Science & Technology: Oil Spill and Oil Consuming Bacteria

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अद्यतन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Latest Development in Science & Technology)

तेल रिसाव (Oil Spill)

मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन को वातावरण में मुक्त करना तेल रिसाव कहलाता है। यह निश्चित रूप से प्रदूषण का एक प्रकार है। तेल रिसाव जलीय वातावरण अर्थात समुद्र तटीय क्षेत्र में पेट्रोलियम के मुक्त होने के संदर्भ में बहुत प्रसिद्ध शब्दावली है। तेल रिसाव में टेंकर, आफशोर प्लेटफार्म (समुद्रतट से दूर स्थिति प्लेटफार्म) , खोदे जा रहे कुएं से कच्चे तेल, साथ ही साथ परिशोधित तेल से निर्मित उत्पाद (जैसे कि गैसोलीन, डीजल) और उनके सउत्पाद तथा बड़े-बड़े जहाजों में प्रयुक्त भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन अथवा किसी भी प्रकार के तेलीय अपशिष्ट का रिसाव अथवा अपशिष्ट तेल आदि शामिल हैं। इस बिखरे हुए तेल को साफ करने में महीनों अथवा कई वर्ष भी लग सकते हैं।

पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Effect)

  • यह तेल चिड़ियों के पंखों की संरचना में प्रवेश कर जाता है जिससे उनकी तापरोधी क्षमता में कमी आती है। इस प्रकार तापमान के परिवर्तन के प्रति चिड़ियां अधिक असुरक्षित हो जाती हैं साथ ही साथ जल में उनकी विचरणशीलता प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त यह उनके भोजन ढूंढने की क्षमता एवं शिकारियों से बचने की क्षमता को भी क्षति पहुंचाता है।
  • जलीय स्तनधारी जब तेल रिसाव के संपर्क में आते हैं तो उनके शारीरिक तापक्रम में परिवर्तन की क्षमता प्रभावित होती है। इस तेल युक्त पानी को निगलने से इनमें निर्जलीकरण तथा पाचनक्रिया के क्षीण होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • तेल के समुद्र तल पर फैलने के परिणामस्वरूप सौर्य प्रकाश कम दूरी तक जल में जा पाता है जिससे जलीय पौधों एवं फाइटोप्लेंक्टन में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।
  • इससे पारिस्थितिकीय तंत्र में खाद्य श्रृंखला बाधित होती है।

तेल उपभोग करने वाले जीवाणु (Oil Consuming Bacteria)

  • तेल उपभोग करने वाले जीवाणु तीन प्रकार के होते है-सल्फेट का उपचयन करने वाले, अम्ल का उत्पादन करने वाले और अन्य ऑक्सी जीवाणु। इनमें से पहले दो जीवाणुओं की श्रेणियाँ आनॉक्सी प्रकार की है जबकि अंतिम की आक्सी प्रकार है।
  • जीवाणु प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं एवं पारिस्थितिकीय तंत्र से तेल को नष्ट करने का कार्य करते हैं तथा इन जीवाणुओं के जैव परिमाण (बायोमास) खाद्य श्रृंखला में अन्य जीवों की जनसंख्या का प्रतिस्थापित करता है।

गहरे समुद्री क्षेत्र में तेल रिसाव (Oil Spills in Deep Sea Area)

सामान्यत: बी. पी. तेल रिसाव अथवा, मैक्सिको की खाड़ी तेल रिसाव अथवा बी. पी. तेल आपदा अथवा मैकान्ड़ो ब्लोआइड (Moacondo Blowout) कहा जाता है। इसे अब तक का सबसे बड़ा तेल रिसाव कहा गया है। यह तेल रिसाव समुद्र तट पर लगे लिंग रिंग में विस्फोट के कारण 20 अप्रैल, 2010 को हुआ था, जिसके बाद यह अत्यधिक वेग से होने लगा था। लगभग 4.6 मिलियन बैरल कच्चे तेल के बाहर आने के बाद कुएं को ढक कर इस तेल रिसाव को रोकने की कोशिश की गई। यह अनुमान पाया गया कि लगभग 53000 बैरल तेल का रिसाव प्रतिदिन हो रहा है। इस तेल रिसाव ने समुद्री एवं वन्य जीवन निवास्य क्षेत्रों व्यापक रूप से प्रभावित किया है। समुद्री तट आर्द्र भूमि तथा ज्वारनदमुख तक तेल के फैलाव को रोकने हेतु बालू भरे अवरोधों को छानने वाले जलयानों का उपयोग किया गया था। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिकों ने ऐसे पदार्थ प्रयोग किए हैं जो समुद्री जल में ही का अवशोषण कर सकते थे।

पर्यावरण संवदेनशीलता सूचकांक मानचित्रीकण (ESI-Environmental Sensitvity Index Mapping)

पर्यावरण संवदेनशीलता सूचकांक मानचित्रीकण का प्रयोग तेल रिसाव की घटना के पूर्व संवेदनशील तटीय संसाधनों की पहचान में पाया जाता है ताकि सुरक्षा की प्राथमिकताओं का निर्धारण और तेल सफाई की रणनीतियों का नियोजन किया जा सके। ऐसे मानचित्र निम्नांकित तीन श्रेणियों में शामिल सूचनाओं के आधार पर बनाए जाते हैं-तटीय रेखा संसाधन, जैविक संसाधन एवं मानव उपयोग ईंधन।

