Science and Technology: Other Important Missiles and Warheads

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प्रतिरक्षा प्रौद्योगिकी (Defense Technology)

अन्य महत्वपूर्ण मिसाइलें और युद्धक शीर्ष (Other Important Missiles and Warheads)

ब्रंह्योस (Brahmos)

  • यह भारत और रूस दव्ारा संयुक्त रूप से विकसित सुपरसोनिक क्रूजमिसाइल है जिसका नामकरण भारतीय नदी ब्रह्यपुत्र तथा रूसी नदी मस्कोवा के नाम पर किया गया है। इसमें रूसी प्रोपल्शन प्रणाली तथा भारतीय निर्देशन प्रणाली का इस्तेमाल संयुक्त रूप से किया गया है। इस क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। यह लगभग 8 मीटर लंबा, 3 टन वजनी, 300 किलोग्राम विस्फोटक ले जाने में सक्षम तथा ‘दागो और भूल जाओ’ पदव्ति पर आधारित प्रक्षेपास्त्र है। इस मिसाइल में ठोस एवं द्रव प्रोपलेंट रैमजेट प्रणाली (Solid and Liquid Propallant Ramjet System) का प्रयोग किया गया है। जरूरत पड़ने पर वह प्रक्षेपास्त्र अपने लक्ष्य की परिधि से 20 किलोमीटर पहले अचानक अपना मार्ग परिवर्तित कर सकता है।
  • ब्रह्योस के नौसेनिक संस्करण को आई. एन. एस. राजपूत और आई. एन. एस. रणविजय पर तैनात किया गया है। जून 2007 में इस प्रक्षेपास्त्र को भारतीय थल सेना में शामिल कर लिया गया जबकि वायुसेना के लिए इसका हल्का संस्करण तैयार किया जा रहा है।

अस्त्र (Astra)

  • यह हवा से हवा में मार करने वाला स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रक्षेपास्त्र है, जिसकी मारक क्षमता 25 किलोमीटर तक है। साथ ही आवश्यकतानुसार इसकी मारक क्षमता को 40 किलोमीटर तक बढ़ाया भी जा सकता हैं।
  • यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत का प्रथम प्रक्षेपास्त्र है जिसका विकास महानगरों की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए किया गया है। इस प्रक्षेपास्त्र का विकास मिग-29, एस यू-30 तथा सी हैरियर के अलावा हल्के लड़ाकू विमान पर तैनाती के लिए किया जा रहा है।

स्वप्न (Swapna)

डी. आर. डी. ओ दव्ारा स्वप्न नामक एक ऐसे प्रक्षेपास्त्र का विकास किया जा रहा है जो सौ से अधिक बार प्रयोग में लाया जा सकेगा। यह अमरीकी क्रूज प्रक्षेपास्त्र तथा रिमोट से चलने वाले वाहन का समन्वित रूप होगा। यह स्टील्थ तकनीकी पर आधारित प्रक्षेपास्त्र होगा, जो रडार की पकड़ में नहीं आ सकेगा। इस प्रक्षेपास्त्र में रैमजेट और स्क्रैमजेट प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रणाली में उड़ान के दौरान तेज हवा हाइड्रोजन से मिलकर दहन के बाद ऐसा दबाव उत्पन्न करती है जिससे प्रक्षेपास्त्र ध्वनि के वेग से सात गुना अधिक रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम हो जाता है।

लाहट (LAHAT- Laser Homing Anti-Tank)

यह डी. आर. डी. ओ दव्ारा विकसित टैंक भेदी मिसाइल है जिसका निर्देशन लेजर दव्ारा किया जाता है। इसका विकास मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ के लिए किया गया है जिससे इसे अर्जुन टैंक के 120 मि. मी. की मुख्य नाल से दागा जा सकता है। 6 किलोमीटर की प्रहारक क्षमता वाला यह प्रक्षेपास्त्र एक मिनट से भी कम समय में शत्रुओं के टैंक को नष्ट कर सकता है।

