Science and Technology: Important Projects Related to Bio Informatics Conducted by Government of India

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जैव प्रोद्योगिकी में नवीन विकास (New Developments in Bio-Technology)

  • इन्टरफेरॉन: इन्टरफेरॉन वीटा Ia एक दवा है जिसका उपयोग मल्टीपल स्लीरोसिस (Multiple Sclerosis) रोग के उपचार के लिए किया जाता है। इस दवा का निर्माण रूपांतरित ई-कोलाई से किया जाता है। इन्टरफेरॉन की बिक्री एवोनेक्स (Avonex) और रेबीफ (Rebif) नाम से की जाती है।
    • इन्टरफेरॉन मस्तिष्क के सूजे हुए (Inflammated) कोशिकाओं की संख्या कम करने में सहायक होता हैं। यह तंत्रिकीय सूजन में कमी लाता है। इन्टरफेरॉन के तीन वर्गो- अल्फा, बीटा और गामा की पहचान की गई है। व्यावसायिक आधार पर पुनर्सयोजित डीएनए तकनीक (R-DNA) के जरिए ह्‌यूमन का निर्माण किया जाता है।
    • इन्टरफेरॉन विषाणु, जीवाणु जैसे सूक्ष्म जीवों के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित कर सकते हैं। ये प्रत्यक्ष रूप से विषाणु या कैंसर कोशिकाओं को समाप्त नहीं करते, बल्कि ये प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करते हैं तथा कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि कम करते हैं।
  • प्रतिजैविक (Antibiotic) : ये ऐसी दवाएँ हैं जिनका उपयोग जीवाणुओं को नष्ट करने या वृद्धि नियंत्रित करने में किया जाता है। जीवाणु से होने वाले संक्रमण से सुरक्षा में इनका उपयोग होता है।
    • विदित हो कि मानव शरीर को दुष्प्रभावित करने वाले जीवाणु यदि शरीर में बहुगुणित होने लगे तब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। इन्हीं परिस्थितियों में प्रतिजैनिक का उपयोग किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि निर्मित किया गया प्रथम प्रतिजैविक पेनिसीलीन था। कुछ प्रमुख प्रतिजैविक जिनका उपयोग किया जाता है, वे हैं-
      • एटोवाक्यूओन (Atovaquone)
      • सल्फाडियाज़ाइन (Sulfa Diazine)
      • पाइरीमेथामाइन (Pyumethamine)
  • यूथेनिक्स (Euthenics) : ‘यूथेनिक्स’ मानव कार्यशैली में प्रकृति का अध्ययन करने की विधि है। इसके तहत संक्रामक रोग और पराजीवी से रोकथाम, पर्यावरण, शिक्षा जैसे कारकों में कुछ सीमा तक परिवर्तन कर इन्हें अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास किया जाता है। यूथेनिक्स के जरिए निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ संपन्न की जाती हैं-
    • नस्लीय प्रगति
    • वर्तमान पीढ़ी के लिए स्वास्थ्य जानकारियाँ प्रदान करना।
    • पर्यावरण जैसे बाह्‌य कारकों को नियंत्रित कर मानव नस्ल की प्रगति में सहायता
  • यूफेनिक्स (Euphenics) : व्यक्ति विशेष के जैविक विकास को रूपांतरित कर मानव प्रजाति में प्रगति का कार्य यूफेनिक्स के तहत किया जाता है। इस विधि के दव्ारा रसायन की सहायता से जीन का प्रसवपूर्ण विनियमन किया जाता है। यह जेनेटिक इंजीनियरिंग का एक सकारात्मक रूप हैं।
    • यूफेनिक्स के प्रारंभिक अनुप्रयोगों के तहत फोलिक अम्ल युक्त विटामिन का उपयोग किया गया। इसके तहत गर्भावस्था के दौरान तंत्रिका नली विकृति को दूर किया गया।
  • ग्लाइबेरा एलिपोजीन (Glybera Alipogene) : यह जीन उपचार की एक विधि है। इसका उपयोग अग्नाशय में होने वाले सूजन को समाप्त करने के लिए किया जाता है।
    • इस जीन उपचार में एडीनो-एसीसिएटेड (AAV) वाहक का उपयोग किया जाता है। AAV प्रोटीन शेल के जरिए कोशिका में नवीन जीन प्रवेश कराया जाता है। इस जीन रोग की चिकित्सा में लाइपोप्रोटीन लाइपेज (LPL) प्रोटीन का उपयोग किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस प्रोटीन की कमी के कारण ही अग्नाशय में सूजन की स्थिति बनती है।
  • क्वाडरपल हेलिक्स डीएनए (Quadruple Helix DNA) : वर्ष 1953 में वाटसन और क्रीक ने जीवन के रासायनिक कोड के रूप में दव्कुंडलित डीएनए संरचना की जानकारी दी थी। इस वर्ष कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने चतुकुंडलित डीएनए संरचना (G-quadruplexes) का विकास किया है और दर्शाया है कि मानव जीनोम में इनकी उपस्थिति भी है। ये डीएनए के गुआनिन की प्रचुरता वाले भाग में पाए जाते हैं। यह जानकारी मिली है कि 4 गुआनिन को एक साथ बाँधे रखने में हाइड्रोजन-बंध (Hydrogen Bond) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस संबंध में अध्ययन किया जा रहा है कि (G-quadruplex) और डीएनए प्रतिकृति प्रक्रिया के बीच कोई संपर्क हैं या नहीं। G-quadruplex कोशिकाओं के डीएनए प्रतिकृति को रोकते हैं। इस प्रकार वे कोशिका विभाजन को रोकते हैं। वैज्ञानिकों का मत है कि इस खोज से कैंसर के प्रमुख कारण-कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में सहायता मिलेगी।
  • जैव सूचना विज्ञान (Bio Informatics) : जैव सूचना विज्ञान में जैविक आँकड़ों से संबंद्ध अध्ययन किया जाता है। जैविक आँकड़ों का भंडारण, इनकी जानकारी प्राप्त करना, इन्हें एकत्र करना और इनका आकलन करना जैसे कार्य जैव सूचना विज्ञान के तहत किए जाते हैं।
    • जैविक जानकारी की उपलब्धता के लिए सॉफ्टवेयर उपकरण का विकास जैव सूचना विज्ञान के अंतर्गत होता है। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर विज्ञान, गणित और इंजीनियरिंग क्षेत्र की सहायता से जैविक आँकड़े इकट्‌ठे किए जाते हैं। इन आँकड़ों के भंडारण और व्यवस्थित रूप देने के लिए डाटाबेस और सूचना प्र्रणालियों का उपयोग किया जाता है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सॉफ्ट कम्प्यूटिंग, डाटा माइनिंग, प्रतिबिंब प्रसंस्करण, सिमुलेशन के जरिए जैविक आँकड़ों का आकलन करने में सहायता मिलती है। इस आकलन का उपयोग जटिल बीमारियों के लिए उत्तरदायी जीन-समूह का पता लगाने, औषधि निर्माण के लिए उपर्युक्त अणुओं का डिज़ाइन तैयार करने, पौधे के जीन में परिवर्तन पर पुनर्संयोजी प्रोटीन का उपयोग मानव कल्याण में करने में किया जाता है।

