प्रतिजैविको की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट विवरण 2015 (Pratijaiviko Report Details the Global Situation, 2015 – Social Issues)

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• रिपोर्ट का प्रकाशन वाशिंगटन डी सी स्थित संस्था अर्थव्यवस्था, नीति तथा रोग परिदृश्य से संबंधित केन्द्र के दव्ारा किया गया। यह रिपोर्ट पूरी दुनिया में बढ़ रहे एंटीबायोटिक (जीवाणुनाशक) प्रतिरोध से उत्पन्न गंभीर खतरे पर केन्द्रित हैं।

• रिपोर्ट में यह गंभीर तथ्य उद्धाटित किया गया है कि उपचार के लिए प्रयोग की जा रही एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावशीलता घटती जा रही है। चाहे प्रारंभिक रूप से प्रदान की जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं हो चाहे अंतिम रूप से, दोनों की ही प्रभावशीलता घटती जा रही है।

• विश्वभर में अलग-अलग एंटीबायोटिक औषधियां प्रयोग की जाती है। यह स्वाभाविक है क्योंकि दुनियाभर में मधुमेह अलग-अलग रूपों में प्रभावी है।

एंटीबायोटिक्स (जीवाणुनाशक) क्या हैं?

• एंटीबायोटिक्स अथवा प्रतिजैविक दवाएं जीवाणु संक्रमण के उपचार के लिए प्रदान की जाती हैं।

• वर्ष 1940 में इनकी खोज के बाद एंटीबायोटिक औषधियाँ आधुनिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रणाली में इसकी प्रधानता हैं। सामान्य बीमारियों से लेकर गंभीर रोगों तक के उपचार में इनका प्रयोग बढ़ा है। शल्य चिकित्सा को तो एक बड़ा आधारा एंटीबायोटिक औषधियाँ है।

एंटीबायोटिक (जीवाणुनाशक) औषधियों के प्रति प्रतिरोधकता का विकास कैसे होता हैं?

• एंटीबायोटिक औषधियों के प्रति प्रतिरोधकता इन औषधियों के प्रयोग के कारण ही उत्पन्न होती हैं। किसी रोग के उपचार के लिए हम जितना ही अधिक एंटीबायोटिक औषधियों का प्रयोग करते हैं, रोग का जीवाणु उतना ही अधिक दवा के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर लेता है। उदाहरण के लिए एस्चेरिया कोली नामक बैक्टीरिया ने इसके उपचार के लिए प्रयो की जाने वाली एंटीबायोटिक औषधि सेफलोस्पोरिन के प्रति प्रतिरोधकता विकसित कर ली है। फलस्वरूप इस जीवाणु के कारण होने वाले रोग का उपचार और अधिक कठिन हो जाएगा।

• एंटीबायोटिक औषधियों के अविवेकपूर्ण उपयोग अर्थात किस में किस एंटीबायोटिक औषधि का प्रयोग होना चाहिए, बिना इसके निर्धारध, के औषधि के प्रयोग ने सामान्य रूप से उपचार में की जा सकने वाली बीमारियों को भी गंभीर बना दिया है। यही कारण है कि स्वास्थ्य पर लोगों के खर्च में निरंतर वृद्धि होती जा रही है तथा समाज के संसाधनों का अपव्यय हो रहा है।