हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (दूतमंडल) (National Mission for Green India – Environment and Economy)

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जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के अंतर्गत रेखांकित आठ योजनाओं में एक ग्रीन (हरा) इंडिया (भारत) भी है।

लक्ष्य

§ देश में वन/वृक्ष विस्तार को 50 लाख हेक्टेयर (खेत का नाप 10000 व. मी) तक बढ़ाना तथा अन्य 50 लाख हेक्टेयर (खेत का नाप 10000 व. मी) वन्य तथा गैर वन्य भूमि में वन/वृक्ष विस्तार की गुणवत्ता में सुधार करना।

§ कार्बन प्रच्छादन तथा भंडारण (वन एवं अन्य पारितंत्रो में) , हाइड्रोलॉजिकल (जलविज्ञान संबंधी) सेवाओं और जैवविविधता तथा तात्कालिक सेवाओं (यथा ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी तथा लकड़ी के अलाव अन्य वन उत्पाद) में सुधार के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र की गुणवत्ता बढ़ाना।

§ 30 लाख परिवारों की वन आधारित आजीविका में वृद्धि करना।

प्रमुख विशेषताएँ

• ग्रीन मिशन (हरा, दूतमंडल) को एक संपूर्णवादी दृष्टिकोण के साथ कार्य करने के उद्देश्य से प्रभाव में लाया गया है। इसके अंतर्गत विभिन्न पारिस्थितिकी सेवाओं जैसे- जैव विविधिता, जल, बायोमास (जैव ईंधन) , मैंग्रोव संरक्षण, आर्द्र, भूमि, संकटग्रस्त प्राकृतिक आवास आदि को प्रमुखता दी जाएगी। इसके साथ ही कार्बन (कोयला) सीव केस्ट्रेशन (छिलकेदार जलचर) भी इसका एक अतिरिक्त लाभ होगा।

• इस मिशन (दूतमंडल) में एकीकृत पार क्षेत्रीय दृष्टिकोण को अपनाया गया है अत: यह मिशन सार्वजनिक के साथ-साथ निजी भूमि पर भी लागू किया जाएगा जिसमें योजना बनाने, निर्णय लेने, लागू करने तथा इसकी निगरानी करने में स्थानीय समुदाय की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

• यह मिशन जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, जैविविधता संरक्षण, तथा वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका की सुरक्षा आदि के माध्यम से पर्यावरणीय परिस्थितियों के सुधार में वनों के प्रभाव को स्वीकार करता है।

• इस मिशन (दूतमंडल) में विकेंद्रीकृत भागीदारी प्रक्रिया को अपनाया गया है जिसमें जमीनी स्तर के संगठनों तथा स्थानीय समुदायों के दव्ारा योजना निर्माण, निर्णय प्रक्रिया, कार्यक्रम के क्रियान्वयन तथा इसकी निगरानी का कार्य किया जाएगा।

मिशन को लागू करने वाली संस्थाएं

• राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्तशासी संस्था समावेशी संचालन परिषद के साथ इस मिशन के संचालन का कार्य करेगी।

• राज्य तथा जिला स्तर पर इसे लागू करने के लिए राज्य वन विकास संस्था (एसएफडीए) तथा जिला योजना संबद्ध जिला वन विकास संस्थाओं को कार्य सौंपा जाएगा।

• ग्राम स्तर पर ग्राम सभाएं तथा शहरों में वार्ड (दिशा सूचक प्रत्यय) समितियाँ, नगर पालिका समितियों व वन विभाग के सहयोग से इस मिशन का कार्य करेंगी।

• इस मिशन की निगरानी 4 स्तरों पर की जाएगी जिसमें प्रमुखत: स्थानीय समुदायों तथा कर्मचारियों दव्ारा स्वत: निगरानी, रिमोट (दूरवर्ती) सेंसिंग (समझ) तथा भौगोलिक सूचता तंत्र (जीआईएस) और किसी अन्य तीसरी संस्था से निगरानी करवाना शामिल है।

सीएएमपीए

• क्षतिपूर्ति वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण का उद्देश्य गैर-वन्य उद्देश्यों के लिए परिवर्तित वन्य भूमि की क्षतिपूर्ति के लिए वनीकरण तथा सुधारात्मक गतिविधयों को बढ़ावा देना है।

• सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) के आदेशनुसार एक नेशनल (राष्ट्रीय) सीएएमपीए एडवाइजरी (सलाह) कौंसिल (परिषद) का गठन किया जाएगा।

इसके अधिदेश में निम्न बिंदु शामिल होंगे-

• राज्य सीएएमपीए के लिए व्यापक दिशा निर्देश प्रदान करना।

• राज्य सीएएमपीए के लिए आवश्यक वैज्ञानिक, तकनीकी और अन्य सहायताएं प्रदान करना।

• राज्य सीएएमपीए की योजनाओं और कार्यक्रमों की समीक्षा के आधार पर उन्हें सिफारिशें प्रदान करना।

• अंतर-राज्यीय तथा केंद्र-राज्यों के मध्य विवादों के निराकरण के लिए कार्ययोजना उपलब्ध कराना।

राज्य सीएएमपीए: राज्यों में गठित एक एजेंसी (शाखा) दव्ारा सीएएमपीए निधि के प्रयोग के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय दव्ारा तैयार दिशा-निर्देशों को सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) ने सहमति प्रदान की है। इस राज्य एजेंसी (शाखा) को राज्य सीएएमपीए के नाम से जाना जाएगा।