कलामंडलम सत्यभामा कलारीपयट्‌टु (केरल का मार्शल आर्ट) (जुडो कराटे) (Kalamandalam Satyabhama Kalaripayattu: Martial Arts of Kerala – Culture)

Get top class preparation for CTET-Hindi/Paper-2 right from your home: get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-2.

• वह एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना, गुरु और नृत्य-निर्देशिका थीं, जो अपने प्रदर्शन के लिए जानी जाती थीं तथा मोहिनीअट्‌टम में उन्हें पांडित्य हाशिल था।

• वर्ष 2014 में, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान हेतु उन्हें पदम श्री से नवाजा गया।

• वह भरतनाट्‌यम, मोहिनीअट्‌टम और कथकली तीनो ही नृत्य कला रूपों में पारंगत थीं।

• उन्हें मोहिनीअट्‌टम को बाह्य प्रभावों से मुक्त कर परिशुद्ध रूप में प्रस्तुत करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इस कला के प्रदर्शन के तरीकों में इस प्रकार बदलाव किया ताकि इसके भावनात्मक पहलु को कड़ाई से लास्यम से जोड़ा जा सके

मोहिनीअट्टम

• मोहिनीअट्टम केरल का एक शास्त्रीय नृत्य है, जिसका प्रदर्शन महिलाओं दव्ारा किया जाता है।

• इस नृत्यकला को ‘मोहनी’ के नृत्य के रूप में जाना जाता है। मोहिनी रूप वस्तुत: विष्णु के दव्ारा भस्मासुर का वध करने के लिए धारण किया था।

• लोचशील शारीरिक गति तथा चेहरे के दव्ारा विद्यालय भावों को अभिव्यक्त करना वस्तुत: अधिक नारीत्व प्रकृति की अभिव्यक्तियां हैं। यही कारण है कि नृत्यकला के इस रूप का प्रदर्शन महिलाओं के दव्ारा किये जाने हेतु अधिक उपयुक्त होता हैं।

• त्रावणकोर के महाराजा ने इस नृत्य को इसके आधुनिक शास्त्रीय रूप में रूपांतरित किया।

• इस नृत्य को घुमावदार उद्दात शारीरिक मुद्राओं के लिए जाना जाता है। इस नृत्य में शारीरिक मुद्राओं में आकस्मिक परिवर्तन नहीं होता।

• मोहिनीअट्टम नृत्य कला रूप अभिनय केन्द्रित है। कलाकर चरित्र और भावों को आत्मसात कर लेता है, जिनकी अभिव्यक्ति वह हाथ और चेहरे की भावभंगिमाओं के माध्यम से करता है।

कलारीपयट्‌टु केरल का मार्शल आर्ट जुडो कराटे Kalaripayattu Martial Arts of Kerala ~Kalamandalam Satyabhama and Kalaripayattu Martial Arts of Kerala – Culture

• कलारीपयट्‌टु पांच सौ से अधिक वर्षों से प्रचलित केरल की स्वदेशी मार्शल आर्ट है।

• यह गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से सदियों से सुरक्षित है।

• यह एक समग्र कला है जिसमें दूसरों पर आक्रमण के साथ ही उससे बचाव की तकनीक भी शामिल है।

• इसके तीन क्षेत्रीय रूप हैं जिनमें उनकी आक्रामक और रक्षात्मक शैलियों के आधार पर विभेद किया जाता है।

• कलारीपयट्‌टु तकनीक कदम (चुवातु) और मुद्रा (वादिवु) का संयोजन है।

तमिल और मलयालम में कलारी का अर्थ स्कूल (विद्यालय) या प्रशिक्षण हाल जहां मार्शल आर्ट सिखाई जाती है।