पैलियोचैनल (Paleochannel – Environment)

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सुर्ख़ियों में क्यों?

• जल संसाधान, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के तहत केन्द्रीय भूजल बोर्ड (परिषद) भारत में पैलियोचैनल के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए प्रयास कर रहा है जिससे कि भौम जल का बेहतर संभावित उपयोग किया जा सके।

• हाल ही में इसके दव्ारा इस मुद्दे पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

पैलियोचैनल बारे में

• पैलियोचैनल एक निष्क्रिय नदी या धारा का एक अवशेष है जिसे नवीन अवसाद दव्ारा या तो भर दिया गया है या तो दफन कर दिया गया है।

• एक पैलियोचैनल वर्तमान मेंं सक्रिय नदी धाराओं की तटीय निक्षेप से अलग है क्योंकि इसके नदी तल का निक्षेप, वर्तमान नदी के सामान्य निक्षेप से बिलकुल अलग हैं।

• पैलियोचैनल का निर्माण तब होता है जब नदी तल पर निक्षेप जमा होते-होते नदी के प्रवाह को समाप्त कर देती है। इस प्रकार के चैनल के लिए जमा संरक्षित होना चाहिए, प्रवाह दव्ारा इसे पुन: बहाव या अपरदन नहीं किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, जब चैनल शुद्ध निक्षेपित वातावरण में हो या एक धसते तलछटी बेसिन में।

पैलियोचैनल का महत्व

भूवैज्ञानिक महत्व

• भ्रंशों की गति को समझना

• अतीत की वर्षा, तापमान और जलवायु को समझने के लिए निक्षेपों और उपयोगी जीवाश्मों का संरक्षण-इससे वैश्विक तापन और जलवायु परिवर्तन को अच्छी तरह से समझने में भी सहायता मिल सकती है।

• पुरानी अपरदन सतहों और स्तरों के प्रमाणों का संरक्षण

आर्थिक महत्व

• पुराने अवसादों में यूरेनियम (क्रियाशील रेडिओ उत्पादक एक धातु तत्त्व) , लिगाइट जैसे खनिजों और सोना और प्लैटिनम (एक रासायनिक तत्त्व जो उद्योग एवं गहने बनाने में प्रयुक्त होता है) जैसी कीमती धातुओं के निक्षेप होते है।

भूजल स्रोत

• निक्षेपों की खुरदरी प्रकृति के कारण बेहतर प्रक्षालय तंत्र और तेजी से पुनर्भरण की व्यवस्था की वजह से पैलियोचैनल के भौम-जल तंत्र में भूजल की गुणवत्ता आसपास के वातावरण से अवसर बेहतर होती है।