क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing)

क्लाउड कम्प्यूटिंग एक संकल्पनात्मक प्रक्रिया है जिसमें संसाधनों की साझेदारी साफ्टवेयर तथा अन्य सूचनाओं की इंटरनेट आधारित संगणना की जाती है। मांगे जाने पर यह सूचनाएं कम्प्यूटर तथा अन्य उपकरणों को दी जाती हैं जैसे विद्युत ग्रिड। यहां यह उल्लेखनीय है कि 1980 के दशक में उपभोक्ता सेवा प्रदाता प्रौद्योगिकी प्रचलित रही थी लेकिन क्लाउड कम्प्यूटिंग ने इसे प्रतिस्थापित कर दिया है। इसमें उन उपभोक्ताओं से सूचना प्राप्त की जाती है जिन्हें प्रौद्योगिकी अवसंरचना में विशेषज्ञता अथवा उस पर नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती।

Illustration: क्लाउड कम्प्यूटिंग (Cloud Computing)
  • यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें इंटरनेट पर सूचना सेवाओं की उपलब्धता, उनके उपयोग एवं समर्थन के लिए एक मॉडल बनाया जाता है। इसमें इंटरनेट पर होने वाले सभी कार्यो को शामिल किया जाता है। इस कारण इंटरनेट आधारित युक्तियों एवं उपयोगिताओं तक एक ब्राउजर दव्ारा इस प्रकार पहुंच बनाई जाती है जैसे उनके स्थानीय कम्प्यूटर में प्रोग्रामिंग की गई हो। ‘क्लाउड’ शब्द का प्रयोग इंटरनेट के एक लाक्षणिक शब्द के रूप में किया जाता है जो पूर्व में किसी टेलीफोन नेटवर्क के ऐसे चित्र को अभिव्यक्त करता था, जिसमें बादल के आकार को अभिव्यक्ति की जाती थी। वर्तमान में इंटरनेट एक कम्प्यूटर नेटवर्क तथा उसके अवसरंचनाओं को ऐसे चित्र से अभिव्यक्त किया जाता है।
  • एक सामान्य क्लाउड कम्प्यूटिंग सुविधा के तहत इंटरनेट पर एक से अधिक व्यवसायिक उपयोगिताएं, जो किसी अन्य साफ्टवेयर अथवा ब्राउजर में उपलब्ध है, प्रदान की जाती है जबकि साफ्टवेयर और सूचनाएं सर्वर में संग्रहित रहती हैं। क्लाउड कम्प्यूटिंग का एक महत्वपूर्ण तत्व यह है कि इसके तहत उपभोक्ता-आधारित अनुभव पर कार्य किया जाता है दूसरी ओर भौतिक अवसरंचनाओं पर उपभोक्ताओं का स्वामित्व नहीं होता। इस कारण उन्हें इन संरचनाओं पर पूंजीगत व्यय करने की आवश्यकता भी नहीं होती। वे केवल सेवा के रूप में संसाधनों का उपयोग करते हैं तथा उसी के अनुरूप भुगतान करते हैं। अधिकांशत: क्लाउड कम्प्यूटिंग में उसी प्रकार की उपयोगिता आधारित कम्प्यूटिंग प्रणाली उपलब्ध कराई जाती है जैसे विद्युत अथवा परंपरागत रूप से दी जाने वाली सेवाएं।
  • क्लाउड अभियंत्रिकी वह शाखा है जिसमें क्लाउड कम्प्यूटिंग के समाधानों, विश्लेषण, डिजाइन एकीकरण, सेवा उपलब्धता तथा प्रचलन जैसी सेवाएं शामिल होती हैं। इसके विपरीत क्लाउड आर्किटेक्चर वह प्रणाली है, जिसमें क्लाउड कम्प्यूटिंग उपलब्ध कराने वाली साफ्टवेयर प्रणाली का अध्ययन किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के संचार अवयवों उनकी प्रोग्रामिंग तथा इंटरनेट सेवाओं को भी शामिल किया गया है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग से भिन्न संकल्पनाएं (Different Concepts from Cloud Computing)

  • स्वचालित कम्प्यूटिंग: ऐसी कम्प्यूटर प्रणालियों में स्वप्रबंधन की क्षमता होती है।
  • क्लाइंट सर्वर मॉडल: यह एक वितरण आधारित कम्प्यूटर प्रणाली है जिसमें सेवा प्रदाता एवं सेवा उपभोक्ता के बीच स्पष्ट अंतर किया जाता है।
  • मेन फ्रेम कम्प्यूटर: बड़े संस्थानों में ऐसे कम्प्यूटर प्रयोग में लाए जाते हैं तथा अत्यधिक मात्रा में सूचनाओं की प्रोसेसिंग एवं उनका संग्रहण किया जाता है जैसे जनगणना से संबंधित आंकड़े, संसाधनों का नियोजन एवं प्रबंधन।
  • उपयोगिता कम्प्यूटिंग: संगणना से संबंधित संसाधनों के पैकेजिंग तथा सूचनाओं के संग्रहण एवं उपयोग पर आधारित प्रणाली।
  • पीयर-टू-पीयर: वितरण आधारित कम्प्यूटर प्रणाली जिसमें एक केन्द्रीकृत समन्वय के आधार पर कार्य किया जाता है।