Science and Technology: Various Concepts and Techniques of Internet and Its Applications

Get top class preparation for CTET-Hindi/Paper-2 right from your home: get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-2.

इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अवधारणाएँ तथा तकनीकें और उनके अनुप्रयोग (Various Concepts and Techniques of Internet and Its Applications)

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence)

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता से आशय मानव व्यवहार के विभिन्न पक्षों जैसे कि नवीन परिस्थितिओं के प्रति अनुकूलन, तर्क विवेचन तथा नये कौशल शिक्षण के संबंध में मानव तर्क शक्ति और अधिगणन (Cakulation) आदि का प्रारूप तैयार करने में कम्प्यूटर प्रणाली का उपयोग करने से है। इसके तहत किसी विद्यमान समस्या का समाधान प्रस्तुत करने के लिए तर्कशक्ति प्रक्रिया का प्रारूप तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया डॉक्टर दव्ारा किसी रोग के लक्षणों के आधार पर चिकित्सकीय समस्याओं के वर्गीकरण की प्रक्रिया के समान है। अभी तक कृत्रिम बुद्धि के विचारों का उपयोग करके कम्प्यूटर प्रणालियाँ शतरंज से लेकर क्रॉसवर्ड पहेलियों जैसे बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यों के निष्पादन में स्वयं को अनुकूलित कर चुकी हैं। प्रतिरूप पहचान, चिकित्सा नैदानिकी तथा सूचना प्रसंस्करण जैसे क्षेत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुसंधान के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। अभिगम प्रक्रिया (Learning Process) में तो कम्प्यूटर का उपयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है; किसी भी मशीन में अभिगम प्रक्रिया तब प्रयुक्त की जाती है जब किसी कम्प्यूटर में पिछले प्रदर्शन से बेहतर निष्पादन करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रोग्राम आधारित अनुप्रयोग किया जाता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के महत्वपूर्ण प्रायोगिक क्षेत्रों में बीमारियों के लक्षणों की पहचान तथा भूमिगत खनिज पदार्थों की पहचान आदि शामिल हैं, जबकि सूचना प्रसंस्करण की दिशा में हालिया अनुसंधान कार्य ऐसे प्रोग्रामों से जुड़े हैं, जो किसी कम्प्यूटर प्रणाली को लिखित अथवा बोली गई सूचना को समझने उसका सार-संक्षेपण करने तथा विशिष्ट प्रश्नों के उत्तर देने के साथ-साथ सूचनाओं में रुचि रखने वाले प्रयोगकर्ताओं को सूचना के पुनर्वितरण की क्षमता प्रदान करते हैं।

विगत कुछ वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित अनुसंधान ने दो दिशाएँ प्राप्त की हैं-

  • मानव चिंतन की प्रकृति के संबंध में शारीरिक तथा मानसिक शोध तथा निरंतर परिष्कृत होती कम्प्यूटर प्रणालियों का तकनीकी विकास।
  • ऐसी कम्प्यूटर प्रणालियों तथा प्रोग्रामों के संबंध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग, जो सामान्य कार्यो की अपेक्षा अत्यधिक जटिल प्रकृति के कार्यों का संपादन करती हैं।

यद्यपि अभी तक मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को नाममात्र ही समझा जा सका है, लेकिन कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए विभिन्न उपागमों को अपनाया जा रहा है। इस प्रकार स्पष्टत: कहा जा सकता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए उच्च प्रोसेसिंग शक्ति और स्मृति की अत्यधिक आवश्यकता है।

आभासीय वास्तविकता (Virtual Reality)

  • आभासी वास्तविकता तेजी से विकसित हो रही एक ऐसी तकनीक हैं, जिसमें कम्प्यूटर विज्ञान की मदद से एक त्रिआयामी, बहुसंवेदी तथा अंतरक्रियात्मक वातावरण तैयार किया जाता है जो देखने, सुनने, समझने तथा महसूस करने में पूर्णत: वास्तविक प्रतीत होता हैं। ऐसे काल्पनिक दृश्यों को निर्मित करने के लिए ‘कम्प्यूटर ग्राफिक्स’ की तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
  • आभासी वास्तविकता को महसूस करने के लिए कई उपकरणों का एक साथ प्रयोग किया जाता है। इसमें व्यक्ति को एक चश्मा लगाना पड़ता है, जो कम्प्यूटर के स्क्रीन सेट पर गहराई के तीसरे आयाम की अनुभूति कराता है। स्पर्श संवेदकों के तौर पर कुछ दस्तानें तथा विशेष कपड़ों का प्रयोग किया जाता है। जिससे स्पर्श संवेदन भी महसूस किया जा सके। श्रव्य प्रभाव के लिए ‘स्पीच सिन्थेसाइजर’ जैसे उपकरण का प्रयोग किया जाता है। इन सभी के प्रयोग से एक ऐसा कृत्रिम वातावरण पैदा होता है जिसे बहु-केन्द्रिक स्तर पर अनुभूत किया जा सकता है।
  • आभासी वास्तविकता का प्रयोग कई प्रकार के कार्यों के लिए किया जाता है। अमेरिका तथा अन्य विकसित राष्ट्रों में इसका प्रयोग अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के लिए होता है। भारत में वायुसेना के पायलटों के प्रशिक्षण के लिए इसका प्रयोग शुरू कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त मनोरंजन के क्षेत्र में नई पीढ़ी के वीडियो गेम्स में इसका प्रयोग होने लगा है।

फज़ी लॉजिक (Fuzzy Logic)

