जानवरों को न्यूनीकरण के लिए मारना (Killing Animals for Minimization – Environment)

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• पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में विभिन्न राज्यों में कई प्रजातियों को संख्या न्यूनीकरण के लिए मारने की इजाजत बड़ी संख्या में प्रदान की है।

• पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य बोर्डो (परिषदों) को अनुमति प्रदान की है कि वे मानव संपदा तथा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों की पहचान करें। इसके तहत नीलगाय, बंदर तथा जंगली सूअर को नुकसान पहुंचाने वाले जीवन (वर्मिन) के रूप में चिन्हित कर बिहार, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में उन्हें मारे जाने की अनुमति प्रदान की गई है।

• यह अनुमति एक वर्ष के लिए प्रदान की गई है। इसका मतलब यह है कि एक साल तक इन जानवरों को शिकार करके मारने वाले लोगों को ना तो जेल की सजा होगी और ना ही जुर्माना लगाया जाएगा।

• ज्गांली जानवर वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 दव्ारा संरक्षित हैं जिसके तहत जानवरों और पक्षियों को खतरे का सामना करने के आधार पर चार अनुसूचियों में वर्गीकृत किया गया है।

• अत्यधिक खतरे की उच्च अनुसूची-1 में बाघ और अनुसूची-4 में खरगोश है।

• प्रत्येक वर्ग के संरक्षण की विभिन्न श्रेणियों हैं और कानून अनुसूची-1 के जानवरों को छोड़कर सभी को अस्थायी रूप से अनुसूची-5 या नाशक जीवन के रूप में रखने की अनुमति देता है।

• नील गाय, जंगली सूअर और रीसस बंदर अनुसूची-2 और 3 के अंतर्गत आते हैं।

• एक याचिका के जवाब में, उच्चतम न्यायालय ने संख्या न्यूनीकरण के लिए जानवरों को मारने की अधूिसचना पर रोक लगाने से मना कर दिया।

पशु कल्याण बोर्ड

• यह एक वैधानिक सलाहकारी निकाय है जो पशु कल्याण कानूनों पर सरकार को सलाह देता है और पशुओं के कल्याण को बढ़ावा देता है।

• इसने “नाशक जीव” निर्णय पर आपत्ति उठायी और इसे मनमाना कहा।

• इसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत 1960 में स्थापित किया गया और यह पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।