शौर्य (Shaurya)

यह सतह से सतह पर मार करने वाला मध्यम दूरी का हल्का व संवेदनशील बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 600 किलोमीटर है। यह एक टन के परंपरागत युद्धक शीर्ष (Warheads) के वजन के साथ मार कर सकता है। ब्रह्मोस की तरह इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। वस्तुत: यह के-15 (सागरिका) मिसाइल का ही जमीनी प्रतिरूप है।

सागरिका (Sagarika)

डी. आर. डी. ओ दव्ारा विकसित सबमेरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (Submarine Launch Ballistic Missile) ‘K-15’ को ‘सागरिका’ नाम दिया गया है। यह भारत का समुद्र के अंदर से छोड़ा जाने वाला परमाणु क्षमता से संपन्न पहला बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 700 किमी. है। ‘टर्बोजेट’ से चलने वाले इस मिसाइल को भारत की निर्माणाधीन परमाणु ईंधन चलित पनडुब्बी ‘अरिहंत’ पर तैनात करने के लिए विकसित किया जा रहा है। इसके साथ ही भारत पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता वाला अमरीका, रूस, फ्रांस व चीन के बाद पांचवा देश हो गया है।

कोरनेट-ई (Cornet – E)

  • यह एक टैंकरोधी प्रक्षेपास्त्र है, जिसकी मारक क्षमता 5.5 किमी. है। यह प्रक्षेपास्त्र किसी भी वाहन पर तैनात किया जा सकता है तथा किसी भी टैंक को भेदने के साथ-साथ 3.5 मीटर मोटी कंक्रीट के बने बंकर या रक्षा कवच को भी भेद सकता है। तीसरी पीढ़ी के इस रूसी प्रक्षेपास्त्र में किसी टैंक को दिन या रात में देखने के लिए कई तरह की ऑप्टिकल उपकरण लगे होते हैं तथा यह स्वत: ही लांचर पर लोड भी हो सकता है।
  • अभी तक भारत डाइनामिक्स लिमिटेड रूसी कोंकुर तथा फ्रांसीसी मिलन मिसाइलों का उत्पादन करता था, लेकिन अब इसे कोरनेट-ई के उत्पादन का अधिकार भी मिल गया है। भारतीय थल सेना में कोरनेट-ई मिसाइलें रूसी कोंकुर मिसाइल की जगह लेगा।

पिनाका (Pinaka)

डी. आर. डी. ओ दव्ारा स्वदेशी तकनीक से विकसित इस मल्टी बैरेल रॉकेट लांचर का उपयोग सतह से सतह पर मार करने वाले कम दूरी के प्रक्षेपास्त्रों को छोड़ने में होता है। यह रॉकेट लांचर ताप सुरक्षा प्रणाली, फ्लो फॉर्म्ड मोटर आवरण, कंपोजिट प्रोपेलेंट एवं कंपोजिट प्रक्षेपक ट्‌यूब जैसे तकनीकों से सुसज्जित है तथा यह मात्र 40 सेकंड में ही एक- एक करके 12 रॉकेट प्रक्षेपित कर सकता है। इसकी प्रक्षेपण क्षमता कम से कम 7 किमी. और अधिक 39 किमी. तक है। दस फुट लंबे इस गतिशील रॉकेट लांचर में शस्त्र-भंडारों, टैंकों व सैन्य टुकड़ियों को नष्ट करने की पूरी क्षमता है।

बराक (Barak)

  • यह एक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली है, जिसका विकास इजरायल दव्ारा किया गया है। वर्तमान में यह रक्षा प्रणाली मात्र तीन देशों के पास है, जिनमें से भारत भी एक है। ‘बराक’ मिसाइल की मारक क्षमता कम से कम 500 मीटर तक तथा अधिकतम 12 किमी. तक है। वर्टिकल लांचर (Launcher) से दागा जा सकने वाला यह प्रक्षेपास्त्र चारों दिशाओं में घूम सकता है।
  • भारतीय नौसेना के जहाज पर तैनाती के बाद 8 मई, 2003 को इसका सफल परीक्षण किया गया था।

