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एपीएमसी: कुछ वस्तुओं का डी-नोटीफिकेशन (अधिसूचना रद्द करना)

सुर्ख़ियों में क्यों?

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि एपीएमसी के तहत अधिसूचित शीघ्र नष्ट होने वाले उत्पादों की सूची से हटाने के लिए राज्यों से आग्रह किया जाएगा।

निर्णय का सकरात्मक प्रभाव

  • यह किसानों को उनके उत्पाद सीधे बेचने और बेहतर कीमतें प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा।
  • खाद्य मुद्रास्फीति में कमी- क्योंकि इससे एपीएमसी दव्ारा अधिरोपित कई प्रशुल्कों (मंडी कर, बहुल शुल्क इत्यादि) के तथा एजेंटों (कार्यकर्ता) के कमीशन (आयोग) के कास्केडिंग (व्यापक) इफ़ेक्ट (प्रभाव) में कमी आएगी।
  • उपज-पश्चात हानि कम होगी
  • इससे फलों और सब्जी क्षेत्र में अनुबंध कृषि को बढ़ावा मिलेगा। यह कंपनियों (संघों) को अभिनव प्रौद्योगिकियों को हस्तांतरित करने, उत्कृष्ट कृषि तौर तरीकों को अपनाने और किसानों को कृषि सामग्री की आपूर्ति करने में सक्षम बनाएगा।

वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में, कृषि उत्पाद बाजारों को संबंधित राज्य सरकार दव्ारा अधिनियमित कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) अधिनियम के तहत नियंत्रित किया जाता है।
  • यह अधिनियम क्षेत्र में उत्पादित कृषि वस्तुओं जैसे अनाज, दालों, खाद्य तिलहन और यहां तक कि मुर्गा, बकरी आदि को अधूिसचित करता है।
  • इन वस्तुओं में पहली बिक्री एपीएमसी के तत्वाधान में, इसके दव्ारा लाइसेंस (अनुमति) प्रदत्त कमीशन (आयोग) एजेंटो (कार्यकर्ताओं) के माध्यम से ही की जा सकती है।
  • केन्द्र सरकार ने राज्यों दव्ारा अपनाये जाने के लिए पहली बार 2003 में मॉडल (आदर्श) एपीएमसी अधिनियम को प्रसारित किया था। फिर भी, लगभग 50 प्रतिशत राज्यों ने अपने संबंधित कृषि विपणन अधिनियमों में आवश्यक परिवर्तन नहीं किए हैं।

कृषि विपणन और कृषि अनुकूल सुधार सूचकांक

यह क्या है?

  • नीति आयोग ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के श्रेणीकरण के लिए पहली बार “कृषि विपणन और कृषि अनुकूल सुधार सूचकांक” का शुभारंभ किया है।

केन्द्र सरकार ने पहली बार 2003 में एपीएमसी अधिनियम के माध्यम से एपीएमसी या थोक बाजार (मंडियों) में सुधारों का शुभारंभ किया था। इस संबंध में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों को इसे अपनाने का आग्रह भी किया था क्योंकि कृषि विपणन संविधान के अंतर्गत राज्य का विषय है।

विशेषताएँ और रैंकिंग (श्रेणी)

  • आकलन करने के लिए प्रयुक्त संकेतक कृषि बाजारों में प्रतिस्पर्धा, दक्षता और पारदरर्शिता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • यह रैंकिंग (श्रेणी) मॉडल (आदर्श) एपीएमसी अधिनियम के तहत प्रस्तावित सात प्रावधानों के कार्यान्वयन, eNAM पहलों में सम्मिलित होने, फलों और सब्जियों के विपणन के लिए विशेष उपचार तथा मंडियों में करों के स्तर पर आधारित है।
  • सूचकांक में सम्मिलित अन्य मानदंडो में पटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू टेदार किसानों के लिए कृषि भूमि के पटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू टे से संबंधित प्रतिबंधों में छूट और अपनी भूमि के पेड़ काटने और ढोने की किसानों की स्वतंत्रता से संबंधित है, जो उनके लिए आया के विविधिकरण को लाना संभव बनाती है।
  • इस सूचकांक में “0” (अर्थात चयनित क्षेत्रों में कोई सुधार नहीं है) से लेकर “100” (अर्थात चयनित क्षेत्रों में पूर्ण सुधार है) के तक स्कोर हैं और राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को सूचकांक में स्कोर (अनेक) के संदर्भ में श्रेणीबद्ध किया गया है।
  • महाराष्ट्र ने विभिन्न सुधारों के कार्यान्वयन में पहला स्थान प्राप्त किया है, क्योंकि इसने अधिकांश विपणन सुधारों का कार्यान्वयन कर लिया है और कृषि व्यवसाय करने के लिए सर्वोत्तम वातावरण प्रदान करता है।
  • गुजरात दूसरे स्थान पर है जिसके निकट ही राजस्थान और मध्य प्रदेश हैं।
  • दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के बाद पुडुचेरी को निम्नतम स्थान मिला है।

प्रस्तावित कृषि सुधार के तीन प्रमुख क्षेत्र

नीति आयोग ने भी कृषि सुधार के तीन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, ये सुधार हैं:-

  • कृषि बाजार सुधार
  • भूमि पटवित रुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्र्‌ुरुक्ष्म्ग्।डऋछ।डम्दव्रुरू टा सुधार
  • निजी भूमि पर वानिकी से संबंधित सुधार