Science and Technology: Applications of Internet and E-Commerce

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कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी (Computer and Information Technology)

इंटरनेट (Internet)

इंटरनेट के उपयोग (Applications of Internet)

संचार माध्यमों के तौर पर इन्टरनेट ई मेल की सुविधा उपलब्ध कराता है, जो पारम्परिक डाक सेवा से न केवल सस्ती होती है बल्कि इसमें एक विशेष बात यह भी है उपभोक्ता दुनिया के किसी भी स्थान पर कभी भी अपनी डाक प्राप्त कर सकते हें।

सूचनाओं का अत्यधिक विस्तार (Massive Spread of Information)

इंटरनेट का दूसरा लाभ यह है कि w. w. w. के माध्यम से दुनिया में उपलब्ध कोई भी जानकारी किसी भी समय ली जा सकती है। ई मेल के साथ साथ इंटरनेट में अंतरक्रियात्मक संचार की सुविधा उपलब्ध है। एक ही समय में दुनिया के दो अलग अलग स्थानों पर लिखित या मौखित रूप से चैटिंग की जा सकती है, जिसका अर्थ है आमने-सामने बात करना। शिक्षा के क्षेत्र में यह इतना अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है कि कम्प्यूटर के माध्यम से ही सारी शिक्षा दी जा सकती है। व्यावसायिक क्षेत्र में इंटरनेट का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त फेसबुक तथा ट्‌िवटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के चलते पूरी दुनिया एक वैश्विक ग्राम (Global Village) में बदलती दिख रही है।

ई-कॉमर्स (E-Commerce)

  • वस्तुओं एवं सेवाओं की वेब संग्रहों के माध्यम से खरीद और बिक्री करना ही ई कॉमर्स अथवा इलैक्ट्रॉनिक्स कॉमर्स कहलाता है। इलैक्ट्रॉनिक्स दुकानदारों की एक छोटी सी अवधारणा से शुरू होकर ई कॉमर्स ने विकसित होती हुई व्यापार एवं बाजारी व्यवस्था के सभी पहलुओं को अपने अंतर्गत समेट लिया है। बिक्री किए जाने वाले उत्पादों में कार जैसी बड़ी एवं ठोस आकर वाली वस्तुओ से लेकर यात्राओं की व्यवस्था, लाइन पर ही चिकित्सा परामर्श तथा दूरस्थ शिक्षा के साथ साथ अंकीय उत्पाद जैसे समाचार, श्रव्य और दृश्य डाटाबेस, सॉफ्टवेयर तथा सभी प्रकार की ज्ञान आधारित वस्तुएँ अब ई-कॉमर्स के अंतर्गत आते हैं। वस्तुत: ई कॉमर्स वर्तमान तौर तरीकों का विस्तार करने के बजाए करोबारी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कम्प्यूटर चालित कारोबारी उपकरण तथा प्रोद्योगिकी का सुचारू उपयोग है।
  • वर्तमान में विभिन्न प्रकार की इलैक्ट्रॉनिक सेवाएँ जैसे कि ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग या फिर नौकरी के लिए ई-सेवा आदि सभी कुछ ई-कॉमर्स के अंतर्गत ही आते हैं, जिन्हें घर बैठे-बैठे या फिर ऑफिस से ही इलैक्ट्रोनिक माध्यम से संपन्न किया जा सकता है।

ई-कॉमर्स के विकास में चुनौतियाँ (Challenges in the Development of E-Commerce)

आम नागरिकों तक ई-कॉमर्स की सुविधा पहुँचाने में कुछ चुनौतियाँ विद्यमान है, जो इस प्रकार है:

  • देशभर में इंटरनेट के लिए आधारभूत अवसंरचना का अभाव।
  • देशभर में बड़े स्तर पर व्याप्त निरक्षता।
  • पूरे देश को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना।
  • भुगतान की समस्या, देशभ में प्लास्टिक कार्ड (क्रेडिट कार्ड) का बहुत कम प्रयोग होना।
  • इंटरनेट के दव्ारा कारोबार को विनियमित करने के लिए साइबर कानून का अभाव।

ई-कॉमर्स के प्रकार (Types of E-Commerce)

