मौद्रिक नीति पैनल (Monetary Policy Panel – Economy)

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चर्चा में

• 4 महीने की वाद-विवाद के बाद भारतीय रिजर्व (सुरक्षित रखना) बैंक (अधिकोष) और वित्त मंत्रालय ने मौद्रिक नीति तय करने संबंधी जिम्मेदारी निर्धारित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर गतिरोध को दूर किया है।

मौद्रिक नीति निर्माण को लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करने संबंधी पूर्व में किए गए प्रयास

• वर्ष 2005 से रिजर्व (सुरक्षित रखना) बैंक (अधिकोष) ऑफ (का) इंडिया (भारत) के गवर्नर (राज्यपाल) ने विख्यात अर्थशास्त्रियों, औद्योगिक निकायों (जैस फिक्की आदि) और क्रेडिट (साख) रेटिंग (कर स्थिर करना/श्रेणी निर्धारण) एजेंसियों (शाखाओं) से विचार-विमर्श करना आंरभ किया।

• पाददर्शिता लाने के उद्देश्य से अब आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट (विवरण) को अधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाने लगा है।

• जहाँ आरबीआई ने त्रैमासक समीक्षा को प्रकाशित करना आरंभ किया वहीं गवर्नर (राज्यपाल) ने मीडिया (माध्यम) में जाकर सभी प्रश्नों/शंकाओं का उत्तर देना आरंभ किया हैं।

• बहरहाल, मौद्रिक नीति गवर्नर (राज्यपाल) की एकमात्र जिम्मेदारी बनी हुई है, बिना किसी भागीदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए औपचारिक तंत्र के।

पूर्व में की गयी सिफारिशें

पूर्व समितियां-तारापोर, रेड्‌डी, FSLRC एवं नवनिर्मित उर्जित पटेल ने समिति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जो सिफारिशें दी, वे हैं-

• मौद्रिक नीति का निर्धारण एक व्यक्ति विशेष दव्ारा न होकर एक कमेटी (समिति) दव्ारा होना चाहिए।

• निर्णय बहुमत के आधार पर होना चाहिए।

• ऐसी कमेंटियों (समितियों) का ब्यौरा लिखित रूप से जनता के बीच रखा जाना चाहिए।

इस प्रकार काफी लंबे समय से मौद्रिक नीति निर्धारण में कमेटी बनाये जाने पर बल दिया जा रहा है। पिछले कुछ समय में मौद्रिक नीति निर्धारित करने वाली कमेटी के संरचना को लेकर सरकार एवं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मध्य असहमति उभरकर सामने आयी हैं।