Science and Technology: Launch Rocket and Satellite Program

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राष्ट्र विकास में अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका (Role of Space Science & Technology in National Development)

प्रमोचक रॉकेट कार्यक्रम (Launch Rocket Program)

  • दो टन भारत वाली श्रेणी के उपग्रहों को भू-तुल्यकायी अंतरण कक्षा में संचार एवं मौसमविज्ञानीय उपग्रहों के प्रमोचन हेतु स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन तथा चरण के साथ भू-तुल्यकाली प्रमोचक रॉकेट मार्क II की प्राप्ति और चार टन भार वाले उपग्रहों के प्रमोचन में समर्थ जी. एस. एल. वी. -मार्क III की प्राप्ति के क्रियाकलाप संतोषजनक प्रगति कर रहे हैं।
  • जी. एस. एल. वी. -मार्क III के लिए एस 200 ठोस बूस्टर, इसरो दव्ारा अब तक सबसे भारी बूस्टर की सफलतापूर्वक स्थैतिक जांच की गई है। जी. एस. एल. वी. -मार्क III के 110 टन भारवाला द्रव कोड चरण की भी पूर्ण उड़ान अवधि के लिए स्थैतिक जांच सफलतापूर्वक आयोजित की गई हैं
  • भारत के प्रथम सूक्ष्मतंरग राडार प्रतिबिंबन उपग्रह (रिसैट-1) का वहन करने वाले जी. एस. एल. वी. 19 के प्रमोचन के क्रियाकलाप उन्नत चरण में हैं। सी-बैंड संश्लेषी दव्ारक राडार प्रतिबिंबित्र नामक सक्रिय राडार संवेदक प्रणाली का उपयोग करते हुए रिसैट-1, प्रेक्षण मिशनों की अपनी प्रकाशीय आई. आर. एस. श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण सूक्ष्मतंरग अनुपूरक है। इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र, श्रीहरिकोटा से 2012 की दूसरी तिमाही में प्रमोचित करने की योजना बनाई गई हैं।
  • अंतरिक्ष तक पहुँचने की लागत को कम करने की दिशा में अर्ध-क्रायोजेनिक नोदन इंजन, वायु वसन नोदन तथा पुनरूपयोगी प्रमोचक रॉकेट प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास के क्रियाकलाप भी किये जा रहे हैं। मानव अंतरिक्ष उड़ान को शुरु करने हेतु क्रांतिक प्रौद्योगिकियों के विकास ने भी प्रगति की है।

उपग्रह कार्यक्रम (Satellite Program)

  • जीसैट-7 एक बहु बैंड उपग्रह को वर्ष 2012 के दौरान 2012 के दौरान खरीदे गये प्रमोचित दव्ारा प्रमोचित करने की योजना बनाई गई है।
  • जीसैट-10 उपग्रह, जिसका के. यू. तथा सी बैंड प्रेषानुकरों की बढ़ती आवश्यकता का संवर्धन करने के लिए विचार किया गया है।
  • 12 के. यू. बैंड प्रेषानुकर, 12 सी बैंड, 12 विस्तारित सी बैंड प्रेषानुकरों का वहन करता है। यह गगन नीतभार का भी वहन करता हैं।
  • इन्सैट-3 डी 6 चैनलप्रतिबिंबित्र तथा 19 चैनल के परिज्ञापित्र नीतभार से युक्त एक अत्याधुनिक मौसमविज्ञानीय उपग्रह है। यह उपग्रह भू-स्थिर कक्षा में 820 पूर्व देशांतर पर स्थापित किया जाएगा। इसे 2013 के दौरान खरीदे गये प्रमोचित्र दव्ारा प्रमोचित करने की योजना बनाई गई है।
  • जीसैट-14 उपग्रह, जिसका विस्तारित सी-बैंड एवं के. यू. बैंड प्रेषानुकर क्षमता को बढ़ाने के लिए विचार किया गया है, 6 विस्तारित सी-बैंड, 6 के. यू. बैंड प्रेषानुकर एवं 2 के. ए. बैंड बीकन का वहन करता है और इसे 2012 में जी. एस. एल. वी. -डी 5 के आगामी उड़ान में इसके प्रमोचन की योजना बनाई गई है।
  • चन्द्रयान-2, चन्द्रयान-1 का अनुवर्ती मिशन है जिसमें एक कक्षित्र एवं रोवर तथा रूसी लैंडर होगा। चन्द्रयान-2 को चन्द्र मृदा के नमूने एकत्र कर चन्द्र मदा में रासायन एवं खनिज की मात्रा का स्वस्थान अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं। इस दिशा में भारत तथा रूस ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। चन्द्रयान-2 मिशन को 2014 के दौरान जी. एस. एल. वी. दव्ारा प्रमोचित करने का लक्ष्य है।

सामाजिक उपयोग (Social Use)

  • भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का महत्व, उपयोग-अभिमुख प्रयास एवं देश को प्राप्त लाभ है। दूर-शिक्षा तथा दूर-चिकित्सा के क्षेत्र में इन्सैट उपग्रहों दव्ारा प्रदान की जा रही सामाजिक सेवाएं वर्ष के दौरान जारी रहीं। आज दूर -शिक्षा नेटवर्क में 55,000 से अधिक क्लास रूम हैं, जो विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों के साथ जुड़े हैं। दूर-चिकित्सा नेटवर्क सुविधा में 382 अस्पताल शामिल हैं, जिसमें 306 ग्रामीण अस्पताल और 16 मोबाइल बैन 60 सुपर स्पेशैलिटी अस्पतालों से जुड़े हैं, जो नागरिकों को, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं।
  • ग्रामीण संसाधन केन्द्र (वी. आर. सी.) की स्थापना की गई है जो, एकल विंडो एजेंसी है जो प्राकृतिक संसाधन, भूमि एवं जल संसाधन प्रबंधन, दूर-चिकित्सा, दूर शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण कार्यक्रमों पर सूचना प्रदान करने हेतु इन्सैट एवं आई. आर. एस. उपग्रहों दव्ारा सेवाएँ प्रदान करते हैं। 473 से अधिक वी. आर. सी. देश के 22 राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों में स्थापित किये जा चुके हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Cooperation)

अंतरराष्ट्रीय सहयोग अंतरिक्ष क्रियाकलापों का अभिन्न अंग है, और इसरो ने अंतरिक्ष एजेंसियों एवं अंतरिक्ष संबंधी निकायों के साथ दव्पक्षी एवं बहुपक्षी संबंधों को महत्व देना जारी रखा है जिनका उद्देश्य, नई वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक चुनौतियों को स्वीकार करना, शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु बाह्य अंतरिक्ष के दोहन एवं उपयोग हेतु अंतरराष्ट्रीय कार्य ढांचा को विनिर्दिष्ट करना, अंतरिक्ष नीतियों को पुनर्माजन तथा देशों के बीच विद्यमान संबंधों को बनाना व सुदृढ़ करना है। इसरों अपने केन्द्राेें में उपलब्ध विशेषता एवं सेवाओं को अन्य विकासशील देशों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग में सहायता करने के लिए प्रदान करने में भारी रूची लेता है। इसरो के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने में यह वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि अन्य देशों के साथ संयुक्त रूप से निर्मित दो उपग्रह भारत दव्ारा प्रमोचित किये गये। एक भारत-फ्रेंच संयुक्त मिशन मेघा-ट्रॉपिक्स अक्टूबर 12,2011 को प्रमोचित किया गया तथा दूसरा रूस के साथ संयुक्त रूप से निर्मित यूथसेट को अप्रैल 20,2011 को प्रमोचित किया गया।

संगठन (Organization)

देश में अंतरिक्ष क्रियाकलापों की शुरूआत 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) की स्थापना के साथ हुई। उसी वर्ष, तिरूवनन्तपुरम के निकट थुम्बा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रमोचन केन्द्र (टलर्स) में काम शुरू किए गए। अगस्त 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना हुई। भारत सरकार ने अंतरिक्ष आयोग का गठन किया तथा जून 1972 में अंतरिक्ष विभाग (अं. वि.) की स्थापना की गई और इसरो को सितंबर 1972 में अंतरिक्ष विभाग के अधीन लाया गया।

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (वी. एस. एस. सी.) (Vikram Sarabhai Space Centre (VSSC) )

तिरूवनन्तपुरम स्थित वी. एस. एस. सी. उपग्रह प्रमोचक रॉकेट, परिज्ञापी रॉकेट तथा संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास के लिये अग्रणी केन्द्र है। इस केन्द्र में वैमानिकी, विमानन, सम्मिश्र, कम्प्यूटर तथा सूचना, नियंत्रण, मार्गदर्शन तथा अनुकार, प्रमोचक रॉकेट डिज़ाइन, यांत्रिक अभियांत्रिकी, यंत्रावली, रॉकेट समेकन तथा जाँच: नोदक, बहुलक, रसायन तथा सामग्री, नोदन, नोदक एवं अंतरिक्ष तथा प्रणाली विश्वसनीयता के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्य किया जाता है। कार्यक्रम आयोजना तथा मूल्यांकन, प्रौद्योगिकी अंतरण तथा औद्योगिक समन्वयन, मानव संसाधन विकास, सुरक्षा तथा कार्मिक एवं सामान्य प्रशासन समूह केन्द्र की सहायता करते हैं। वी. एस. एस. सी. के प्रमुख कार्यक्रमों में ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक रॉकेट (पी. एस. एल. वी.) , भू-तुल्यकायी उपग्रह प्रमोचक रॉकेट (जी. एस. एल. वी.) , रोहिणी परिज्ञापी रॉकेट, अंतरिक्ष केप्सूल पुन: प्राप्ति परीक्षण, पुनरूपयोगी प्रमोचक रॉकेट, वायु वसन नादेन तथा उन्नत प्रमोचक रॉकेट प्रणालियों के क्षेत्र मेंं क्रांतिक प्रौद्योगिकियों का विकास शामिल हैं।