Science and Technology: Space: Basic Concepts and Gravitational Force

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अंतरिक्ष (Space)

आधारभूत संकल्पनाएँ (Basic Concepts)

अंतरिक्ष से संबंधित विभिन्न तकनीकी विकास एवं उनके अनुप्रयोगों (Applications) को समझने से पूर्व हमारे लिए गुरुत्वाकर्षणबल एवं पलायन वेग जैसी आधारभूत संकल्पनाओं की समक्ष आवश्यक हैं।

गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)

जिस बल के कारण वस्तुएँ अथवा पिण्ड एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। उस वस्तु अथवा पिण्ड का गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।

पलायन वेग (Escape Velocity)

वह न्यूनतम वेग जिससे किसी पिण्ड को अंतरिक्ष में फेंकने पर वह पुन: पृथ्वी पर वापस आ सके। इसका माप 11.2 किमी/सैकेंड होता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम (Indian Space Research Programme)

1962 में डॉ. विक्रम साराभाई की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति के गठन के साथ ही भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम का सूत्रपात हुआ। 15 अगस्त 1969 को इसी समिति को पुनर्गठित करके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की गई। अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रोत्साहन व स्वतंत्र अस्तित्व प्रदान करने हेतु 1972 में राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम बनाया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के कुशल संचालन के लिए 1972 में ही अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग का गठन किया गया तथा इसरो को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। 21 नवंबर 1963 को देश के पहले साउंडिंग रॉकेट ‘नाइक एपाश’ (अमरीका निर्मित) को थुम्बा भूमध्य रेखीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र (TERLS) से प्रक्षेपित किया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के निधन के पश्चात्‌ (TERLS) का नाम बदलकर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रख दिया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने 1972 के पश्चात्‌ अनेक गौरवमयी उपलब्धियाँ हासिल की है। कृत्रिम उपग्रहों के विकास व संचालन तथा प्रक्षेपण के क्षेत्र में देश ने आत्मनिर्भता प्राप्त करते हुए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी अपनी दस्तक दे दी है। भारत के चन्द्रयान मिशन के अगले चरण के सपने सँजोने से स्पष्ट आभास होता है कि आने वाले समय में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम नये क्षितिज को छूने जा रहा है।

अंतरिक्ष आयोग के कार्यकारी अंग (Executive Bodies of Space Commission)

अंतरिक्ष आयोग अपने कार्यकारी अंगों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पी. आर. एल.) के अलावा चार अन्य स्वायत निकायों के माध्यम से अपने कार्यों का संपादन करता है। अंतरिक्ष आयोग के ये चार स्वायत निकाय निम्नलिखित है-

  • राष्ट्रीय दूर संवेदन एजेंसी (NRSA)
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली (NNRMS)
  • भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह अंतरिक्ष खण्डन योजना (INSAT-SSP)
  • राष्ट्रीय मध्यमंडल समताप मंडल एवं क्षोभमंडल रीडर सुविधा (NSRF)

इसरो व उसकी विभिन्न इकाइयाँ (ISRO and Its Associated Units)

1969 में स्थापित एवं 1975 में पूर्ण रूप से एक सरकारी संस्था के रूप में कार्य कर रहा इसरो (ISRO - Indian Space Research organisation) अपनी विभिन्न इकाइयों के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान, प्रोद्योगिकी तथा उनके व्यवहारिक अनुप्रयोग के सभी क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं तथ कार्यक्रमों को संचालित करता है। इससे संबधित प्रमुख अंतरिक्ष केंद्र तथा इकाइयाँ निम्नलिखित हैं-

  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, (VSSC - Vikram Sarabhai Satellite Centre) तिरूअनंतपुरम- थुम्बा में अवस्थित यह इसरो का सबसे बड़ा केंद्र है, जो प्रक्षेपण यान का विकास करता है। अब तक भारत दव्ारा प्रक्षेपित सभी प्रक्षेपण यानों को इसी केंद्र में विकसित किया गया है। यह केंद्र प्रक्षेपास्त्र अनुसंधान तथा प्रक्षेपण यान विकास में अग्रणी भूमिका का निर्वहन करता है।
  • इसरो उपग्रह केंद्र, (ISAC-ISRO Satellite Centre) बंगलुरू- भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न प्रोद्योगिकीय व व्यावहारिक उपयोग से संबंधित मिशनों के लिए स्वदेशी उपग्रहों के निर्माण, परीक्षण व प्रबंधन के साथ साथ परियोजनाओं को लागू करने का उत्तरदायित्व इसी संस्थान पर है।
  • अंतरिक्ष प्रयोग केंद्र, (SAC - Satellite Application Centre) अहमदाबाद- उपग्रहों के पेलोड प्रणाली की कल्पना तथा विकास एवं अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोग को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से इस केंद्र की स्थापना की गई है। दूरसंचार व टेलिविजन में उपग्रहों का प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण और प्रबंधन के लिए दूरसंवेदन, मौसम विभाग व पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कार्य इस केंद्र के दव्ारा किये जाते हैं।
  • शार केंद्र, (SHAR - Sri Harikota High Altitude Range) श्रीहरीकोट- आन्ध्रप्रदेश के पूर्वी तट पर अवस्थित इसरो का यह प्रमुख प्रक्षेपण केंद्र है। यहाँ भारतीय प्रक्षेपण यान के ठोस ईधन रॉकेट के विभिन्न चरणों की सतह पर परीक्षण तथा प्रणोदक (Propellants) का प्रसंस्करण किया जाता है।
  • द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC - Liquid Propulsion System Centre) - इसरो के उपग्रह प्रक्षेपण यानों और उपग्रह के लिए द्रव ईधन से चलने वाली चालक नियंत्रण प्रणालियों, क्रायोजेनिक संचालन प्रणाली, ऑक्सिलरी नोदन प्रणाली और इंजनों के डिजाइन विकास व आपूर्ति हेतु यह संस्था कार्य करती है।
  • मुख्य नियंत्रण सुविधा केंद्र, (MCF - Master Control Facility) हांसन- कर्नाटक के हासन में स्थित इस केंद्र में स्थित इंसेट अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण-कक्षा में स्थापित करने तथा कक्षा में स्थापित होने के बाद इनके संचालन संबंधी कार्य किये जाते हैं। इसरो का दूसरा “मुख्य नियंत्रण सुविधा केंद्र” भोपाल में स्थापित किया गया है।
  • इसरो जड़त्व प्रणाली इकाई, (ISRO – Inertial System Unit) तिरूअनंतपुरम- इसका प्रमुख कार्य प्रक्षेपण यानो और उपग्रहों के लिए जड़त्व प्रणाली का विकास करना है।
Illustration: इसरो व उसकी विभिन्न इकाइयाँ (ISRO and Its Associated Units)
  • भौतिक शोध प्रयोगशाला, (Physical Research Laboratory) अहमदाबाद- यह संस्था अंतरिक्ष और संबद्ध विज्ञान में अनुसंधान एवं विकास कार्य करने वाला प्रमुख राष्ट्रीय केंद्र है, जो अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत कार्यरत है।
  • राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी, (NRSA – National Remote Sensing Agency) हैदराबाद- उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग करके पृथ्वी के संसाधनों की पहचान, वर्गीकरण व निगरानी करने की जिम्मेदारी इस एजेंसी की है। राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी का ही एक अंग भारतीय दूर संवेदी संस्थान है, जो देहरादून में स्थित है। यह दूरसंवेदी तकनीकों और हवाई चित्र व्याख्या तकनीकों के लिए मुख्य प्रशिक्षण केंद्र है।