्षण करने के बाद आई. ई. को अधिक विश्वसनीय कहा गया है।

स्मृति (Memory)

व्यवहार में यह देखा गया है कि 8 वेब साइटों का एक साथ प्रयोग किए जाने पर फायर फाक्स दव्ारा न्यूनतम स्मृति प्रयोग में लाई जाती है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को अधिक जवाबदेहपूर्ण बनाना (Make Defence Research and Development Organization More Accountable)

सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन को अधिक जवाबदेह एवं कार्यकुशल बनाने का निर्णय लिया है। यह उम्मीद की जाती है कि रक्षामंत्री की अध्यक्षता में रक्षा प्रौद्योगिकी आयोग का गठन स्थायी संसदीय समिति की एक रिपोर्ट में उठाई गई कुछ समस्याओं का समाधान कर पाएगा। रक्षा प्रौद्योगिकी आयोग की संरचना निम्नांकित हैं:

  • डी. आर. डी. ओ. की एकाश्मिक संरचना को तोड़कर उसे सात दिशिष्टता केन्द्रों में पुर्नगठित किया जाएगा।
  • डी. आर. डी. ओ. की कुछ प्रयोग शालाओं को कुछ दूसरे मंत्रालयों की प्रयोगशालाओं के साथ, जो समान कार्य करती हों, सहयोजित कर दिया जाएगा।

एक मानव संसाधन विशेषज्ञ को प्रोजेक्ट उन्मुख संगठन की सलाह हेतु आबद्ध किया जाएगा तथा बाजारी तकनीकों को अधिक प्रभावी बनाने हेतु एक वाणिज्यिक शाखा का विकास डी. आर. डी. ओ. के दव्ारा किया जाएगा। डी. आर. डी. ओ. रक्षा खरीद नीति में निर्धारित सिद्धांतों को शामिल करते हुए उद्योग जगत से कुछ चयनित भागीदारों को चुनने की प्रक्रिया करेगा।

जूस मिशन (Juice Mission: Jupiter Icy Moon Explorer Mission)

2 मई, 2012 को पेरिस में ‘यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी’ (ESA) के सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडलों की बैठक में लगभग 1 बिलियन यूरों की अनुमानित लागत से बृहस्पति ग्रह और उसके बर्फीले उपग्रहों के अन्वेषण हेतु एक नए मिशन को मंजूरी प्रदान की गई। ‘जूस’ (JUICE MISSION: Jupiter Icy Moon Explorer Mission) नामक यह मिशन बृहस्पति और उसके गेनिमेड, यूरोपा और कैलिस्टो नामक तीन उपग्रहों पर जीवन को अनुकूल दशाओं की तलाश हेतु जून, 2022 में 11 वर्षीय मिशन पर प्रमोचित किया गया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के ‘कॉस्मिक विजन 2015 - 2025 कार्यक्रम’ के तहत अनुमोदित यह प्रथम मुख्य मिशन है।

ई-ट्‌यूटर (E-Tutor)

प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा ने 25 जनवरी, 2012 को स्कूली छात्रों हेतु ‘क्लाउड कंप्यूटिंग’ (Cloud Computing) आधारित देश के प्रथम टेबलेट कम्प्यूटर ‘ई-ट्‌यूटर’ (E-Tutor) का अनावरण किया। टेक्लोपार्क स्थिति ई-ट्‌यूटर तथा ‘ओजनर्टन टेक्नोलॉजी’ दव्ारा संयुक्त रूप से निर्मित यह टेबलेट कम्प्यूटर अप्रैल, 2012 से बाजार में उपलब्ध है तथा इसकी कीमत 7,500 है। विशेषत: कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के प्रयोग हेतु निर्मित यह टेबलेट कम्प्यूटर ‘डिजिटल श्वेतपट्ट’ (Digital Whiteboard) से युक्त है जिसके प्रयोग दव्ारा शिक्षक विभिन्न सिद्धांतों को सरलता से समझा सकेंगे।

पैन इंडिया सुरक्षित नेटवर्क (Pan-India Secure Network)

