Science & Technology: Goal of Glory Mission and Umbrella Grafting

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अद्यतन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Latest Development in Science & Technology)

सी-17 ग्लोबमस्टर-3 (C-17 Globe Master-III)

सी-17 ग्लोबमस्टर पर विशाल परिवहन विमान है, जो एक बार में 1.60 लाख पौंड वजन ले जा सकता है। इसमें 188 सैनिक पूरी तैयारी के साथ बैठ सकते हैं और इसमें चार बड़े ट्रकों या टेंकों को ले जाया जा सकता है, इस बहुउद्देशीय त्रिमान की एक खूबी यह भी है कि यह छोटे रनवे से उड़ान भर सकता है और ऊबड़-खाबड़ विमान पट्‌टी पर उतर सकता है, इसे आधे घंटे के अंदर विभिन्न कार्यों के लिए रूपान्तरिक किया जा सकता है और इसमें बना-बनाया विशाल अस्पताल भी ले जाकर कहीं भी स्थापित किया जा सकता है, भारत में यह विमान गाजियाबाद में हिंडन वायुसेना केन्द्र पर तैनात करने की वायुसेना की योजना है।

सामुद्रिक अनुसंधान हेतु भारत की पहली मानव रहित, पनडुब्बी (India՚s First Unmanned, Submarine for Oceanographic Research)

गहरे सागर में खनिज संपदा की खोज करने व इसकी निगरानी करने के लिए भारत ने अपने पहले ‘रिमिटली ऑपरेटेडहीकल’ (ROV) को 10 अक्टूबर, 2010 को हिन्द महासागर में उतारा गया। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology-NIOT) के अधीन संचालित इस मानव रहित पनडुब्बी का विकास रूस के एक्सपेरिमेंटल डिजाइन ब्यूरो ऑफ ओशियनोलॉजिकल इंजीनियरिंग (EDBOE) के सहयोग से एनआईओटी दव्ारा किया गया है, यह आरओवी समुद्र में लगभग छह हजार मीटर की गहराई में लोहे और मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड के स्रोत ‘पॉलिमेटेलिक नॉड्‌यूल्स’ (Polymetallic Nodules) का अध्ययन करेगा, पॉलिमेटेलिक नॉड्‌यूल्स को मैंगनीज नॉड्‌यूल्स भी कहा जाता है, जो समुद्र तल में स्थित शैल होते हैं और लोहे तथा मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड की परतों से बने होते हैं, समुद्र वैज्ञानिकों के अनुसार गहरे-से -गहरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता का अध्ययन करने के लिए आरओवी प्रमुख प्रणाली बनता जा रहा है। अमरीका, फ्रांस, जापान, रूस और संभवत: चीन के पास ही यह क्षमता उपलब्ध थी तथा अब भारत भी यह क्षमता रखने वाले इन देशों के क्लब में शामिल हो गया है।

सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस (C-130J Super Hercules)

फरवरी 2011 में अत्याधुनिक सी-130जे सुपर हर्क्यूलस विमान को भारतीय वायुसना में शामिल कर लिया गया, अमरीका की लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) कंपनी दव्ारा निर्मित इस परिवहन विमान को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हिंडन वायुसेना केन्द्र पर रक्षा मंत्री ने 5 फरवरी, 2011 को आयोजित एक समारोह में इसे वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया। सी-130जे सुपर हर्क्यूलस विमान हिंडन एयरबेस पर नवगठित 77 वील्ड वाइपर्स (Vield Vipers) स्कवेड्रन में तैनात किए जाएंगे, भारत ने ऐसे 6 विमानों की आपूर्ति के लिए वर्ष 2008 में नवगठित अनुबंध लॉकहीड मार्टिन कंपनी के साथ किया था, जिनमें से अभी पहला विमान ही भारतीय वायुसेना को प्राप्त हुआ है। 1.2 अरब डॉलर के इस सौदे के शेष पांचों विमान भी वर्ष 2012 के अंत तक प्राप्त होने की संभावना है। अमरीकी वायुसेना में प्रमुख विमान माल, ईंधन, हथियार व अन्य साजोसामान की ढुलाई के साथ-साथ काफी नीची उड़ान भरकर सैनिकों को शत्रु के इलाके में उतारने में सक्षम है। ऊबड़-खाबड़ पट्‌टी पर अंधेरे में भी उड़ान भरने में यह सक्षम है। हिंडनएयरबेस पर हर्क्यूलस विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल किए जाने से भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन मिला है।