फज़ी लॉजिक, बहुमान तर्क या संभाव्य तर्क का ही एक प्रकार है, जो ऐसे तर्क के आधार पर कार्य करता है जो सुनिश्चित (Fixed) तथा एकदम सही (Exact) होने के बजाय संभाव्य (Approximate) होता है। परंपरागत बाइनरी सेट्‌स (जहाँ विभिन्न चर (Variable) सत्य या असत्य मान के आधार पर लिए जा सकते हैं) की तुलना में फज़ी लॉजिक चरों (Variables) का सत्य मान 0 तथा 1 के बीच हो सकता है। आंशिक सत्य की संकल्पना को लागू करने के लिए फज़ी लॉजिक का प्रयोग किया जाने लगा है, जहाँ सत्य मान पूर्णत: सत्य तथा पूर्णत: असत्य के बीच हो सकता है। इसके अतिरिक्त जब भाषाई चरों का प्रयोग किया जाता है तो ये सीमाएँ (पूर्णत: सत्य और असत्य के बीच) विशिष्ट उपायों से नियंत्रित की जा सकती हैं।

विशेषज्ञ प्रणालियाँ (Expert Systems)

विशेषज्ञ प्रणाली से अभिप्राय एक ऐसे उन्नत कम्प्यूटर प्रोग्राम से है जो एक क्षेत्र विशेष में किसी विशेषज्ञ के ज्ञान एवं तार्किक क्षमताओं का अनुकरण कर सकता है। इस तकनीक की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस पर किया जाने वाला व्यय, एक विशेषज्ञ या विशेषज्ञ समूह पर किये जाने वाले व्यय की तुलना में काफी कम होता है। इसके दव्ारा सीमित मानवीय विशेषताओं को व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराया जा सकता है और साथ ही उन निर्णयकर्ताओं को भी विशेषज्ञता उपलब्ध करायी जा सकती हैं, जिन्हें अतिशीघ्र समस्याओं के समाधान की आवश्यकता होती है। कृत्रिम बुद्धि की अवधारणा पर आधारित इस तकनीक का प्रयोग व्यापार, विज्ञान, अभियांत्रिकी, विधि, रासायनिक विश्लेषण, करारोपण, बैंकिंग, भू-गर्भ विज्ञान और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है। भविष्य में इसके और भी बेहतर अनुप्रयोग की संभावना है।

परिवेशी अभिकलन (Ambient Computing)

परिवेशी अभिकलन दव्ारा एक ऐसे परिवेश का सृजन किया जाता है जिसमें कम्प्यूटर प्रणालियाँ सभी जगह विद्यमान होती हैं तथा मानवीय सहायता के बगैर ही संवेदन, नियंत्रण एवं संचार के माध्यम से अपने कार्यो को पूरा करती हैं। इसी संदर्भ में स्मार्ट डस्ट परियोजना (Smart Dust Project) की एक संकल्पना विकसित की गई है, जिसके संपन्न होने पर आस-पास में मौजूद धूल कणों के माध्यम से संचार करते हुए संचार प्रणालियों और संवेदकों के एक ऐसे नेटवर्क का निर्माण संभव हो सकेगा जो पूरे परिवेश में व्याप्त होगा।

अंतर्निहित कम्प्यूटर (Embedded Computer)

अंतर्निहित कम्प्यूटर का प्रयोग वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन, प्रिंटर, डिजिटल कैमरा आदि में किया जाता है, जिसमें माइक्रों प्रोसेसर दव्ारा कार्य निष्पादन के लिए खुले सिरे की आवश्यकता नहीं होती जैसा कि सामान्य कम्प्यूटर में होता है। इसमें चिपों की संख्या को घटाने तथा एकीकरण (Integration) के स्तर को बढ़ाने के लिए संवर्द्धित ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाता है।

परिव्यापी कम्प्यूटिंग (Comprehensive Computing)

परिव्यापी कम्प्यूटिंग सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का तेजी से विकसित होता हुआ क्षेत्र है, जिसका संबंध पर्यावरण और मानव जीवन में आई. सी. टी (Information & Communication Technology) के बढ़ते हुए एकीकरण से है। अंतनिर्मित संचार सुविधाओं के साथ माइक्रो प्रोसेसरों की बढ़ती उपलब्धता से यह एकीकरण संभव हो पाता है। स्वास्थ्य देखभाल, घरेलू देखभाल, परिवहन एवं पर्यावरण निगरानी आदि में इसके अनुप्रयोग की व्यापक संभावनाएँ हैं।

किसान कॉल सेन्टर (Kisan Call Centre)

  • किसान कॉल सेन्टर के दव्ारा किसानों और ग्रामीणों को कृषि कार्यो से संबंधित सूचनाएँ प्रदान की जाती हैं। किसानों दव्ारा इस सेन्टर से कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन, रेशमकीट पालन आदि से संबंधित आधुनिक जानकारी टाल फ्री नंबर 1551 के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
  • किसान कॉल सेन्टर योजना पूरे देश में संचालित है। पूरे देश में अवस्थित किसान कॉल सेन्टर और उनके अंतर्गत आने वाले राज्य इस प्रकार हैं-

Kisan Call Centre

Kisan Call Centre
क्रम सं.कॉल सेन्टरसंबंधित राज्य
1.मुंबईमहाराष्ट्र, गोवा, दमन और दीव
2.कानपुरउत्तर प्रदेश, उत्तरांचल
3.कोच्चिकेरल, लक्षदव्ीप
4.बेंगलुरूकर्नाटक
5.चेन्नईतमिलनाडु, अंडमान और निकोबार
6.हैदराबादआंध्र प्रदेश
7.चंडीगढ़चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब
8.जयपुरराजस्थान
9.इंदौरमध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
10.कोलकातापश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड
11.कोलकातापूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्य
12.दिल्लीदिल्ली, हरियाणा
13.अहमदाबादगुजरात और दादरा नागर हवेली