सारथ (Sarath)

यह एक तरह का प्रक्षेपास्त्र प्लेटफॉर्म है जिसके दव्ारा प्रक्षेपास्त्रों को लादकर युद्ध क्षेत्रों में ले जाया जाता है एवं उचित स्थान से छोड़ा जाता है। वस्तुत: यह रूस दव्ारा विकसित लांचर (BMP-1) का ही संशोधित रूप है, जिसका विकास मुख्यत: त्रिशूल, आकाश एवं नाग प्रक्षेपास्त्र के लिए किया गया है। इसके विभिन्न संस्करणों का विकास किया गया है, ताकि अलग-अलग प्रकार के प्रक्षेपास्त्र को सफलतापूर्वक छोड़ा जा सके।

हल्का लड़ाकू विमान (तेजस) (LCA- Light Combat Aircraft)

यह स्वदेश निर्मित चौथी पीढ़ी का बहुउद्देशीय हल्का लड़ाकू विमान है, जो हवा से वहा, हवा से जमीन तथा हवा से समुद्र में मार करने की क्षमता से लेस है। यह हल्का लड़ाकू विमान मिशन की जरूरत के अनुसार विभिन्न प्रकार की मिसाइलें, बम व रॉकेट वहन करने में सक्षम है तथा इसमें वहा में उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने की विशेषता है। विमान में फिलहाल अमरीकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक का ‘जी ई-404’ इंजन लगाया गया है, लेकिन बाद में स्वदेश निर्मित ‘कावेरी इंजन’ लगाया जाएगा। इससे पहले स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान का बंगलुरू स्थित हिन्दुस्तान एयरोलॉटिक्स हवाई अड्‌डे से 4 जनवरी, 2001 को सफल परीक्षण किया गया। इसके साथ ही भारत उन प्रमुख आठ देशों के क्लब में शामिल हो गया है जो सुपरसोनिक लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता रखते हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय वायुसेना के उज्जवल भविष्य के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले इस विमान को ‘तेजस’ नाम दिया था।

अवाक्स (AWACS- Airborne Warning and Control System)

  • अवाक्स एक ऐसी रडार प्रणाली है जिसमें अन्य देशों की हवाई सीमा का अतिक्रमण किये बगैर ही हवाई निगरानी की जा सकती है। सभी मौसम में कार्य करने वाली इस प्रणाली की मदद से शत्रुओं की सभी प्रकार की गतिविधियों को तस्वीरें प्राप्त होने के कारण इसे ‘आसमान में आँख’ (Eye in the Sky) की संज्ञा दी गयी है।
  • भारत की अवाक्स प्रणाली भारत, इजराइल व रूस के मध्य हुए एक त्रिपक्षीय समझौते का प्रतिफल है, जिसके अंतर्गत इजराइल से प्राप्त ‘फाल्कन’ रडार को रूस से लिए गए विमान ‘IL-76’ पर लगाया गया है। फाल्कन रडार, प्रक्षेपास्त्रों की प्रत्येक हलचल पर निगरानी रखने में सक्षम है तथा यह उड़ान भरने की तैयारी को भी पकड़ लेता है। फाल्कन रडार अत्यधिक संवदेनशील सेंसर प्रणालियों पर आधारित है तथा यह लक्ष्य की बनावट, उसकी गति व अवस्थिति की जानकारी सिर्फ तीन या चार सेकंड में दे देता है। फाल्कन रडार प्रणाली शून्य से 3600 तक घूमकर चारों ओर निगरानी करने में सक्षम है तथा 10 घंटे तक लगातार उड़ान भरने के साथ ही हवा में ईंधन भी भर सकता है। अमरीकी अवाक्स प्रणाली से अधिक तेजी से चेतावनी देने में सक्षम फाल्कन रडार प्रणाली को सतह से नियंत्रित व निर्देशित किया जा सकता है।