Science and Technology: Software, Types and Application of Computer

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कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी (Computer and Information Technology)

कम्प्यूटर (Computer)

सॉफ्टवेयर (Software)

सॉफ्टवेयर कम्प्यूटर के उन प्रोग्रामों (Programs) को कहते हैं, जो कम्प्यूटर के संचालन को संभव बनाते हैं।

ये तीन प्रकार के होते हैं:-

  • System Software
  • Application Software
  • Custom Software

Explanation:

  • System Software- वह सॉफ्टवेयर, जो कम्प्यूटर की एक व्यवस्था का संचालन करता है। इसे ‘बेसिक ऑपरेटिंग सिस्टम’ भी कहते हैं। उदाहरण के लिए विंडो, डॉस इत्यादि।
  • Application Software- वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग किसी बड़े किन्तु विशेष कार्य के लिए किया जाता है। आमतौर पर ये ऐसे कार्यक्रम हैं जो कई अलग-अलग स्थानों पर एक ही तरह का कार्य करने के लिए प्रयुक्त होते हैं, जैसे-रेल आरक्षण में आदि।
  • Custom Software- किसी विशेष समस्या को सुलझाने के लिए जिस कार्यक्रम का प्रयोग किया जाता है, उसे Custom Software कहते हैं, जैसे किसी कार्यालय में काम करने वाले व्यक्तियों के कार्य तथा वेतन से संबंधित परिगणना।

कम्प्यूटर के प्रकार (Types of Computer)

कम्प्यूटर को चार आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है-

  • मूल तकनीक के आधार पर-एनालॉग, डिजिटल, हाईब्रिड, आण्विक, क्वांटम तथा न्यूरों कम्प्यूटर।
  • पीढ़ी के आधार पर-पहली पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी, तीसरी पीढ़ी, चौथी पीढ़ी एवं पाँचवीं पीढ़ी के।
  • क्षमता के आधार पर-माइक्रो, मिनी, मेनफ्रेम, सुपर।
  • आकार के आधार पर-पॉमटॉप, लैपटॉप, डेस्कटॉप।

पीढ़ी के आधार पर (On the Basis of Generation)

कम्प्यूटर के विकास की पाँच पीढ़ियाँ मानी गई हैं, जिनका सामान्य परिचय इस प्रकार है-

  • पहली पीढ़ी- इनके विकास का समय 1945 - 60 तक माना गया है। इनकी तकनीक इलेक्ट्रॉन (इलेक्ट्रिक) ट्‌यूब तथा वॉल्व पर आधारित थी। इनके प्रयोग के लिए वातानुकूलन को आवश्यक माना जाता था।
  • दूसरी पीढ़ी- इनके विकास का समय 1960 - 65 तक माना गया है। ये वे कम्प्यूटर है जिनमें वॉल्व के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग होना शुरू हुआ।
  • तीसरी पीढ़ी- विकास का समय 1965 - 70 तक। इन कम्प्यूटरों में LSI (Large Scale Integration) (बड़े आकार के एकीकृत परिपथ) का प्रयोग होना शुरू हुआ। इसी में पहली बार सिलिकॉन चिप का प्रयोग हुआ।
  • चौथी पीढ़ी- विकास का समय 1970 - 85। इसमें LSI के स्थान पर VLSI (Very Large Scale Integration) का प्रयोग होना शुरू हुआ, अर्थात अतिविस्तृत एकीकृत परिपथ का प्रयोग। इन परिपथों में सिलिकॉन के माइक्रोचिप का प्रयोग होने लगा तथा पहली बार कम्प्यूटर की स्मृति क्षमता एक गीगाबाइट तक पहुँच गयी।
  • पाँचवी पीढ़ी- यह 1985 से अभी तक के विकास पर आधारित है। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता के स्तर को प्राप्त करना है। सिलिकॉन चिप से आगे बढ़कर इस समय गैलियम ऑर्सेनाइड चिप का प्रयोग किया जाने लगा है। इनके अतिरिक्त बायोचिप के विकास का भी प्रयास किया जा रहा है। इस पीढ़ी में क्वांटम व न्यूरो कम्प्यूटर के विकास की भी संभावना है।

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Applications of Computer)

