मानव विकास रिपोर्ट (विवरण) 2015 (Human Development Report Details)

Glide to success with Doorsteptutor material for CTET-Hindi/Paper-1 : get questions, notes, tests, video lectures and more- for all subjects of CTET-Hindi/Paper-1.

2015 की मानव विकास रिपोर्ट, 2015 संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू एन डी पी) दव्ारा दिसंबर 2015 में जारी किया गया।

पृष्ठभूमि

• पहली मानव विकास रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू एन डीपी) दव्ारा वर्ष 1990 में जारी की गयी थी।

• यह अर्थशास्त्री महबूब उल हक और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन दव्ारा विकसित की गयी थी।

• मानव विकास रिपोर्ट सोच में आये एक बदलाव का परिणाम था जिसमें राष्ट्रीय प्रगति के मौद्रिक संकेतकों (जैसे जी डी पी) के स्थान पर स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मानव विकास के व्यापक संकेतकों को ध्यान में रखा जाता है।

मानव विकास के तीन आयाम

जीवन स्तर: इसकी गणना प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय से की जाती है।

स्वास्थ्य: इसकी गाणना जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से की जाती है।

शिक्षा: इसकी गणना वयस्क आबादी के बीच विद्यालयी शिक्षा के औसत वर्षो और बच्चों के लिए विद्यालयी शिक्षा के अपेक्षित वर्षो के माध्यम से की जाती है।

मानव विकास रिपोर्ट क्या है?

• यह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम दव्ारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली एक रिपोर्ट है जिसमें दुनिया के विकास के प्रमुख मुद्दों, प्रवृत्तियों और नीतियों पर चर्चा शामिल रहती है।

• इसके अलावा यह रिपोर्ट मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों की वार्षिक रैंकिंग भी प्रदान करती है।

• मानव विकास रिपोर्ट में चार अन्य सूचकांक भी शामिल हैं:

असमानता समायोजि मानव विकास सूचकांक: यह देश में स्थित असमानता के आधार पर मानव विकास सूचकांक की गणना करती है।

लैंगिक विकास सूचकांक: यह महिला और पुरुष मानव विकास सूचकांकों की तुलना करता है।

लैंगिक असमानता सूचकांक: यह प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार के आधार पर लैंगिक असमानता का एक समग्र आंकलन प्रस्तुत करता है।

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: यह गरीबी के गैर-आय आयामों का आंकलन करता है।

2015 की मानव विकास रिपोर्ट के मुख्य अंश

• इस रिपोर्ट के अंतर्गत 188 देशों और क्षेत्रों का अध्ययन शामिल है।

• इसके अनुसार ‘कार्य’ एक मौलिक कारक है जो मानव क्षमता को बढ़ाता या घटाता है।

• यह कार्य और नौकरी के बीच अंतर बताती है। कार्य के बदले कुछ मिलना जरूरी नहीं, परन्तु नौकरी एक पूर्व निर्धारित भुगतान के लिए किया जाता है। इन दोनों के मौद्रिक मूल्यांकन में अंतर असमानता को बढ़ाता है।

• नॉर्वे 0.944 के मान के साथ इस विवरण में पहले स्थान पर है।

• उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, स्विट्‌जरलैंड और डेनमार्क का स्थान है।

• अमेरिका 8वें स्थान पर है और चीन 90वें स्थान पर है।

• पाकिस्तान और बांग्लादेश क्रमश: 147वें और 142वें स्थान पर हैं।

• श्रीलंका का स्थान 73वां है और वह उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देशों के दायरे में आता है।

• भारत का स्थान नामीबिया, तजाकिस्तान, ग्वाटेमाला और यहाँ तक कि इराक जैसे देशों से भी नीचे है।

भारत

मानव विकास सूचकांक: भारत 0.609 के मान के साथ 130वें स्थान पर है और मध्यम विकसित देशों की श्रेणी में आता है। जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों का औसत 0.896 है।

स्वास्थ्य: भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 68 वर्ष है जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों में इसका औसत 80.5 वर्ष है।

शिक्षा: भारत में विद्यालयी शिक्षा के प्रत्याशित वर्ष 11.7 वर्ष हैं जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों में इसका औसत 16.4 वर्ष है।

• भारत में विद्यालय शिक्षा के औसत वर्ष 5.4 वर्ष हैं, जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों में इसका औसत 11.8 वर्ष है।

प्रगति 2009 से 2014 तक मानव विकास सूचकांक में भारत का मान छह अंक बढ़ा है।

• भारत की रैकिंग में सुधार शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार से नहीं बल्कि आय में वृद्धि के माध्यम से हुआ है।

असमानता: भारत का असमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक 0.609 से 0.435 होकर 28 प्रतिशत कम हुआ है। यही समान प्रवृत्ति पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए भी देखी गयी है।

लैंगिक असमानता: भारत के लैंगिक विकास सूचकांक का मान 0.795 है और इसमें भारत का स्थान बांग्लादेश (0.917) से भी नीचे हैं।

• भारत के लैंगिक असमानता सूचकांक का मान 0.563 है और यह 155 देशों में 130वें स्थान पर है। इस सूचकांक में भारत बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे है।

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2005 - 06 में भारत की 55.3 प्रतिशत आबादी बहु-आयामी निर्धनता से ग्रसित थी, जबकि 18.2 प्रतिशत आबादी बहुआयामी निर्धनता के करीब जीवन यापन करती थी।

मातृ मृत्यु दर: भारत में मातृ मृत्यु दर 190 है (प्रति 100000 जीवित जन्मों पर) , जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों में इसका औसत 18 है।

शिशु मृत्यु दर: 2013 में भारत में शिशु मृत्यु दर 41.4 थी (प्रति 1000 जीवित जन्मों पर) जबकि अति उच्च मानव विकास वाले देशों में इसका औसत 5.1 है।

पिछले संस्करणों के साथ वर्ष 2015 की रिपोर्ट की तुलना

• वर्ष 2011 की क्रय शक्ति समता आँकड़ों का उपयोग किया गया है, जबकि पिछली रिपोर्टो में वर्ष 2005 से आंकड़ों का इस्तेमाल किया था। इस वजह से पिछली रिपोर्टो में रैकिंग भ्रामक थी

• इस विवरण में संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या प्रभाग दव्ारा जारी आबादी के नए आंकड़ो का उपयोग किया गया है। इस वजह से देशों की रैंकिग प्रभावित हुई है।