अनुच्छेद 370 (Article 370-Act Arrangement of the Governance)

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पृष्ठभूमि

• जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय ने 12 अक्टूबर 2015 को निर्णय दिया कि अनुच्छे 370 ने संविधान में स्थायित्व प्राप्त कर लिया और यह अनुच्छेद संशोधन, निरसन या उत्पादन से परे हैं।

• उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 35ए राज्य में लागू वर्तमान कानूनों को ″ सरक्षण ″ प्रदान करता है। हालांकि ″ अनुच्छेद 370 को ‘अस्थायी प्रावधान’ की संज्ञा दी गई थी और यह ‘अस्थाई संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान’ शीर्षक वाले पैरा XXI (21) में सम्मिलित था, लेकिन इसने संविधान में स्थायी दर्जा प्राप्त कर लिया है।

• 31 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्त स्थिति प्रदान करने वाली धारा 370 को समाप्त करने पर केवल संसद निर्णय ले सकती हैं।

अनुच्छेद 370 के विषय में

• भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ‘अस्थायी प्रावधान’ है। यह जम्मू -कश्मीर को विशेष स्वायत्त स्थिति प्रदान करता है।

• रक्ष्ाां, विदेश मामले, वित्त और संचार को छोड़कर, अन्य सभी कानूनों को लागू करने के लिए संसद को राज्य सरकार की सहमति चाहिए।

जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा ~Article 370 of the Indian Constitution is an Article - Act Arrangement of the Governance - Political Science in Hindi

विधायी शक्तियां: अन्य भारतीय नागरिकों की तुलना में इस राज्य के निवासी, नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों से संबंधित अलग कानूनों दव्ारा शासित होते हैं।

राज्य-क्षेत्र: राज्य की सीमाओं को भारतीय संसद बढ़ा या घटा नहीं सकती है, और अन्य राज्यों भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में भूमि या संपित्त नहीं खरीद सकते हैं।

• आपाकालीन प्रावधान:

• केंद्र सरकार आंतरिक अशांति या आसन्न ख़तरें के आधार पर आपात स्थिति की घोषणा तब तक नहीं कर सकती, जब तक कि ऐसा, राज्य सरकार के अनुरोध पर या सहमति से नहीं किया जाता है।

• इस राज्य में केंद्र युद्ध या बाह्य आक्रमण की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

• इस राज्य में अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा करने की केंद्र के पास कोई शक्ति नहीं है।

• संवैधानिक संशोधन: कोई संविधान राष्ट्रपति दव्ारा आदेश करने के बाद ही जम्मू-कश्मीर में लागू होता हैं।