Science and Technology: Control of Cyber Crimes and E-Governance

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इंटरनेट से संबंधित विभिन्न अवधारणाएँ तथा तकनीकें और उनके अनुप्रयोग (Various Concepts and Techniques of Internet and Its Applications)

साइबर अपराधों का नियंत्रण (Control of Cyber Crimes)

साइबर अपराधों की बढ़ती हुई वैविध्यता तथा गहनता को देखते हुए इसके नियंत्रण के विभिन्न उपायों का उल्लेख किया जा सकता है-

  • आई टी तकनीकों का उपयोग करके साइबर अपराधों की रोकथाम करके राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित, सार्वजनिक सेवाओं को प्रभावी बनाना, अनाधिकृत कार्यों पर रोक तथा आप्रवासन नियंत्रण आदि को संभव बनाया जा सकता है।
  • जैवमित्तीय तकनीक प्रणालियों का उपयोग करके पहचान को सुनिश्चित किया जा सकता है और इसके लिए फिंगरप्रिंट, डिजिटल हस्ताक्षर, वर्ण, आवाज, हस्तज्यामिति, रक्त संवहनी प्रतिरूप, रेटिना, डी. एन. ए. कर्ण पहचान आदि को उपयोग में लाया जा सकता है।
  • विभिन्न देशों में लगातार बढ़ते विश्वव्यापी आंतकवाद के खतरों से निपटने के लिए बायोमेट्रिक पासपोर्ट में उपलब्ध क्रांतिक सूचनाओं को एक कम्प्यूटर चिप में उसी तरह संचित किया जाता है जैसे स्मार्ट कार्ड आदि में। इसी कारण बायोमेट्रिक पासपोर्ट को तुलनात्मक रूप से अधिक छेड़छाड-रोधी तथा सुरक्षित माना जाता है।

भारत में साइबर सुरक्षा के लिए किए गए उपाय (Measures Taken for Cyber Security in India)

चूँकि भारत अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय में सॉफ्टवेयर उद्योग क्षेत्र की एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है अत: इस दृष्टि से साइबर सुरक्षा भारत के लिए एक व्यापक महत्व का मुद्दा है। इसी क्रम में भारत को सूचना प्रोद्योगिकी विभाग ने साइबर सुरक्षा की शिक्षा के प्रसार दव्ारा जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से साइबर सुरक्षा शिक्षा तथा जागरूकता पर एक कार्य समूह का गठन किया था, जिसने इस संदर्भ में निम्नांकित महत्वपूर्ण सुझाव दिये-

  • साइबर सुरक्षा से संबंधित विषयों को सूचना प्रोद्योगिकी पाठ्‌यक्रमों में समावेशित करना।
  • मानव विकास से संबंधित आवश्यकताओं का आकलन करना।
  • साइबर सुरक्षा संस्थान की स्थापना करना।
  • अनुसंधान तथा प्रोद्योगिकी विकास के कार्यक्रमों में सहयोग की दृष्टि से आवश्यक क्षेत्रों की पहचान करना।
  • साइबर सुरक्षा कानूनों को मजबूत बनाना।
  • परियोजना के पूर्ण होने के पश्चात्‌ के कार्यों को प्रोत्साहित करना आदि।

इसके अतिरिकत सूचना प्रोद्योगिकी विभाग दव्ारा भी साइबर सुरक्षा के लिए एक सर्ट इन (CERT-In-Indian Computer Emergency Response Team) नामक कार्यात्मक संगठन का गठन किया गया है, जो साइबर अपराधों की आकस्मिक रोकथाम के साथ साथ गुणवत्ता सेवाएँ भी उप्लब्ध कराता है। इसके दव्ारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाएँ इस प्रकार हे:-

  • आकस्मिक घटनाओं से संबंधित नुकसान को कम करने के लिए प्रतिक्रियात्मक सेवाओं की उपलब्धता।
  • संगठनों को उनकी कार्यप्रणालियों तथा नेटवर्कों की सुरक्षा की दृष्टि से दिशा निर्देश प्रदान करना।
  • सुरक्षा चेतावनी, परामर्श और सुरक्षा के संबंध में पूर्वगामी सक्रिय सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

वर्ष 2000 में भारत सरकार ने सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम, 2000 लागू किया था, जिसकी विभिन्न धाराओं क माध्यम से साइबर अपराधों को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रवधान किए गए जैसे-

  • कम्प्यूटर प्रणाली हेकिंग पर रोक (धारा 66)
  • इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री के प्रकाशन पर रोक (धारा 67)
  • साइबर अपॉलेट ट्रिब्यूनल का गठन और उसकी प्रक्रिया एवं शक्तियाँ (क्रमश: धारा 48 एवं 58)

ई शासन (E-Governance)

इंटरनेट तथा उससे संबंधित विभिन्न इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों विशेषकर कम्प्यूटर ने मानव जीवन के लगभग हर पहलू को महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित किया है अत: प्रशासन भी इससे अछूता नही रह सकता है। चूँकि इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों की व्यावहारिक विशेषताओं के कारण मानव जीवन के अन्य पक्षों के साथ साथ प्रशासनिक कार्य शैली और उसके विकास में बहुआयामी गुणात्मक परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं। इलैक्ट्रॉनिक शासन (E-Governance) से आशय प्रशासन की कार्यप्रणाली में इलैक्ट्रॉनिक क्षेत्र में विकसित युक्तियों के प्रयोग से है। प्रशासन की कार्यप्रणाली में इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों की व्यवस्था के समावेश ने सुशासन (Good Governance) की अवधारणा को व्यावहारिक स्तर पर संभव बना दिया है क्योंकि ई-शासन के दव्ारा नागरिकों तथा प्रशासन के मध्य कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के माध्यम से विश्वसनीय, सुरक्षित तथा नियंत्रित संपर्क सथापित किया जा सकता है। इसी कारण से प्रशासन राजनीतिक पृष्ठभूमि में एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जिसमें सूचना प्रोद्योगिकी का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है। चूँकि राजनीतिज्ञ इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि ई-शासन से उनके प्रभाव और प्रधिकार में किसी भी तरह की कमी नहीं हो सकती, बल्कि इससे विभिन्न सरकारी सेवाओं की आपूर्ति में सुधार करके प्रशासन में गुणात्मक सुधार लाया जा सकता है। इलैक्ट्रॉनिक प्रशासन की अवधारणा में वस्तुत: तीन क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है-