ग्लोरी मिशन (Glory Mission)

अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा (NASA: National Aeronautics and Space Administration) ने 20 जनवरी, 2011 को जलवायु परिवर्तन से संबंधित आंकड़े जुटाने के लिए ग्लोरी मिशन नामक उपग्रह छोड़ने का निर्णय लिया, कैलिफोर्निया के वेंडरवर्ग वायु सेना क्षेत्र में ग्लोरी मिशन उपग्रह को 23 फरवरी, 2011 को छोड़ा गया है। यह मिशन फेल हो गया तथा निर्धारत कक्षा में नहीं पहुंच पाया।

ग्लोरी मिशन का लक्ष्य (Goal of Glory Mission)

  • प्राकृतिक और मानवीय एयरोसोल्स और बादलों का वैश्विक वितरण, मायक्रोफिजिकल गुण और उनकी रासायनिक संरचना का आंकड़े एकत्रित करना, ताकि एयरोसोल्स का जलवायु पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव को मापा जाना लक्षित था।
  • यह कुल सौर विकिरण को मापेगा ताकि सूर्य से पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव को आंका जाना लक्षित था।

अम्ब्रेला ग्राफ्टिंग (Umbrella Grafting)

अम्ब्रेला ग्राफ्टिंग में कान की हड्‌डी और पर्दा से ही नई झिल्ली बनाई जाती है, फिर उसे कान में प्रत्योरोपित कर दिया जाता है, चिकित्सा जगत में अब तक इसके लिए गोल्ड या टिटेनियम ग्राफ्टिंग का प्रयोग किया जाता था, जो अधिक खर्जीली थी। लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ उत्तर प्रदेश के डॉ मनु मल्होत्रा की (टीमपैनोप्लास्टी (Tympanopasty) कान के पर्दे का प्रत्यारोपण) के सस्ते ऑपरेशन हेतु किए गए शोध के लिए क्लीनिकल सर्जरी में बेस्ट रिसर्च का पुरस्कार मिला। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में यह पुरस्कार जनवरी 2011 में दिया गया। डॉ मनु मल्होत्रा का टीमपैनोप्लास्टी पर यह शोध कैम्ब्रिज के जर्नल ऑफ लैरिंजोलॉली एंड ऑटोलॉजी में भी प्रकाशित हुआ। डॉ मनु मल्होत्रा ने कान में जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी, जिसमें कान की हड्‌डी और पर्दा गलने की समस्या के कारण सुनाई नहीं देता है, के इलाज के लिए अम्ब्रला ग्राफ्िटिंग तकनीक का इलाज किया।

अर्थ सिमिलैरिटी इंडेक्स और प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स (Earth Similarity Index and Planetary Habitability Index (ESI and PHI) )

  • अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं हेतु अर्थ सिमिलैरिटी इंडेक्स (ESI: Earth Similarity Index) और प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स (PHI: Planetary Habitability Index) जारी किया गया। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी से डॉक्टर डिर्क शुल्ज माकश व अन्य वैज्ञानिकों दव्ारा किए गये शोध के आधार पर तैयार किए गए इन दोनों इंडेक्स को एस्ट्रो बायोलॉजी जर्नल में नवंबर 2011 में प्रकाशित किया गया।
  • अर्थ सिमिलैरिटी इंडेक्स और प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स में तैयार किए गए मानदंड के तहत वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने पृथ्वी से परे ऐसे ग्रहों की सूची तैयार की है, जहां जीवन की संभावना सबसे ज्यादा है। इन दोनों इंडेक्स के आधार पर सौरमंडल के शनि ग्रह के एक उपग्रह टाइटन और सौरमंडल से बाहर के एक अन्य ग्रह ग्लीज 581 जी (Gliese 581-g) पर जीवन की संभावनाएं सबसे अधिक हो सकती हैं। ये दोनों ग्रह पृथ्वी से करीब 20.5 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित हैं।
  • अर्थ सिमिलैरिटी इंडेक्स (ESI: Earth Similarity Index) : इस सूची में उन ग्रहों को रखा गया है, जो पृथ्वी जैसे है, इसे अर्थ सिमिलैरिटी इंडेक्स (ईएसआई) का नाम दिया गया। इस सूची में सबसे अधिक अंक 1.00 दिए गए हैं, जो पृथ्वी के लिए है, दूसरे स्थान पर ग्लीज 581 जी (0.89 अंक) को रखा गया। एक अन्य ग्रह ग्लीज 581 डी को (0.56 अंक) दिया गया।
  • प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स (PHI: Planetary Habitability Index) : इस सूची में उन ग्रहों का नाम है, जहां जीवन पनपने की संभावना है, प्लैनेटरी हैबिटैबिलिटी इंडेक्स (पीएचआई) का नाम दिया गया। इस सूची में शनि ग्रह के एक उपग्रह टाइटन को 0.64 अंक दिया गया। मंगल ग्रह को 0.64 अंक जबकि ग्लीज 581 जी (Gliese 581-g) को 0.45 अंक दिया गया। जुपिटर, शनि और वीनस ग्रह को इस सूची में समान रूप से 0.37 अंक मिला।

