कांगड़ा चित्रकला कामागाटामारू प्रकरण (Kangra Painting Komagata Maru Case-Culture)

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• कांगड़ा चित्रकला वस्तुत: एक पहाड़ी चित्रकला शैली है, जिसे 17वीं और 19वीं शताब्दी के मध्य राजपूत शासकों का संरक्षण प्राप्त हुआ।

• जयदेव के गीत गोविंद के प्रकटन के उपरांत इस चित्रकला शैली को विशेष लोकप्रियता प्राप्त हुई। उल्लेखनीय है कि गीत गोविंद के अनेक प्रसिद्द पांडुलिपि चित्र कांगड़ा चित्रकला के विशिष्ट उदाहरण हैं।

• इन चित्रों में भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित घटनाओं और भक्ति से संबंधित अन्य विषयों और दृश्यों को चित्रित किया गया है।

• इसके अतिरिक्त महिला सौंदर्य, परिदृश्य, ग्रामीण इलाकें, नदियां, वृक्ष, पक्षियां, पशु, फूल आदि इन चित्रों का विषय-वस्तु हैं।

• कांगड़ा चित्रकला वानस्पतिक और खनिज अर्क से बने रंगों का प्रयोग किया करते थे। उन्होंने सादे और ताजे रंगों का प्रयोग किया।

कामागाटामारू प्रकरण (Komagata Maru Case – Culture)

• लगभग एक सदी पहले 23 मई, 1914 को, कामगाटामारू नामक एक मालवाहक जहाज कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रान्त के बुर्रार्ड इनलेट पर अवस्थित वैकूवर हार्बर के लिए रवाना हुआ।

• यह पोत गुरदीत सिंह नामक एक सिंगापुर के व्यवसायी दव्ारा किराये पर लिया गया था।

• इस पर पंजाब के 376 यात्री सवार थे, जो हांगकांग में जहाज के प्रस्थान के समय अलग-अलग जत्थों में यहां आये थे।

• जहाज को कलकत्ता लौटने के लिए मजबूर किया गया और जब यह कलकत्ता पहुंचता तो अंग्रेजों दव्ारा 19 यात्रियों की हत्या कर दी गई और कईयों को गिरफ्तार कर लिया गया।

• कनाडा के “लगातार यात्रा विनियमन” के अंतर्गत यह प्रावधान था कि वैसे आप्रवासी, जो अपने मूल देश से लगातार यात्रा करके सीधे कनाडा नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया जाएगा।

• कनाडाई कानूनों में स्पष्ट रूप से भारतीयों के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं था, तथापि उक्त विनियमन के माध्यम से भारतीयों का उत्प्रवास लगभग असंभव बना दिया गया था क्योंकि सुदूर स्थित कनाडा के लिए भारत से कोई सीधा मार्ग नहीं था। (कोमगाटामारू हांगकांग से आया था)