  • पहला: आई. सी. टी. (Information & Communication Technology) के प्रयोग दव्ारा सरकारी कार्यों तथा सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावकारिता और कार्यक्षमता में सुधार करना।
  • दूसरा: आई. सी. टी. का प्रयोग करके सरकारी सूचनाओं की पहुँच नागरिकों के एक व्यापक वर्ग तक सुनिश्चित करने के साथ साथ आम नागरिकों और कारोबारियों के लिए सार्वजनिक सेवाओं में पाादर्शिता सुनिश्चित करना।
  • तीसरा: सार्वजनिक संस्थाओं तथा प्रजातांत्रिक व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण करने और राज्य तथा नागरिकों के मध्य गतिशील (Dynamic) संबंधों की स्थापना हेतु आई सी. टी. (Information & Communication Technology) को अपनाना इलैक्ट्रॉनिक शासन के माध्यम से प्रशासनिक कार्यप्रणाली में निम्नलिखित परिवर्तन संभव हुये हें-
    • समस्त प्रशासनिक कार्यों का संचालन कम्पयूटर डेस्कटॉप लेपटॉप ओर अब आईफोन पर भी निष्पादित किए जाने के कारण जहाँ कार्यालय संबंधी अधिकांश कार्य कागज रहित हो गए है। वहीं कर्मचारियों की अनावश्यक संख्या में भी कमी आई है।
    • कार्यालय प्रभारी का अपने समस्त अधिनस्थों पर सुगम तथा प्रभावी नियंत्रण स्थापित होने तथा क्षेत्रीय कार्यालयों तथा उनके मुख्यालय के मध्य टेलीकॉफ्रेंसिंग की सुविधा के परिणामस्वरूप नियंत्रण क्षेत्र का प्रभावी दायरा बड़ा है ओर इसमें अभी असीम संभावनाएँ निहित हैं।
    • क्षेत्रीय स्तर पर जगह जगह सूचना केंद्रों के खुल जाने के कारण जहाँ एक और राशनकार्ड वाहन परमिट तथा ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आवश्यक कार्यों के लिए आवेदन करना सुविधाजनक हो गया है वहीं दूसरी ओर आम जनता सूचना केंद्र पर उपलब्ध कम्प्यूटर व्यवस्था दव्ारा कोई भी संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकती है।
    • ई-मेल के माध्यम से शिकायत की जा सकती है तथा कम्पयूटर दव्ारा शिकायत निराकरण की तात्कालिक स्थिति का पता भी लगाया जा सकता है।

सूचना प्रोद्योगिकी के उपकरणों के पढ़ते दुरुपयोग से व्युत्पन्न साइबर अपराधों को रोककर प्रशासन को सुुदृढ़ता प्रदान करने के लिए सरकार दव्ारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 बनाया गया, जिसके दव्ारा ई-शासन तथा ई कारोबार को वैधानिकता प्रदान की गई। इसी तरह सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 पारित करके कुछ महत्वपूर्ण उपबंधों की व्यवस्था की गई जैसे-

  • आम जनता की सूचना तक पहुंच एवं रोकने लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय (सेक्सन 69)
  • सूचना अवरोध की निगरानी एवं अवमूल्यन प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय (सेक्सन 69)
  • सूचना या आंकड़ा एकत्रीकरण तथा निगरानी हेतु प्रक्रिया एवं सुरक्षा उपाय (सेक्सन 69 बी)

सरकार दव्ारा ई-शासन के संस्थाकरण हेतु, सामान्य सेवा आपूर्ति केन्द्रों दव्ारा आम जनता की मूलभूत आवश्यकताआंे को दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप सेवाओं की आपूर्ति करने के साथ-साथ वहन योग्य लागत पर ऐसी सेवाओं की आपूर्ति तथा विश्वसनीयता, प्रभावकारिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना (National Electronic Governance Plan) के लिए विजन, रणनीति, उपागम और उसके कार्यान्वयन को मंजूरी दी गई है, जिसमें 27 मिशनमोड़ परियोजनाएँ और 10 घटक शामिल हैं।

ई-शासन से संबंधित विभिन्न योजनाएँ (Various Plans of E-Governance)

राष्ट्रीय ई-शासन योजना (NEGP- National E-Governance Plan)

मूलभूत प्रशासन की गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से भारत सरकार दव्ारा राष्ट्रीय ई-शासन योजना की शुरूआत की गई, जो 27 मिशन मोड़ परियोजनाओं तथा 10 संबंधित घटकों के माध्यम से केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय स्तर पर कार्यान्वित की जा रही हैं। राष्ट्रीय ई-शासन योजना की 27 मिशन मोड़ परियोजनाओं में राज्य स्तर पर भू-अभिलेख वाणिज्य कर, कृषि, रोजगार विनिमय, सड़क परिवहन, भू-पंजीकरण, नागरिक सेवा आपूर्ति और शिक्षा जैसी सेवाओं के साथ-साथ पेंशन, वीजा, पासपोर्ट, ई-पोस्ट, आयकर, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा बीमा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।