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सिंचाई परियोजनाओं में प्रगति

एआईबीपी के अंतर्गत केन्द्रीय सहायता

सुर्ख़ियों में क्यों?

  • केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के अंतर्गत 99 प्राथमिकता प्राप्त सिंचाई परियोजनाओं के लिए केन्द्रीय सहायता के रूप में राज्यों के लिए 1500 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी कर दी है।
  • इन सिंचाई परियोजनाओं में इन राज्यों के सूखा प्रभावित जिले सम्मिलित किए जाएंगे ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके और साथ ही इनका उद्देश्य किसानों की आत्महत्या की घटनाओं को सीमित करना भी है।
  • पहचानी गई 99 परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए वित्त मंत्री, केन्द्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री, कृषि सहकारिता और किसान कल्याण मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष से मिलकर बनी एक उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एचएलईसी) का गठन किया गया है।
  • एचएलईसी प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत अन्य घटकों की भी निगरानी करेगी और मध्यकालिक सुधार के लिए नीतिगत मार्गदशन प्रदान करेगी।

केन्द्र सरकार ने सिंचाई परियोजनाओं और लघु भूतल सिंचाई योजनाओं के साथ-साथ लिफ्ट (उन्नति) सिंचाई योजनाओं (एलआईएस) के विस्तार, नवीकरण और आधुनिकीकरण (ईआरएम) सहित वर्तमान में चल रही बड़ी/मध्यम सिंचाई (एमएमआई) परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु 1996 - 97 में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) का शुभारंभ किया था।

लॉन्ग (लंबा) टर्म (मियाद) इरीगेशन (सिंचाई) फंड (निधि)

  • नेशनल (राष्ट्रीय) बैंक (अधिकोष) ऑफ (का) एग्रीकल्चर (कृषि) एंड (और) रूरल (ग्रामीण) डेवलपमेंट (विकास) (एनएबीएआरडी) दव्ारा चरणबद्ध तरीके से बाजार से 77,000 का करोड़ रुपये जुटाए जायेंगे।
  • जुटाए गए धन से अगले चार वर्षों में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमएसकेवाई) के अंतर्गत 56 सूखा-प्रवण क्षेत्रों सहित प्राथमिकता वाली लगभग 100 सिंचाई परियोजनाओं को फंड (निधि) उपलब्ध कराया जाएगा।
  • सरकार दव्ारा सिंचाई क्षमता के उपयोग पर और अधिक ध्यान देने के साथ ही अनुमानत: 76.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • कुल परियोजनाओं में से 26 महाराष्ट्र में, 14 मध्य प्रदेश में और 11 तेलंगाना में पूरी की जाएँगी।

फंड (निधि) के लाभ

  • इसका फोकस (ध्यान) फील्ड (क्षेत्र) स्तर पर सिंचाई क्षेत्र में निवेश के अभिसरण पर होगा। इसके साथ ही अन्य फोकस सिंचाई के अंतर्गत कृषित भूमि के विस्तार पर भी होगा।
  • जल की बचत करने वाली प्रौद्योगिकियों को और अधिक मात्रा में अपनाना। कृषि के इस पहलू को कवर करने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करना।