शहरी कचरे से बनने वाली खाद (सिटी कम्पोस्ट) को बढ़ावा देने की नीति (Policy to Promote Composting of Urban Wastes – Environment and Ecology)
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कम्पोस्ट (खाद) क्या है?
• कंपोस्ट वह जैविक पदार्थ है जिसका खाद बनाने और मृदा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु विघटन और पुनर्नवीकरण किया गया हो।
• साधारणत: खाद बनाने के लिए नम जैविक सामग्रियों (जैसे पत्तियाँ, खाद्य अपशिष्ट आदि) के ढ़ेर जिसे हरा कूड़ा भी कहा जाता है, की आवश्यकता होती है। इस अपशिष्ट पदार्थ को एक हफ्ते या एक महीने की अवधि के लिए रख कर प्रतीक्षा करनी होती है, जिससे वह ह्यूमस में परिवर्तित हो जाए।
नीति की मुख्य विश्ाेषताएं
§ इस नीति के अंतर्गत 1500 रुपए प्रति टन (एक बड़ा पीपा) सिटी (शहर) कंपोस्ट (खाद) की बाजार विकास सहायता का प्रावधान किया गया है, ताकि इसके उत्पादन और उपयोग में बढ़ोत्तरी की जा सके। बाजार विकास सहायता किसानों के लिए सिटी कंपोस्ट के अधिकतम खुदरा मूल्य में कमी लाएगी।
§ सिटी कंपोस्ट से संबंधित ईको (परिस्थिति संबंधित) -मार्क मानक यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों तक जो उत्पाद पहुंचे, वह पर्यावरण के अनुकूल हो।
वितरण:
§ उर्वरक कंपनियों (संघों) के दव्ारा सहविपणन
§ कंपनियां खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए गाँंवों को भी गोद लेंगी।
§ सूचना, शिक्षा तथा संचार नेटवर्क (जाल पर काम)
§ संबद्ध मंत्रालय/विभाग किसानों को सिटी कंपोस्ट के फायदे से अवगत कराने के लिए सूचना शिक्षा तथा संचार अभियान चलाएंगे।
§ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र सहित अन्य कृषि विस्तार तंत्र भी इस संबंध में विशेष प्रयास करेंगे।
§ निगरानी
§ उर्वरक विभाग, शहरी विकास मंत्रालय और कृषि विभाग दव्ारा स्थापित एक संयुक्त तंत्र खाद विनिर्माताओं और उर्वरक विपणन कंपनियों के बीच परस्पर स्वीकृत शर्तो पर उपयुक्त मात्रा में सिटी कंपोस्ट की उपलब्धता की निगरानी करेगा और उसमे सहायता प्रदान करेगा।
§ उनके बीच तालमेल से संबंधित कोई मसला उठने पर वे उसे सुलझाने के लिए भी अधिकृत होंगे।
सिटी कंपोस्ट के लाभ
• मृदा स्वास्थ्य सुधार
§ इसमें उपयोगी मृदा जीवाणु और ह्यूमस शामिल हैं जो मृदा में हवा/ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं, जल प्रतिधारण क्षमता में वृद्धि करते हैं, तथा सूखें एवं जल जमाव दोनों चरम स्थितियों के प्रतिरोध में सुधार लाते हैं जिससे सिंचाई आवश्यकताएं कम हो जाती हैं।
§ इससे भारत की 21.7 मिलियन (दस लाख) हेक्टेयर (खेत का नाप 10000 व. मी) लवणीय और क्षारीय मृदा को पुन: कृषि योग्य बनाने में भी मदद मिलेगी।
§ रासायनिक उर्वरकों के भारी मात्रा में प्रयोग के कारण मृदा के संघटन में सूक्ष्म पोषक तत्वों में तेजी से आ रही कमी को रोकने में मदद मिलेगी।
§ जब इस खाद का रासायनिक उर्वरकों के साथ मिला कर प्रयोग किया जाएगा तब मृदा में भारी धातु का स्तर नीचे आ जाएगा। उदाहरण के तौर पर, सिंगल सुपर (उत्तम) फॉस्फेट (स्फुर आम्ल से बना हुआ क्षार) में, सिटी (शहर) कंपोस्ट (खाद) के लिए निर्धारित मानकों की तुलना में दुगना सीसा और 9 - 15 गुना अधिक कैडमियम (जस्ता के वर्ग की एक धातु) होता है।
§ भूजल प्रदूषण से रक्षा करता है।
§ स्वच्छ भारत मिशन (दूतमंडल) के साथ मिल कर ठोस कूड़े का प्रभावी प्रबंधन तंत्र एक साफ़ सुथरा शहर सुनिश्चित करेगा।