  • भारत सरकार का दूरसंचार विभाग एक ऐसे अति सुरक्षित दूरसंचार एवं इंटरनेट नेटवर्क के विकास एवं स्थापना के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जो पूर्ण रूप से सरकारी प्रयोग हेतु समर्पित होगा लगभग 450 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित होने वाला ‘पैन इंडिया सुरक्षित नेटवर्क’ (Pan-India Secure Network) नामक इस प्रणाली का विस्तार संपूर्ण देश में स्थित सभी सरकारी विभागों तक होगा। इस नेटवर्क के माध्यम से सरकारी विभागों से संबद्ध कर्मचारियों को गुप्त रणनीतिक सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु ई-मेल, वीओआईपी (VOIP: Voice-Over-Internet Protocol) जैसी नेटवर्क आधारित सेवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी जो डाटा सुरक्षा की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित और विश्वसनीय होंगी। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में सरकारी कर्मचारियों सहित अधिकतर भारतीय इंटरनेट उपभोक्ता पाठ्‌य एवं श्रव्य रूाप् में संदेशों के आदान-प्रदान हेतु विदेशी सेवा प्रदाताओं जैसे ‘याहू’ ‘गूगल’ तथा ‘स्काईप’ दव्ारा उपलब्ध कराई जा रही ई-मेल एवं वीओआईपी सेवाओं का प्रयोग करते हैं। विदेशी सेवा प्रदाताओं दव्ारा उपलब्ध कराई जा रही इन सेवाओं के माध्यम से आदान-प्रदान की गई सूचनाएं कूट भाषा (Encrypted) में होने के कारण हैकरों तथा साइबर अपराधियों की पहुंच से तो सुरक्षित रहती है परन्तु इन सेवा प्रदाताओं के सर्वर विदेशों में स्थित होने के कारण संबंधित देशों की सरकारें अपने कानूनों के तहत प्रदत्त प्रावधानों का प्रयोग कर सूचनाओं को प्राप्त कर सकती हैं।
  • पैन इंडिया सुरक्षित नेटवर्क दव्ारा सरकारी कर्मचारियों के मध्य गोपनीय सूचनाओं का आदान-प्रदान विदेशी सर्वरों के माध्यम से न होकर ‘नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया’ (NIXI: National Internet Exchange of India) के माध्यम से होगा।
  • नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया सरकार दव्ारा समर्थित एक गैर लाभकारी संगठन है। यह अपने विभिन्न इंटरनेट सेवा प्रदाता सदस्यों के मध्य इंटरनेट डाटा के आदान-प्रदान की सुविधा-प्रदान करता है।

‘डुकु’ कम्प्यूटर वायरस (Duqu Computer Virus)

हाल ही में शोधकर्ताओं को एक नए कम्प्यूटर वायरस का पता चला है जिसकी तुलना स्टक्सनेट नामक उस खतरनाक वायरस से की जा रही है, जिसका वर्ष 2011 में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए साइबर हमलों में इस्तेमाल किया गया था। इस वायरस की खोज कम्प्यूटर सुरक्षा के क्षेत्र में कार्यरत कंपनी ‘सिमैन्टेिक’ (Symantec) दव्ारा की गई है। नए वायरस का नाम डुकु (Duqu) है और इसे खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए बनाया गया है। इसका नाम डुकु इसलिए रखा गया है क्योंकि ये ऐसी फाइलें बनाता है जिनके आरंभ में डी. क्यू. लगा होता है। इसका कोड लगभग स्टक्सनेट की ही तरह का है और यह वायरस यूरोप के कई संगठनों और व्यवसायों के कम्प्यूटरों पर मिला है।

सुदूर संवेदन डाटा नीति-2011 (Remote Sassing Data Policy-2011)