भारत सरकार दव्ारा संचालित जैव-सूचना विज्ञान संबंधी महत्वपूर्ण परियोजनाएँ (Important Projects Related to Bio Informatics Conducted by Government of India)

  • सी. डैक (C-DAC) संस्था दव्ारा ग्रिड एनेबल्ड जैव-सूचना विज्ञान संसाधनों (कम्प्यूटिंग पावर, डाटाबेस और सॉफ्टवेयर) को स्थापित किया जा रहा है। वर्तमान में स्मिथ वाटरमैन, क्लस्टर, एम्बर आदि के साथ-साथ टेराफ्लॉप कम्प्यूटिंग पावर, 10 मेगाबाइट प्रति सेकंड बैंडविद्थ के भंडारण वाले टेराबाइट सहित डाटाबेस और सॉफ्टवेयर सी-डैक दव्ारा उपलब्ध कराये जाते है।
  • आईआईटी, दिल्ली में एनेबल्ड प्रोटीन स्ट्रक्चर पूर्वानुमान सॉफ्टवेयर की परियोजना चल रही है। स्ट्रक्चर पूर्वानुमान के लिए वेब-इनेबल्ड संस्करण का सॉफ्टवेयर अब प्रयोगकर्ता समुदाय के नि: शुल्क उपलब्ध है। इस सॉफ्टवेयर का नाम ‘भागीरथ सॉफ्टवेयर’ है।
  • पादप और स्तनधारी जीनोम बनाने के लिए प्रोटीन डिजाइन करने के लिए सॉफ्टवेयर उपकरण तैयार किया जा रहा है।
    • उल्लेखनीय है कि डीएनए की मरम्मत में शामिल प्रोटीन समूहों सहित विभिन्न प्रोटीन समूहों में ′ प्रोटीन-प्रोटीन और प्रोटीन-नाभिकीय अम्ल अंत: क्रियाओं में जिंक फिंगर मोटिफ भाग लेते हैं। जिंक फिंगर (जेड एफ) मोटिफ डिजाइन का डाटाबेस विकसित करने हेतु जैव सूचना केन्द्र, पांडिचेरी में एक परियोजना चलाई जा रही है। मानव जिनोम दव्ारा कूटित (इनकोडिंग) सभी ज्ञात जीनों हेतु विशिष्ट और जीन विशिष्ट जेड एफ लक्ष्य स्थलों हेतु जेड एफ डिजाइन करने के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है।
  • जैव सूचना विज्ञान एवं संबंद्ध जैव-प्रौद्योगिकी संस्थान, बेंगलुरू में चल रहे एक कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसा कम्प्यूटर कार्यक्रम विकसित करना है जिससे जीन के प्रोमोटर्स और अभिव्यक्ति पैटर्न का आकलन किया जा सके। कुछ ऊतकों का स्तनधारी जीन अभिव्यक्ति डाटाबेस पहले ही संकलित कर लिया गया है।
  • राष्ट्रीय अत: अनुशासिक विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान (तिरुअनंतपुरम) एक ऐसा कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है जिसका लक्ष्य कैंसर सिमुलेशन हेतु भावी सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म विकसित करना है। आधारभूत रोग प्रतिरोधी तंत्र के सिमुलेशन का एजेंट आधारित मॉडल पूरा कर लिया गया है। अब इसके सॉफ्टवेयर डिजाइन का कार्य चल रहा है।
  • भारत में विभिन्न संस्थानों में कृषि अनुसंधान एवं फसल की उत्पादकता में सुधार हेतु जैव सूचना विज्ञान के प्रयोग के संबंध में जागरूकता फैलाने एवं इसके कार्यान्वयन हेतु कुशलता में बढ़ोतरी के लिए उपागम परियोजना चल रही है। इसमें बीमारियों के उपचार का पता लगाने हेतु पौधें के आण्विक लक्षण निर्धारण, जीन के एल्गोरिदम (Algorithm) के विकास, भारतीय आईपीआर गेहूँ जीनोटाइपों आदि से संबंधित डाटाबेस पर मुख्य रूप से फोकस किया जा रहा है।