भारत में नए वर्ग का उदय (The Rise of the New Class in India) Part 1 for NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.

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मध्यम वर्ग का उदय ~NET, IAS, State-SET (KSET, WBSET, MPSET, etc.), GATE, CUET, Olympiads etc.: भारत में नए वर्ग का उदय (The Rise of the New Class in India) Part 1

भारत में आधुनिक उद्योगों की स्थापना एवं औद्योगिक बुर्जुआ वर्ग के उदय के कई दशक पहले ही आधुनिक बुद्धिजीवी वर्ग का उदय हो चुका था। राजा राम मोहन राय इस वर्ग की प्रथम पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। आधुनिक बुद्धिजीवी वर्ग ने पाश्चात्य संस्कृति का अध्ययन किया और इस संस्कृति के बौद्धिक और प्रजातांत्रिक सिद्धांतों धारणाओं और सत्य को अंगीकार किया।

इस नवीन बुद्धिजीवी वर्ग के उदय का मुख्य कारण था-भारत में अंग्रेजी शिक्षा के प्रचार, ईसाई मिशनरियों की भूमिका एवं भारत में अपने शासन को मजबूत बनाने के लिए अंग्रेजों के लिए एक ऐसे वर्ग की आवश्यकता जो पश्चिम के आधुनिक एवं उदारवादी विचारों से परिचित हो। अंग्रेज यह उम्मीद करते थे कि आधुनिक विचारों से परिचित वह वर्ग अंग्रेजी शासन के मानवीय पहलुओं का आम जनता में प्रचार करेगा। और इस कारण अंग्रेजी शासन अधिक दृढ़ और स्थायी बन सकेगा। 19वीं शताब्दी के प्रथम कुछ दशकों में शिक्षित भारतीयों की संख्या बहुत कम थी। जब अंग्रेजी शासन ने अधिकारिक विद्यालय, महाविद्यालय खोले और उनके साथ ईसाई मिशनरियों ने भी इस दिशा में प्रयास आरंभ किए, तब जाकर बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग सामने आया।

आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद के इतिहास में बुद्धिजीवियों की भूमिका निर्णायक रही। बहुत दूर तक उन्होंने भारतीय जनता को आधुनिक राष्ट्र के रूप में एकान्वित किया और अनेक प्रगतिशील सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलनों का संगठन किया। ये राजनीतिक राष्ट्रवादी आंदोलन के जनक, प्रणेता, संगठन कर्ता और अग्रणी थे। घोर आत्मत्याग और अनेक कष्टों के बावजूद उन्होंने जनता के बीच शैक्षिक एवं प्रचारात्मक कार्य के दव्ारा स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद के विचारों को अधिकारिक लोगों तक पहुंचाया। उन्होंने राष्ट्रीयता और जनतंत्र की भावनाओं से ओतप्रोत प्रादेशिक साहित्य और संस्कृति की सृष्टि की। इनके बीच से अनेक वैज्ञानिक, कवि, इतिहासकार, समाजशास्त्री दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री पैदा हुए। इसी वर्ग ने नवीन भारत की जटिल समस्याओं को समझा एवं उनका निदान प्रस्तुत किया। सही अर्थों में वे ही आधुनिक भारत के निर्माता थे।