  • शिक्षा के क्षेत्र में: शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट तथा उसके माध्यम से कम्प्यूटर ने शिक्षा व्यवस्था को प्रगतिशील, नवाचारी एवं सुग्रह्‌ाय बना दिया है। पूर्व में जिन सूचनाओं को प्राप्त करना अत्यंत जटिल था और उन्हें प्राप्त करने में काफी समय भी लगता था, आज इंटरनेट तथा कम्प्यूटर के माध्यम से कोई भी सूचना बहुत ही कम समय में सुगमता से प्राप्त की जा सकती है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार दव्ारा शिक्षण कार्यक्रमों के संचालन के लिए इंटरनेट तथा कम्प्यूटर अत्यंत ही उपयोगी माध्यम हैं। विभिन्न प्रकार की गणनाओं को सरल रूप में विश्लेषित करने और पाठ्‌य विषयों को रुचिकर बनाने हेतु कम्प्यूटर में अलग से सॉफ्टवेयर की व्यवस्था की जा सकती है। इस प्रकार सर्वशिक्षा अभियान जैसे अत्यंत व्यापक महत्व वाले कार्यक्रमों की सफलता बहुत हद तक कम्प्यूटर तथा इंटरनेट के समुचित प्रयोग पर भी निर्भर करती है।
  • व्यवसाय के क्षेत्र में: कर्मचारियों के वेतन -भत्ते और विभिन्न प्रकार के कार्यकलापों के क्रय-विक्रय का लेखा-जोखा रखने संबंधी विवरणों के संचयन हेतु कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न समयों पर घोषित की जाने वाली आर्थिक नीतियों या वस्तुओं की कीमत में आने वाले उतार-चढ़ाव से व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव के विस्तृत विश्लेषण कार्यों में भी कम्प्यूटर की गणनाएँ महत्वपूर्ण होती हैं। बाजार में विद्यमान संभावनाओं के संबंध में भी कम्प्यूटर से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर महत्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं।
  • उद्योग के क्षेत्र में: विभिन्न उद्योगों में उत्पादन कार्य हेतु सामग्रियों की रूपरेखा और उन पर आने वाले व्यय का तर्क संगत विवरण कम्प्यूटर के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। ऑटोमोबाइल तथा रसायन जैसे उद्योगों में 90 फीसदी कार्यो का संचालन कम्प्यूटर के माध्यम से ही किया जाता है। परमाणु ऊर्जा उद्योगों में कम्प्यूटर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। अब कम्प्यूटर का उपयोग खनन-उद्योग में भी सुरक्षा की दृष्टि से आँकड़़ों का संग्रहण करने के लिए भी हो रहा है। समाचारों की प्राप्ति से लेकर उनके टंकण और मुद्रण का कार्य भी कम्प्यूटर दव्ारा ही संचालित किया जाता है। आधुनिक संयंत्रों, फिल्म उद्योग, कैमरा तथा भारी-उद्योगों में कम्प्यूटर का उपयोग उच्च गुणवत्ता की दृष्टि से किया जा रहा है।
  • बैंकिंग तथा निवेश के क्षेत्र में: कम्प्यूटर के उपयोग से बैंकों में रिकॉडों एवं आँकड़ों को सुव्यवस्थित रूप में रखने का कार्य भी पूर्व की अपेक्षा अत्यंत कम समय में सुगमतापूर्वक निष्पादित किया जा रहा है। मुख्य बैंकों की विभिन्न शाखाएँ कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं और मुख्य शाखा में लगे कम्प्यूटर को आँकड़े भेजती हैं और उससे आँकड़े प्राप्त भी करती हैंं। ब्याज दरों के बदलते प्रतिशत के आधार पर कम्प्यूटर को अद्यतन किया जाता है और ग्राहकों के लिये भी यह सुविधाजनक होता है कि वे अपने पासबुक में अद्यत आँकड़े अंकित करवाते रहें। विभिन्न बीमा कंपनियों में निवेशित राशि तथा ग्राहकों एवं बीमारियों के जन्म तथा आयु-संबंधी आँकड़ों को कम्प्यूटर के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है, साथ ही विभिन्न प्रकार के भुगतानों और अदाएगी का विवरण भी इसमें संचित रहता है।
  • प्रबंधन में: कृषि, औद्योगिक, बैंकिंग एवं वित्त जैसे प्रबंधन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन तथा विकास की दृष्टि से कम्प्यूटर का उपयोग अनिवार्य हिस्सा बन गया है। उच्च तकनीक के प्रबंधन हेतु आवश्यक है कि नवीनतम सूचनाओं की उपलब्धता हो और जिसके विश्लेषण के आधार पर उन्हें प्रबंधित किया जा सके। व्यावसायिक प्रबंधन हेतु वित्त संबंधित नवीनतम सूचनाओं के विश्लेषण की आवश्यकता होती है, साथ ही वित्तीय प्रबंधन में भी लाभ-हानि की संभावनाओं के अध्ययन की आवश्यकता होती है। कम्प्यूटर में आँकड़ों के संसाधन (Processing) से इन सभी कार्यो का कुशल प्रबंधन किया जा सकता है।
  • अंतरिक्ष अनुसंधान में: अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के विभिन्न चरणों में कम्प्यूटर की आवश्यकता पड़ती है। सर्वप्रथम अंतरिक्ष यानों के निर्माण कार्य में, कम्प्यूटर का उसके ढाँचे की डिजाइनिंग के कार्य में प्रयोग किया जाता है और फिर इन अंतरिक्ष यानों में कम्प्यूटर इसलिए लगाए जाते हैं ताकि वे अंतरिक्ष से विभिन्न प्रकार के आँकड़ों को भेज सकें। चूँकि सभी प्रकार के उपग्रहों या अंतरिक्ष यानों में मनुष्य को भेजना संभव नहीं है अत: ऐसे कार्यों में कम्प्यूटर का उपयोग निश्चय ही लाभकारी होता है। मौसम संबंधी सूचनाओं की प्राप्ति के लिए भी उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाता है और इन उपग्रहों में लगे कम्प्यूटर मौसम दर्शक का कार्य करते हैं।
  • दूरसंचार के क्षेत्र में: विभिन्न प्रकार के संचार उपग्रहों में सूचनाओं का संचार करने के लिये बड़े कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है। टेलीफोन एक्सचेंजो को कम्प्यूटर के माध्यम से संचालित किया जाता है, जबकि टेलीग्राम के लिए कम्प्यूटर के टर्मिनल ही विभिन्न स्थानों से जुड़े रहते हैं। रेलवे में टिकट बुकिंग और इंजन के सुचारू रूप से संचालन हेतु तथा विकसित देशों में ट्रैफिक सिग्नलों के सुगमतापूर्वक संचालन हेतु भी कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। हवाई जहाजों के नियंत्रण कार्य के लिये भी कम्प्यूटर के माध्यम से प्राप्त सिग्नलों का प्रयोग किया जाता है।