4 जुलाई, 2011 को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयके अधीन ‘अंतरिक्ष विभाग’ ने विकास संबधी गतिविधियों के लिए अधिक से अधिक प्रयोक्ताओं को उच्च विभेदन क्षमता के डाटा तक पहुंच की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘सुदूर संवेदन डाटा नीति-2011’ (Remote Sensing Data Policy-2011) पेश की। नई नीति के तहत 1 मीटर तक की विभेदन क्षमता (Resolution) के सभी डाटा बिना भेदभाव के तथा अनुरोध के आधार पर इसरो (ISRO) दव्ारा वितरित किए जाएंगे। यद्यपि एक मीटर विभेदन क्षमता से बेहतर सभी तरह के आंकड़ों के प्रेषण विवरण से पहले उचित एजेंसी दव्ारा जांच-पड़ताल की जाएगी तथा उसमेंं संशोधन करने के बाद ही उसे वितरित किया जाएगा ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की रक्षा की जा सके। लेकिन कोई प्रयोक्ता देश के संवेदनशील क्षेत्रों से संबंधित आंकड़े सरकार की ‘हाई रिजोल्यूशन इमेज क्लियरेन्स कमेटी’ की मंजूरी के बाद ही प्राप्त कर सकेगा। इस नई नीति के अनुसार भारतीय तथा विदेशी उपग्रहों से प्राप्त भारत से संबंधित सभी सुदूर संवेदी आकंड़ों के अर्जित तथा उन्हें वितरित करने का अधिकार इसरो (ISRO) के ‘राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र’ (NRSC: National Remote Sensing Centre) को प्राप्त होगा। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सुदूर संवेदन डाटा नीति वर्ष 2001 में जारी की गई थी जिसके तहत 5.8 मीटर विभेदन क्षमता तक के आकंड़े बिना किसी कांट-छांट के स्वतंत्र रूप से वितरित किए जा सकते थे।

अरहर दाल का जीनोम मानचित्रण (Gene Mapping of Pigeon Rea)

रोग रहित उच्च उत्पादकता वाली अरहर (Pigeon Pea) की उन्नत किस्में विकसित करने हेतु किए जा रहे प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए हाल ही में देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के 31 वैज्ञानिकों के एक दल ने अरहर दाल की जैविक कुंडली यानि जीनोम को डीकोड (Decode) करने में सफलता प्राप्त कर ली है। ‘भारत कृषि अनुसंधान परिषद’ (ICAR) से संबद्ध राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगकी संस्थान, नई दिल्ली के प्रो. नागेन्द कुमार सिंह के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के बाद अरहर के जीनोम का अनुक्रम तैयार किया है। इस परियोजना में राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानुपर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी तथा कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ (कर्नाटक) के वैज्ञानिक शामिल थे। यह प्रथम अवसर है जब विभिन्न भारतीय संस्थानों के वैज्ञानिकों के समग्र प्रयास की बदौलत किसी पौधे के जीनोम का अनुक्रम तैयार किया गया है। फसलों में पाई जाने वाली आम बीमारियों जैसे ‘फ्यूजेरियम विल्ट’ और ‘स्टर्लिटी मोजैक’ आदि से लड़ने की क्षमता अधिक होने के कारण वैज्ञानिकों ने अरहर के जीनोम का अनुक्रम तैयार करने हेतु इसकी लोकप्रिय किस्म ‘आशा’ (Asha) का प्रयोग किया। आशा का जीनोम अनुक्रम दूसरी पीढ़ी की अनुक्रम तकनीक ‘454-एफएलएक्स’ (454-FLX) दव्ारा तैयार किया गया। वैज्ञानिकों ने अरहर के जीनोम में उपस्थिति 47,004 प्रोटीन कोडिंग जीनों की पहचान की है। इनमें से 1,213 जीन रोग प्रतिरोधक हैं जबकि 152 जीन अकाल, उष्णता तथा भूमि की लवणता के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं। अरहर के जीनोम में रोगों, कीटनाशकों और भूमि में उपस्थित नमी, ताप आदि के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने वाले जीनों की सही स्थिति का पता चल जाने से अब मांग के अनुरूप अरहर की अलग-अलग किस्में काफी कम समय से तैयार की जा सकेगी।