NCERT Political Science Class 12 Chapter 3 Part 1 YouTube Lecture Handouts

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नियोजित विकास की राजनीति Politics of Planned Development

आशादी के बाद अपने देश में ऐसे कई प़् ौफसले लिए गए। इनमें से कोई भी फैसला बाकी फैसलों से मुँह फेरकर नहीं लिया जा सकता था।

सारे के सारे फैसले आपस में आर्थिक विकास के एक मॉडल या यों कहें कि एक ‘विजन’ से बँधे हुए थे।

लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि भारत के विकास का अर्थ आर्थिक संवृ़िद्ध और आर्थिक-सामाजिक न्याय दोनों ही हैं। इस बात पर भी सहमति थी कि इस मामले को व्यवसायी, उद्योगपति और किसानों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।

सरकार को इस मसले में प्रमुख भूमिका निभानी थी। बहरहाल, आर्थिक-संवृद्धि हो और सामाजिक न्याय भी मिलेµइसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन-सी भूमिका निभाए? इस सवाल पर मतभेद थे।

क्या कोई ऐसा वेंफद्रीय संगठन शरूरी है जो पूरे देश के लिए योजना बनाए? क्या सरकार को वुफछ महत्त्वपूर्ण उद्योग और व्यवसाय खुद चलाने चाहिए? अगर सामाजिक न्याय आर्थिक संवृ ि की शरूरतों के आड़े आता हो तो ऐसी सूरत में सामाजिक-न्याय पर कितना शोर देना उचित होगा?

Illustration: नियोजित विकास की राजनीति Politics of Planned Development

इन सवालों के जवाब कोई विशेषज्ञ नहीं दे सकता। इस तरह के फैसलों में एक सामाजिक-समूह के हितों को दूसरे सामाजिक-समूह के हितों की तुलना में तौला जाता है। साथ ही मौजूदा पीढी के हितों और आने वाली पीढी के हितों के भी हानि और लाभ को माना जाता है।

खनन, पर्यावरण और आदि विषेशज्ञों की राय महत्वपूर्ण है किन्तु अन्तिम निर्णय निष्चित रूप राजनीतिज्ञों द्वारा ही लिया जाना चाहिये।

Mayank