केपलर 22 बी (Keplar 22b)

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सौरमंडल से बाहर पृथ्वी के समान और संभावित जीवन के लिए उपयुक्त वातावरण वाले कोपलर 22 बी नामक नए ग्रह की खोज की, नासा के अंतरिक्षविदों की टीम के अनुसार केपलर 22 बी नामक इस नए ग्रह पर भविष्य में इंसानों का संभावित बसेरा हो सकता है। केपलर 22 बी नामक यह नया ग्रह 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और इसका आकार पृथ्वी से 2.4 गुना बड़ा है, इसका तापमान 22 डिग्री सेल्सियस है और इस ग्रह पर भूमि और जल दोनों हैं। नासा के अंतरिक्षविदों की टीम ने केपलर टेलीस्कोप की सहायता से इस नए ग्रह की पुष्टि 5 दिसंबर 2011 को की। केपलर 22 बी नामक ग्रह पर एक साल 290 दिनों का होता है, इस ग्रह को सर्वप्रथम वर्ष 2009 में देखा गया था।

भारत का मंगल मिशन ‘मंगलायन’ (India՚s Mars Mission ‘Mangalyaan’ )

भारत के केन्द्रिय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2013 में मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह को भेजने के अंतरिक्ष विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दी। भारत के प्रधानमंत्री मनामोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रिय मंत्रिमंडल की बैठक में 3 अगस्त 2012 को यह स्वीकृति दी गई। मंगल मिशन के तहत इस ग्रह पर मौजूद वातावरण का अध्ययन किया जाना है। श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दव्ारा नवंबर 2013 में 25 किलो वाले साइंटिफिक पैलोड के साथ एकमार्स आर्बिटर का प्रक्षेपण किया जाना है। मंगल मिशन भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के वारहार्स रॉकेट (पीएसएलवी) के विस्तारित संस्करण से भेजा जाएगा। यह आर्बिटर मंगल ग्रह के चारो ओर करीब 500 गुणा 80 हजार किमी की परिधि में चक्कर लगाएगा। इस आर्बिटर का उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण जियोलॉजी, उत्पत्ति, विका और वहां पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाना है।

एस-2012 (S-2012)

अमेरिका के खगोलविदों ने बर्फीले लघु ग्रह प्लूटो के पांचवें और सबसे छोटे उपग्रह की खोज की। प्लूटो के इस पांचवे उपग्रह का नाम एस-2012 रखा गया। हब्बल टेलिस्कोप की मदद से इस उपग्रह की खोज हुई। अनियमित आकार वाला प्लूटो का यह छोटा सा उपग्रह प्लूटो के 10 से 25 किलोमीटर के विस्तार में है। एक हजार किलोमीटर में स्थित प्लूटो के सबसे बड़े उपग्रह चारॉन की खोज वर्ष 1978 में की गई और वर्ष 2006 में हब्बल ने अपने अवलोकन में प्लूटों के दो नए उपग्रह निक्स और हाइड्रा की खोज की थी। प्लूटो का रंग काला, नारंगी और सफेद का मिश्रण है, प्लूटो का बहुत पतला वायुमंडल है जिसमें नाइट्रोजन, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड उपस्थित हैं।