  • सी2 बी (कंज्यूमर 2 बिजनेस) : सी टू बी प्रकार का ई-कॉमर्स वस्तुत: टेली शॉपिंग या मेल ऑर्डर तथा टेलिफोन ऑर्डर का ही विस्तार है। इस तरह के ई-कॉमर्स में व्यापारिक गतिविधियाँ इंटरनेट के माध्यम से विक्रेता एवं उपभेक्ता के बीच सीधे तौर पर चलती है। उत्पादक कंपनियाँ ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से इंटरनेट पर अपनी उपपस्थित दर्ज कराती है। उपभोक्ता इन वैबसाइटों पर जाकर उत्पादों एवं सेवाओं की खरीददारी करते हैं। वर्तमान में अनेक इलैक्ट्रॉनिक मॉल एवं वर्चुअल स्टोर फ्रंट इंटरनेट पर इस तरह की ई-कॉमर्स सेवाएँ मुहैया करा रहे हैं। इस तरह के ई-कॉमर्स में ई-कैश एवं क्रेडिट कार्ड भूगतान के प्रमुख माध्यम है।
  • बी 2बी (बिजनेस टू बिजनेस) : यह ई-कॉमर्स का अत्यधिक प्रचलित तरीका है। यह व्यापार की विभिन्न गतिविधियों को सुचारू ढंग से तथा तीव्र गति से निष्पादित करने के लिए उचित वातावरण तैयार करने में मदद करने के साथ-साथ व्यय में कटौती करने में भी मददगार है। सिक्योर्ड इलैक्ट्रॉनिक ट्राजेक्शन, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क फायरवॉल आदि तकनीकों के माध्यम से इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से व्यापारिक कारोबार किया जा रहा है।
  • आंतरिक खरीद अथवा इंटरनल प्रोक्योरमेट: बहुराष्ट्रीय एवं बड़ी तथा अत्यधिक भौगोलिक विस्तार वाली कंपनियों की आंतरिक खरीद -ब्रिकी विभिन्न अनुषंगी संस्थानों के बीच होती है, जो आंतरिक खरीद की श्रेणी के ई-कॉमर्स के अंतर्गत आती है। इंटरनेट पर होने वाली बिक्री ऑर्डर को प्रोसेसिंग, बिलिंग, धन का लेन -देन तथा अन्य संबंधित कारोबार कंपनियाँ अपने खर्चों में कटौती हेतु करती हैं।
विदेशी निर्यात को प्रोत्साहन (Foreign Export Incentives)
  • भारत के उत्पादों को भारत सरकार ने विदेशी बाजार में विक्रय हेतु विदेश व्यापार संवर्धन विभाग के माध्यम से इंटरनेट पर न केवल विज्ञापित बल्कि विदेशी कंपनियों से संबंध स्थापित करने के प्रयास भी किये हैं। इस प्रकार इंटरनेट विदेशी मुद्रा कमाने का भी अच्छा माध्यम हो सकता है।
  • इंटरनेट के माध्यम से पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

इंटरनेट की संभावित हानियाँ (Possible Disadvantages of Internet)

  • इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान बिना किसी रोक-टोक के होता है और इसका दुरूप्योग भी आपराधिक प्रकृति के लोग करते हैं। विशेष रूप से तस्करी जैसे अपराधों में सूचना का विशेष महत्व होता है। अटलांटा ओलंपिक में जो बम विस्फोट हुआ था उसके अभियुक्त ने स्वीकार किया था कि बम बनाने की विधि उसने इंटरनेट से सीखी। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की घटनाएँं भी इंटरनेट के कारण काफी असान होने लगी हैं।
  • अश्लील उद्देश्यों के लिए भी इंटरनेट का उपयोग किया जाता है और विशेष रूप से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह एक बड़ा खतरा है। इस संबंध में अलग-अलग देशों ने कुछ नियम बनाये हैं, किन्तु वे नियम न तो पूरे विश्व में माने जाते हैं और न ही विशेष प्रभावशाली हैं।

इंटरनेट से संबंधित अपराध (Crimes Related to Internet)

ये निम्नलिखित प्रकार के हैं-

  • स्पैमिंग-इसका अर्थ है किसी व्यक्ति के E-Mail Account में बिना उसकी सहमति के अवांछित E-Mail भेजना। इससे बचने के लिए Spam net तथा Spam Filter जैसे कुछ प्रोग्राम बनाये गये हैं। हालाँकि स्पैमिंग को पूरी तरह से रोकना एक जटिल कार्य है।
  • क्रैकिंग- इसका दूसरा नाम है पासवर्ड क्रैकिंग/क्रॉसिंग। इसका अर्थ है बार-बार प्रयास करके या चुराकर किसी व्यक्ति के ई-मेल या इंटरनेट एकांउट के पासवर्ड को अपने नियंत्रण में ले लेना। इसे भी पूरी तरह समाप्त करना कठिन है। इसके लिए हाल ही में एक नई तकनीक MT Digit Fingerprint Reader का प्रयास किया गया है। यह Fingerprint का अध्ययन करने वाला एक स्कैनर है, जो वास्तविक मालिक के अतिरिक्त किसी दूसरे व्यक्ति को एकाउंट में प्रवेश नहीं करने देता।
  • हैकिंग- इसका अर्थ है किसी व्यक्ति या संस्था की वेबसाइट पर कुछ समय के लिए नियंत्रण स्थापित कर लेना और उपलब्ध सूचना को चुरा लेना या बदल लेना।
  • ऑन लाइन स्पाइंग-इसका अर्थ है किसी व्यक्ति के ई-मेल या इंटरनेट में घुसकर उसके क्रियाकलापों की जासूसी करना। यह अपराध प्राय: पासवर्ड क्रैकिंग के माध्यम से ही संभव होता है।
  • क्रेडिट कार्ड रॉबरी -इसका अर्थ है इंटरनेट के माध्यम से किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड का नंबर प्राप्त करके उसके एकाउंट से धन लूट लेना। डिजिटल चेक और डिजिटल सिग्नेचर जैसी स्थितियों के आने के बाद इस अपराध के बढ़ने की संभावना अधिक हुई है।